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कृषि विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध पदोन्नत प्राध्यापकों का आदेश निरस्त

-शासन का पत्र कृषि विश्वविद्यालय पहुंचते ही मचा हड़कंप

मिल्कीपुर। आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज में करियर एडवांसमेंट स्कीम के अंतर्गत सहायक प्राध्यापक से सह-प्राध्यापक तथा सह-प्राध्यापक से प्राध्यापक पद पर पदोन्नत किये गए कार्मिकों की पदोन्नत नियम विरुद्ध बताते हुए तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आदेश दे दिया है। इससे संबंधित शासन द्वारा पारित आदेश कृषि विश्वविद्यालय पहुंचते ही कार्मिकों में हड़कंप मच गया है हालांकि उक्त पदोन्नति प्रक्रिया में शामिल जिम्मेदार विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी मामले को पूरी तरह से दबाने में जुटे हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक कृषि शिक्षा एवं अनुसन्धान अनुभाग उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव अजय कुमार द्विवेदी द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० बिजेंद्र सिंह को भेजे गए पत्र संख्या-2565472/67/कृशिअ-23-1001(099)/151/2023 दिनाँक 06/11/2023 के माध्यम से दिनाँक 11 सितम्बर 2023 को प्रबन्ध परिषद् की 198 वीं बैठक के प्रस्ताव संख्या 198रू2 द्वारा अनुमोदित नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त किये जाने के बारे में अवगत कराया है।

यही नहीं शासन ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गम्भीर टिप्पणी करते हुए स्वेच्छाचारिता वश गैर-शैक्षणिक संवर्ग के तहत अपात्र कार्मिकों को ष् कैरियर एडवांसमेंट स्कीमष् के तहत लाभान्वित किये जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए अपनी कड़ी नाराजगी भी व्यक्त की है। इस सम्बन्ध में शासन ने न सिर्फ विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन एवं परिवीक्षण डॉ ए के सिंह से एक सप्ताह के भीतर इन अनियमितताओं के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया है बल्कि वित्त नियंत्रक को भविष्य में इस प्रकार की अनियमितता न होने पे संबंधी कड़े निर्देश दे दिए हैं।

शासन ने विश्वविद्यालय के कुलपति को भेजे गए पत्र में आगाह किया है कि यदि भविष्य में शासन के किसी भी आदेश की अवहेलना करते हुए नियम विरुद्ध कार्यों में संलिप्त अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर प्रशासनिक कार्यवाही भी कर दी जाएगी। शासन ने अपने पत्र के माध्यम से विश्वविद्यालय के कुलपति से जानना चाहा है कि जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् (आईसीएआर) की विभिन्न योजनाओं में नियुक्त कार्मिकों को शिक्षक संवर्ग में न मानते हुए पूर्व में उन्हें शैक्षणिक संवर्ग के लाभ से वंचित कर दिया है, तो किन परिस्थितियों में पुनः नए कार्मिकों को शैक्षणिक संवर्ग में पदोन्नत कर दिया गया है। शासन ने इन नियुक्तियों के सम्बन्ध में गम्भीर टिप्पणी करते हुए कहा कि उक्त वस्तुस्थिति से स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा स्वेच्छाचारिता वश उक्त गैर-शैक्षणिक कार्मिकों को ष् कैरियर एडवांसमेंट स्कीमष् का लाभ प्रदान किया गया है, जो गम्भीर वित्तीय अनियमितता एवं शासनादेशों की अवहेलना का द्योतक है।

उल्लेखनीय है कि पदोन्नत किये गए शिक्षकों ने पदोन्नत आदेश निर्गत होने के बाद अभी हाल ही में विश्वविद्यालय के कुलपति का अभिनन्दन कार्यक्रम आयोजित करके उन्हें चाँदी का मुकुट सहित लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा भी भेंट किया था, लेकिन शासन का आदेश आ जाने से उनकी खुशियों पर पानी फिर गया है। अब शासन के आदेश का तत्काल संज्ञान लेकर विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक ने 14 नवंबर 2023 को सभी अधिष्ठाता व निदेशक शोध को शासन की मंशा से अवगत कराते हुए पुराने नियम से ही वेतन विपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। वित्त नियंत्रक ने अन्यथा की स्थित में सम्बंधित अधिष्ठाता को जवाबदेह बताया है।

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