हिन्दी प्रचार प्रसार सेवा संस्थान की हुई संगोष्ठी
अयोध्या। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की संवैधानिक लड़ाई में मांगने से नहीं अपितु अपने अधिकार छीनने से सफलता मिलेगी, उक्त मन्तव्य आज यहां तुलसी स्मारक भवन अयोध्या में हिन्दी प्रचार प्रसार सेवा संस्थान द्वारा आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त करते मूर्धन्य साहित्यकार डाॅ देवी सहाय पाण्डेय दीप ने कहा कि विडम्बना है कि हमारे देश के आजादी दिलाने वाले वीर अमर शहीदों में शहीद भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त, महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, आदि ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में संस्थापित होने का सपना देखा था। किन्तु आजादी के बाद की सरकारों ने कभी भी देश को उसकी राष्ट्रभाषा देने का कोई गम्भीर प्रयास नहीं किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुये प्रख्यात साहित्यकार कल्याण गोण्डवी ने कहा कि हमें संसद तक अपनी आवाज बुलन्द करने के लिए जागरूक होकर संगठित होना होगा, संस्थान का प्रयास अत्यन्त सराहनीय है। हमें इसका विस्तार करना होगा। 1857 की क्रांति के अग्रदूत महाराजा देवी बख्श सिंह के वंशज माधोराज सिंह ने कहा कि 1857 में ही आजादी की लड़ाई का आगाज हिन्दी भाषा में हुआ। क्यों कि तब से लेकर अब तक हिन्दी भाषा में ही देश का बहुसंख्यक वर्ग अपनी भावाभिव्यक्ति हिन्दी में करते थे और कर रहे है इसी लिए इसे हिन्दुस्तान कहा गया। समारोह में संस्थान द्वारा संचालित पत्रिका ‘‘साहित्य सम्राट’’ के नये अंक का लोकार्पण किया गया।
समारोह का संचालन संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री डाॅ0 सम्राट अशोक मौर्य ने किया। बैठक में अपने विचार व्यक्त करने वाले प्रमुख साहित्यप्रेमियों में प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कुमार सिंह वत्स, संरक्षक मण्डल सदस्य अनिरूद्ध प्रसाद शुक्ल, विधिक सलाहकार डा0 रामकरन सिंह कुशवाहा, प्रेस क्लब अध्यक्ष महेन्द्र त्रिपाठी, सम्पादक शिवकुमार मिश्र, सचिव जे0पी0 चैधरी, चित्रकार जेपी गुप्ता, सपा नेता रामबक्श यादव, डाॅ0 आनन्द उपाध्याय, दीपचन्द्र राही, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विंध्यवासिनी शरण पाण्डिया आदि रहे।उक्त अवसर पर आशुकवि अशोक टाटम्बरी के नेतृत्व के काव्यपाठ भी हुआ, जिसके आनन्द शक्ति पाठक जयदीप पाण्डेय, गोविन्द सोनी आदि कवियों ने अपनी रचनाओं से आहलादित किया, उक्त अवसर पर उपस्थित रहने वाले प्रमुख साहित्यप्रेमियों में अंकित पटेल, वैद्य आर0 पी0 पाण्डेय, अशोक कुमार वर्मा, फूलचन्द यादव, उपेन्द्र शर्मा, अम्बिका नन्द त्रिपाठी, गुड़िया त्रिपाठी, डाॅ शशि मौर्य आदि रहे।