श्रीमद् भागवत कथा में दिखी मातृ दिवस की झलक
रूदौली । श्रीमद भागवत गीता में कहा गया है कि माँ की सेवा से मिला आशीर्वाद सात जन्म के पापों को नष्ट करता है।यही माँ शब्द की महिमा है असल में कहा जाए तो माँ ही बच्चे की पहली गुरु होती है एक माँ आधे संस्कार तो बच्चे को अपने गर्भ मैं ही दे देती है जिसका प्रमाण भी मिलता ।यही माँ शब्द की शक्ति को दर्शाता है उक्त बातें ग्राम बनगांवा में चल रही श्रीमद भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन लखनऊ से आये कथाव्यास सुधाकर महाराज ने कथा प्रेमियों को भगवान की कथाओं का रसपान कराते हुए कहा ।उन्होंने मातृ दिवस के अवसर पर कहा कि वह माँ ही होती है जो पीड़ा सहकर अपने शिशु को जन्म देती है और जन्म देने के बाद मॉं के चेहरे पर एक सन्तोषजनक मुस्कान होती है इसलिए माँ को सनातन धर्म में भगवान से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है ।श्री व्यास ने कथा प्रेमियो को कथा का रस पान कराते हुए कहा कि गीता में कहा गया है कि ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।’’ अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है कहा जाए तो जननी और जन्मभूमि के बिना स्वर्ग भी बेकार है क्योंकि माँ कि ममता कि छाया ही स्वर्ग का एहसास कराती है। जिस घर में माँ का सम्मान नहीं होता वो घर नरक से भी बदतर होता है ।उन्होंने कहा कि यदि नारी नहीं होती तो सृष्टि की रचना नहीं हो सकती थी। स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश तक सृष्टि की रचना करने में असमर्थ बैठे थे। जब ब्रह्मा जी ने नारी की रचना की तभी से सृष्टि की शुरूआत हुई।इस लिए दुनिया की हर नारी में मातृत्व वास करता है। नारी इस संसार और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पुत्री कुपुत्री हो सकती है, लेकिन माता कभी कुमाता नहीं हो सकती ।लेकिन आज के समय में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपने मात-पिता को बोझ समझते हैं। इस मातृ दिवस से अपनी गलतियों का पश्चाताप कर उनसे माफी मांगें। और माता की आज्ञा का पालन करने और अपने दुराचरण से माता को कष्ट न देने का संकल्प लेकर मातृ दिवस को सार्थक बनाएं।इस अवसर पर मुख्य यजमान गया प्रसाद यादव उनकी धर्मपत्नी रजपता देवी पूर्व प्रधान राम तेज यादव ,राम करन रावत ,अरविंद यादव ,शिव कुमार ,शिव बहादुर ,शिव दयाल यादव सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे ।