सिंधी लोकगीतों व शहनाई के साथ निकली शोभायात्रा
फैजाबाद। 66वाॅं प्रभु झूलेलाल महोत्सव अगाध श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। प्रातः काल से ही संत नवलराम मन्दिर में कलश पूजन व हवन श्री भीमन दास माखेजा, राम चन्दर रामानी, दीपचन्द, टेकचन्द राहेजा के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। उक्त जानकारी देते हुए समिति के प्रवक्ता पुरूषोत्तम दासवानी ने बताया कि दो दिवसीय महोत्सव के माध्यम से धार्मिक अनुष्ठान आस्था के साथ पूर्ण करने के संग राष्ट्रवाद की भावना को प्रमुखता से जन-जन में फैलाया जाता है। अपरान्ह विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया। तत्पश्चात् दोपहर 2.00 बजे विशाल शोभायात्रा को हरी झण्डी दिखाकर संरक्षक दयालदास मदान, राजकुमार मलकानी ने रवाना किया। शोभायात्रा का नेतृत्व अध्यक्ष मोहन मंध्यान, सत्य प्रकाश राजपाल, गिरधारी चावला, ओम प्रकाश अन्दानी, कमलेश केवलानी, ओम प्रकाश ओमी, सुरेश पंजवानी, जय प्रकाश क्षेत्रपाल, राकेश तलरेजा, दीपक आहूजा इत्यादि ने किया। शोभायात्रा में प्रभु झूलेलाल की पालकी के साथ अगाध श्रद्धा व उल्लास के साथ प्रसाद ग्रहण किया।
शोभायात्रा में सिंधी नवयुवकों ने अपना परम्परागत नृत्य छेज प्रस्तुत किया। सिंधी लोकगीतों की प्रमुख शहनाई ने पूरे शोभायात्रा के दौरान गुंजायमान होती रही। शोभायात्रा में प्रमुख रूप से योगराज साधवानी, गोविन्द चावला, विजय लखमानी, कैलाश साधवानी, मनीष मंध्यान, सुखदेव रावलानी, ओम प्रकाश ओमी, गौरव मदनानी, सौरभ लखमानी, ओम मोटवानी, कमल रावलानी, राजेश जसवानी, विवेक अमलानी, सुमित माखेजा, संदीप मंध्यान, कैलाश लखमानी, विशाल लखमानी, नीरज पंजवानी, संतोष सेहता, हरीश मंध्यान, ंिपंकेश चावला, महेन्द्र जीवानी, वेद प्रकाश राजपाल, नानकराम, नरेन्द्र क्षेत्रपाल आदि उपस्थित रहे। शोभायात्रा के दौरान मुस्कान सावलानी, किरन पंजवानी, प्रिया वलेशाह, मोना दासवानी, नीलम रहेजा, जया रहेजा, भारती खत्री, सपना राजपाल, चम्मा बजाज, सीमा रामानी, चेतना वासवानी, बबिता माखेजा, सुमित्रा मलकानी, जमुना माखेजा आदि ने व्यवस्था संभाल रखी थी।
देर रात शोभायात्रा का अन्तिम पड़ाव सिविल लाइन पर सम्पन्न हुआ। तत्पश्चात् वाहनों से लोग गुप्तारघाट पहुॅंचा। गुप्तारघाट पर प्रह्लाद सेवा समिति द्वारा भण्डारे का आयोजन किया गया। संत नितिन लाल एवं साथियों द्वारा प्रभु झूलेलाल के पारम्परिक पंजडे, पल्लव, अरदास व आरती के कार्यक्रम सम्पन्न हुए। जनसमुदाय ने अश्रुपूरित नेत्रों से प्रभु झूलेलाल की पालकी (बहिराणा) का विसर्जन सम्पन्न किया।