देश के पुनरुथान के लिए मंशा की आवयश्कता : प्रो. सुब्रमण्यम स्वामी

by Next Khabar Team
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अवध विवि के 24वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में भारत के पुनरुथान की दिशा विषय पर आयोजित व्याख्यान में शामिल हुए भाजपा राज्य सभा सांसद प्रो. सुब्रमण्यम स्वामी

अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में 24 वे दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में स्वामी विवेकानंद सभागार में भारत के पुनरुथान की दिशा विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य सभा के सांसद प्रो. सुब्रमण्यम स्वामी स्वामी एवं विशिष्ट अतिथि कौस्तुम्भ नारायण मिश्र तथा डॉ0 त्रिलोकी पांडेय रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राज्य सभा के सांसद प्रो. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि भारत के विशाल भू-भाग में एक समृद्ध संस्कृति परम्परा रही है। चीन के बौद्ध भारत को हिन्दू राष्ट संबोधित करते आये है। उन्होंने कहा कि 6 सौ के शाशन काल मे मुगलों ने हमे पस्त कर दिया। लड़ते लड़ते हमने अस्तित्व को खो दिया। विश्व के कई देशों को धर्म परिवर्तन करना पड़ा। देश के पुनरुथान के लिए मंशा की आवयश्कता है। भारत बनाना है तो सही इतिहास जानना जरूरी है। उन्होंने बताया कि अंग्रेज इसलिए भारत छोड़ कर गए क्योंकि इनका संकल्प था कि अब वे यहां ज्यादा दिन तक नही रह सकते। इसमें नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की रणनीति थी। लेकिन नेता जी को वह महत्व नही मिल पाया। 1943 में अंग्रजो को हराकर झंडा फहराया। अंग्रेज भारत छोड़कर गए और 603 राज रियासतो को स्वतंत्र करके चले गए। सरदार पटेल ने इन सभी रियासतों को एकीकरण का काम किया और नए भारत का निर्माण किया। कश्मीर का विलय भी इसी प्रकार भारत मे हुआ। पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा। कश्मीर का विलय विधि के अनुसार पूर्ण रूप से हो गया।परन्तु पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र संघ में जाने की भूल कर बैठे। संविधान निर्माण में 370 का प्रावधान भी एक बड़ी चूक हुई। इसका विरोध डॉ0 आंबेडकर ने भी किया। उन्होंने कहा कि 35-ए को हटाने के लिये सिर्फ राष्टपति के आदेश की आवयश्कता थी। कश्मीर को लेकर सिर्फ राजनीति होती रही पूरी दुनिया ने भारत का साथ दिया। पाकिस्तान को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। संयुक्त राष्ट्र से भी उसे खाली हाथ लौटना पड़ा। पी0ओ0के0 को भारत मे मिलाना सुरक्षा की दृष्टि से भी आवयशक है। एक वर्ष के भीतर भी पी0ओ0 के0 भी भारत का हिस्सा बन जायेगा। बलूचिस्तान भी मुक्त होकर भारत के साथ विलय चाहता है। भारत का नक्शा ठीक करना आवयशक हो गया है। प्रो0 स्वामी ने कहा कि 1950 में भारत को सयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद में शामिल करने के लिये रूजवेल्ट ने भारत का समर्थन किया। चाइना को हटाकर भारत को प्राथमिकता दी गई। परंतु जवाहरलाल नेहरू ने इस सीट को चाइना को देने की वकालत की। शक्ति को देखकर चाइना झुकता है। हमे अपनी ताकत बढ़ानी होगी।कोई भी आस्था को चुनौती नही दे सकती है। संविधान के अनुच्छेद 25 में मूलभूत अधिकार पूजा करने का है। उन्होंने कहा कि धारा 301-ए में भारत सरकार को अधिकार है कि किसी भूमि को राष्ट हित में अधिग्रहित कर सकता है।उन्होंने कहा कि विश्व संस्कृत सबसे उपयुक्त भाषा है नासा ने शोध में स्पस्ट किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा माना है। लंदन में संस्कृत 6 से 11 वर्ष के बच्चों को सिखाई जाती है। इससे मानसिक विकास होता है। भारत मे जो ज्ञानी एवं त्यागी है वही सबसे धनी है।उन्होंने कहा कि भारत मे सभी महिलाओं को बराबरी का अधिकार है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि प्रो0 स्वामी एक योद्धा के रूप में स्वयं को स्थापित किया है। उन्होंने राष्ट्रीय हितों को हमेशा प्राथमिकता दी है। ज्ञान की विधा पर 50 वर्षों में देश को काफी कुछ दिया है। प्रो0 दीक्षित ने कहा कि स्वामी जी अपनी बात अंतर्मन से कहते है। यह कोई राजनैतिक भाषण नही है। भारत के परिवर्तन के लिये स्पस्ट संदेश है।
विशिष्ट अतिथि कौस्तुम्भ नारायण मिश्रा ने कहा कि स्वामी जी अर्थ शास्त्री ही नही भारत और भारतीयता गणित को समझते है। स्वामी जी तथ्य के मर्म को गहराई से समझते है। जिओलॉजी से जियोग्राफी के सिद्धान्त को स्वीकार किये। भारत नंगा पर्वत से बह्मपुत्र की घाटी तक संस्कृति देश को समेटे हुए है। पिछले 2 सौ वर्षों का इतिहास भारत का अंधकार युग कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत राजनीतिज्ञों द्वारा की गई भूल पर प्रकाश डाला। छात्र अधिष्ठाता कल्याण प्रो0 आशुतोष सिंह ने विश्वविद्यालय की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यर्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। कुलपति द्वारा मुख्यअतिथि को पुस्तक एवं स्मृति चिन्ह भेट किया। दृश्य कला द्वारा पोट्रेट भेट किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 नीलम यादव ने किया। इस अवसर पर श्रीमती स्वामी, श्रीमती आरती दीक्षित, कुलसचिव रामचंद्र अवस्थी, परीक्षा नियंत्रक उमानाथ, मुख्य नियंता प्रो0 आर एन राय, प्रो0 अशोक शुक्ल, प्रो0 एम0पी0 सिंह,प्रो0 आर0के0 तिवारी, प्रो0 एस0एस0 मिश्र, प्रो0 मृदुला मिश्रा सहित बड़ी संख्या में जनसमूह उपस्थित रहा।

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