-राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन में संत राम गिरी पर कार्रवाई की मांग की
अयोध्या। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब पर की गई अभद्र टिप्पणी से मुस्लिम समाज नाराज़ है। गुरुवार को नारेबाज़ी करते सीओ व राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से भेजा। आरोप है कि महराष्ट्र के एक संत रामगिरी ने पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के ऊपर अपमानजनक बयान दिया था जिसके विरोध में शहर की जामा मस्जिद टाटशाह में क़ाज़िए शहर मुफ़्ती मौलाना शमसुल क़मर क़ादरी अलीमी के नेतृत्व में सैकड़ों मुस्लिमो ने एक विरोध जुलूस निकाला। और राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन दिया।
ज्ञापन के माध्यम से अयोध्या के मुस्लिम समाज के लोगों ने राष्ट्रपति से कहा है कि मुसलमान विगत दिनों कथित संत रामगिरि द्वारा पैगम्बर-ए-इसलाम हज़रत मोहम्मद साहब की शान में अभद्र व अपमान जनक बयान दिये जाने की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कहना चाहते है कि उसके इस घिनौने कृत्य से न सिर्फ भारत के मुसलमानों बल्कि पूरी दुनिया में इस्लाम को मानने वालों को गहरा सदमा व उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है। उसके इस कृत्य के खिलाफ अभी तक सरकार द्वारा कानूनी कार्रवाई नहीं की गई जिससे हम अयोध्या के मुसलमानों में न सिर्फ आक्रोश है बल्कि सरकार की खामोशी से लगता है कि रामगिरि को सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
विरोध जुलूस निकाल रहे मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि इससे पहले भी कई हिन्दू धार्मिक, नेताओं व भाजपा के नेताओं द्वारा इस्लाम, कुरान व पैगम्बर पर खुलकर अभद्र व अपमान जनक टिप्पणी और बयानात दिये जा चुके हैं। ज्ञापन के माध्यम से मुस्लिम समाज के लोगों ने राष्ट्रपति से मांग की है कि उक्त रामगिरी के खिलाफ मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने, देश की सम्प्रदायिक सद्भावना को खन्डित करने, देश की अखण्डता व संविधान को चुनौती देने के संगीन अपराध करने के आरोप में तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजने की लिए सरकार को आदेश/निर्देश देने की कृपा करें।
ज्ञापन में कहा गया है कि इससे पहले कथित धार्मिक व राजनैतिक नेताओं व समाज विरोधी तत्वों द्वारा कुरान, इस्लाम व पैगम्बर के खिलाफ अभद्र व अपमान जनक बयान दिया गया। ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई करने का सरकार को आदेश / निर्देश देकर ऐसे समाज विराधी लोगों पर कड़ी कार्रवाई करें जिससे ऐसा बयान देने की हिम्मत न कर सके। इस दौरान मामले की गंभीरता को देखते सुरक्षा के पुख्ता इंतेज़ाम किये गए थे। विरोध दर्ज कराने वालों में प्रमुख मस्जिदों के पेश इमाम मदरसों के ओलमाए किराम के अलावा मुस्लिम समाज के लोग मौजूद रहे।