-जिला चिकित्सालय में वैलेंटाइन्स डे प्रेरित -किशोर मनचली मनोदशा” शोध कार्यशाला आयोजित
-वैलेंटाइन्स डे का जोर, फ्लर्ट फिलिक होते किशोर
अयोध्या। इन दिनों युवा व किशोर किशोरियों में बढ़ती मनचले-मन की मनोदशा ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। रोड-रोमियों या मनचले या अन्य उपनामों से जाना जाने वाला यह शब्द एक मनोसामाजिक मुद्दा बनकर उभर चुका है।
किशोर मनोस्वास्थ्य क्लीनिक व सिफ़्सा के यूथ फ्रेंडली क्लब के संयुक्त तत्वाधान में महीने तक किए गए निदानात्मक शोध में मनचली मनोवृत्ति और फ़्लर्ट फिलिया जो कि इम्पल्स कंट्रोल डिसआर्डर का ही एक रूप है,के बीच प्रबल धनात्मक सहसंबंध पाया गया है। ऐसे किशोर व युवाओं ने अपनी इम्पल्स या रूग्ण-मनोवेग को नियंत्रित कर पाने की क्षमता में भारी कमी की स्वीकारोक्ति के साथ ही दोस्तों की मौजूदगी में मनोवेग के ताकतवर होने को भी स्वीकार किया। इस प्रकार दोस्तों की संगति मनचले व्यवहार के उत्प्रेरक के रूप में प्रभावी दिखी। साथ ही वैलेंटाइन्स डे के विकृत रूप को ही किशोर व युवाओ द्वारा रोमांटिक लव पार्टनर की नई खोज के रूप ने मनोउत्प्रेरक का काम करना शुरू दिया जो कि वैलेंटाइन्स वीक से शुरू होकर वर्ष भर छद्म प्रेमी युगल बनने और बनाने की मनचली मनोदशा से आशक्त हो जाता है।
सोशल मीडिया है उत्प्रेरक:
जिला चिकित्सालय के किशोर व युवा मनोपरामर्शदाता डा0 आलोक मनदर्शन के अनुसार किशोर व किशोरियो का यह मनचला व्यवहार धीरे-धीरे एक मादक खिचाव का रूप ले लेता है जिसका एक्टिव रूप रोड-रोमिओ या मनचले व्यवहार के रूप में तथा पैसिव रूप सोशल मीडिया की मनचली चैटिंग के रूप में दिखाई पड़ती है।
दुष्प्रभाव:-
मनचले व्यवहार के किशोर व युवा आगे चलकर कम्पल्सिव-इम्पलसिव डिसआर्डर के शिकार हो जाते है, नतीजन उनमें एकांकीपन, आत्मविश्वास में कमी, आक्रोशित व्यवहार व अवसाद या उनमाद जैसी रूग्ण मनोदशा इस प्रकार हावी हो जाती है कि पढ़ाई व अन्य सकारात्मक कार्यों से उबन, अनिद्रा व अल्पनिद्रा, सर दर्द व चिड़चिड़ापन, जेन्डर आधारित हिंसा व दुर्घटना, मनोसेक्स विकृति व नशाखोरी की सम्भावना प्रबल हो जाती है।
बचाव व उपचार:-
ऐसे किशोर किशोरियो की अन्तर्दृष्टि जागरूकता के माध्यम से उनमें रूग्ण- मनोवेग की पहचान करने तथा कम्पलसिव व्यवहार को रोकने की चेतना विकसित की जाती है। बुरी संगति से दूर रहने तथा सोशल मीडिया पर अपने इम्पलसिव व्यवहार पर संयम रखने का अभ्यास सकारात्मक परिणाम देता है। अभिभावक भी रोल माडलिंग करते हुए मैत्रीपूर्ण व सजग व्यवहार रखें। रचनात्मक, मनोरंजक व स्पोर्टिंग गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जरूरत पड़ने पर मनोपरामर्श भी कागनिटिव थिरैपी बहुत ही कारगर है।