किसानों की मांग मानने के बजाय अत्याचार व दुष्प्रचार कर आंदोलन को कुचलना चाहती है मोदी सरकार
अयोध्या। सारे देश का पेट भरने वाला अन्नदाता आज अपनी माँग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर है। केंद्र सरकार के काले कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन को जायज ठहराते हुए आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने प्रदेश भर के पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की वो प्रदेश के हर उस आंदोलन का हिस्सा बने जहां किसान अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे है।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा कि किसानों को उनकी फसल का सही दाम न मिलने पर वो सड़कों पर उतर कर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रही है। वही मोदी सरकार किसानों की मांग मानने के बजाए, उन पर अत्याचार कर आंदोलन को कुचने का प्रयास कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है और दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों का स्वागत किया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के कायकर्ताओं से अपील की है कि प्रदेश में जहां भी किसानों का आंदोलन हो रहा वहां किसानों के समर्थन के लिए जरूर जाए।
उन्होंने कहा कि किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने एमएसपी खत्म करके अन्नदाता देश के करोड़ों किसानो के साथ धोखा किया है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश का किसान सड़कों पर लाठियां खा रहा है। यूपी का किसान 1000-800 रुपये क्विंटल अपना धान बेचने के लिये दर-दर की ठोकरें खा रहा है। आम आदमी पार्टी मानती है किसानों की मांग जायज है, आम आदमी पार्टी इसका पूर्ण रूप से समर्थन करती है। ऐसे में केंद्र सरकार किसान बिल को वापस ले।
उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र के लिए बहुत ही बुरा दिन था, जब सदन में ये बिल ध्वनि मत से पास किया गया था। राज्यसभा में अल्पमत में होते हुए भी बीजेपी ने ध्वनि मत से विधेयक इसलिए पारित कर दिया क्योंकि वे जानते थे कि इस पर मत विभाजन होने से बिल गिर पड़ता और सरकार की बेइज्ज़ती होती। सदन में इन विधेयकों का पास कर मोदी जी ने किसानों के डेथ वारंट पर दस्तख़त करने का काम किया है। इसलिए आम आदमी पार्टी इस बिल का विरोध करती है। प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा कि कृषि कानून पूरी तरह से काला कानून है। तीनों कृषि कानूनों में कही भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का उल्लेख नही है। इस बिल में असीमित भण्डारण की छूट दी गयी है। इससे पूंजीपति लोग किसानों की उपज कम दामों में खरीद कालाबाजारी करेगें। यह कानून कालाबाजारी, जमाखोरी और मंहगाई को वैधानिक मान्यता देने वाला है, जिससे मोदी जी के मित्र अम्बानी और अडानी को फायदा होगा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर उन्होंने कहा कि इस बिल में किसानों के हित से ज़्यादा कंपनियों के हित को ध्यान में रखा गया है। इस बिल के कारण कॉरपोरेट खेती पर हावी हो जाएंगे और किसान अपनी ही जमीन पर मज़दूर बनकर रह जाएगा। सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इस कानून की ज़रूरत थी? कॉन्ट्रैक्ट दो बराबर की पार्टियों में होता है। कानून इसलिए आता है कि वो कमजोर पक्ष को बचाए, लेकिन यह जो कानून बना है यह कमजोर पक्ष को बचाता ही नहीं है। यह तो दरअसल किसान को बंधुआ बनाने वाला है।
उन्होंने कहा कि इस बिल में कोई न्यूनतम शर्त नहीं है कि किस दाम में किसान अपनी फसल बेचे, फसल का दाम कुछ भी हो सकता है। किसानों के जो अपने एफपीओ हैं उसको भी कंपनी के बराबर दर्जा दे दिया गया है। इस बिल को लेकर सिविल कोर्ट की कोई दखलंदाज़ी नहीं हो सकती है। अगर एसडीएम ने फैसला दे दिया तो इसमें किसान कोर्ट में भी नहीं जा सकते। उन्होंने कहा तो केंद्र सरकार बताये किसानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कैसे है।