-अवध विवि द्वारा ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता प्रशिक्षण
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र तथा महिला शिकायत एवं कल्याण प्रकोष्ठ द्वारा माधवपुर मसौधा में बांस की उपयोगिता एवं उद्यमिता विषय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि महिला उद्यमी पूर्णिमा साहू ने ग्रामीण महिलाओं को बांस को काटने की विधि, बांस को चिकना करने की विधि तथा उसको जोड़ने की विधि से प्रशिक्षित किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने बनाए गए सामान का मूल्य कैसे निर्धारित करना, मूल्य का निर्धारण, सामान की मात्रा के टिप्स दिए।
कार्यक्रम में पूर्णिमा ने बताया कि रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए संसाधनों की कमी नहीं है। अपने आस पास की अलग-अलग की चीजों से भी कुछ ऐसी उपयोगी वस्तु बना सकते हैं। ऐसा होने से रोजगार बढ़ाने के साथ-साथ अपनी आय को भी बढ़ा सकते हैं। प्रकृति ने हमें बहुत से ऐसे संसाधन दिए है जैसे बांस, मिट्टी, फूल जिसे आप इन सबसे बहुत सुंदर से सुंदर एवं बहुउपयोगी चीजों को तैयार कर सकते है। कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बांस का उपयोग कर हम बहुत सी ऐसी चीज बना सकते हैं जैसे बास की बनी बोतल में पानी ठंडा रहता है।
मोबाइल स्टैंड, मोबाइल चार्जिंग स्टैंड, फ्लावर पॉट, टेबल लैंप, लेटर बॉक्स इत्यादि चीजों को निर्माण कर सकते है। बांस आसानी से बहुतायत मात्रा में मिल सकता है और इसको बनाने की लागत काफी कम होती है। अपना रोजगार चलाने के लिए बहुत से पैसे की जरूरत नहीं होगी। यदि कोई सामान टूट भी जाता है तो आसानी से मरम्मत कर उपयोग में ला सकते हैं। कार्यक्रम में पूर्णिमा ने कहा कि यदि इस तरह की चीजों को हम उपयोग में लाते हैं तो पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है।
कार्यक्रम में प्रकोष्ठ की सदस्य डॉ0 महिमा चैरसिया ने बताया कि बांस की फसल 5 वर्षों में अपनी उपज देने लगती है। इस पर सूखे तथा बरसात का कोई भी असर नहीं पड़ता है। यह एक ऐसा संसाधन है जिसको हम काट के पुनः लगाकर फिर से उसको उत्पन्न कर सकते हैं। यदि इसका उपयोग करके रोजगार परख वस्तु बनाकर महिलाएं अपनी आय बढ़ती हैं तो इससे अच्छा रोजगार का साधन क्या हो सकता है। इससे बनी चीजों का उपयोग करके दुनिया में व्याप्त प्लास्टिक प्रदूषण को भी कम कर सकते हैं।
सरकार भी बांस मिशन योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर इस कार्य को प्रोत्साहित कर रही है। तथा इस योजना के अंतर्गत बस की बहुत सी प्रजातियां जैसे बैम्बूसा बाल्कोआ, बैम्बूसा न्यूटन्स, बैम्बूसा, डैन्ड्रोक्लेमस हैमिल्टोनी और डैन्ड्रोक्लेमस जाइजेन्टियस जैसी प्रजातियों के पौधे उगाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 स्नेहा पटेल द्वारा किया गया। इस अवसर पर ग्राम प्रधान ऋषिकेश वर्मा, डॉ0 मनीषा यादव, डॉ0 प्रतिभा त्रिपाठी, सुश्री गायत्री वर्मा, संगम लाल वर्मा एवं गांववासी उपस्थित रहें।