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मछली पालन से आय दोगुनी कर सकते हैं पशुपालक : विवेकानंदन

-मत्स्य पालन व एक्वाकल्चर में हालिया तकनीकि प्रगति विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत

मिल्कीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में “मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर में हालिया तकनीकि प्रगति” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का गुरुवार को शुभारंभ हुआ। विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह के दिशा-निर्देशन में मत्सियकी महाविद्यालय द्वारा यह कार्यक्रम विवि के हाईटेक हाल में आयोजित किया गया। शिविर को संबोधित करते हुए बतौर मुख्यअतिथि प्रधान वैज्ञानिक डा. ई. विवेकानंदन ने कहा कि मीठे पानी में रोहू, केटला, मिरगल, कॉमन कार्प, ग्रास कार्प व इंडियन मेजर कार्प किस्म की मछलियों को पाला जाता है।

इसी प्रकार खारे पानी में सफेद झींगा की खेती कर सकते हैं। झींगा मछली बाजार में लगभग 300 से 350 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है। प्रति हेक्टेयर जमीन में लगभग 30 टन मत्स्य पालन किया जा सकता है, जो एक अच्छे मुनाफे का व्यवसाय हो सकता है। मत्सियकी महाविद्यालय के प्रभारी डॉ चंद्रशेखर सरकार द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए 40 से 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने बताया कि मत्स्य रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम (आरएएस) से 30 से 35 टन मछली की पैदावार करके बेहतर आय अर्जित की जा सकती है।

नाहेप के मुख्य अन्वेषक डॉ. डी नियोगी ने बताया कि नाहेप परियोजना अंतर्गत छात्रों को समय-समय पर ट्रेनिंग एवं वर्कशॉप के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। कार्यक्रम से पूर्व डा. सी.पी सिंह ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। स्वागत संबोधन डा. चंद्रशेखर व संचालन डा. राधाकृष्णन ने किया। इस मौके पर कुलपति के सचिव डा. जसवंत सिंह डा. वेदप्रकाश, डा. नमिता जोशी, डा. लक्ष्मी प्रसाद, डा. सीपी सिंह डा. दिनेश कुमार, डा.एस.के वर्मा, डा. शशांक सिंह सहित छात्र-छात्राएं मौके पर मौजूद रहे।

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