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जीन युक्त धान की किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता: डॉ. रविंद्रा

नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज  में हुआ व्याख्यान

मिल्कीपुर-फैजाबाद। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज फैजाबाद में भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के पूर्व निदेशक तथा देश के प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. रविंद्रा बाबू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के बीच महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। कृषि वैज्ञानिकों को प्रेरित करने वाले सम्बोधन के दौरान उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हमें ऐसी धान की किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता है जिनमें ऐसे जीन मौजूद हों जिनके द्वारा धान की फसल में ऊपर से सूक्ष्म पोषक तत्व डालने की जरूरत न हो वरन फसल सीधे भूमि से ही पोषक तत्वों को अवशोषित करने में समर्थ हो। धान की प्रजातियों और उनमें गुणवत्ता बढ़ाने में राष्ट्रीय एवम अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर महत्वपूर्ण योगदान दे चुके डॉ. रविंद्रा बाबू ने कहा कि यदि हम वैज्ञानिक तौर पर बायोफोर्टिफिकेशन द्वारा धान धान की प्रजातियों में जिंक,आयरन व प्रोटीन का प्रतिशत बढ़ा सके तो देश की कुपोषण समस्या से काफी हद तक पर पा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कुलपति प्रो .संधू जब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में कार्यरत थे तो इस कार्यक्रम के लिए पर्याप्त धन की उपलब्धता कराकर उन्होंने इसे सफल बनाने में अभूतपूर्व योगदान दिया था। अपने सम्बोधन में उन्होंने विद्यार्थियों तथा युवा वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे ईमानदारी व कठिन परिश्रम से देश के किसानों के आर्थिक उन्नयन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। किसानों के उत्पादों का मूल्य सम्वर्धन, उत्पादों को संरक्षित करने की सुविधाओं तथा उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाकर ही उनकी कृषि आधारित आय में आशानुकूल वृद्धि कर पाने पर जोर देते हुए कहा कि देश के किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने का संकल्प हमारे छात्र व वैज्ञानिकों के सक्रिय सहयोग से ही हासिल किया जा सकता है। इस अवसर पर कुलपति प्रो संधू ने डॉ. रविंद्रा बाबू को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया।

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