-कृषि कानून वापसी की मांग को लेकर सौंपा राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन
अयोध्या। केंद्र सरकार द्वारा जबरन पारित कराए गए कृषि विरोधी काले कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के 6 माह पूरे होने पर संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आवाहन पर वामदलों द्वारा आज यहां भी काला दिवस मनाया गया। इसी क्रम में मोहबरा बाजार के निकट स्थित क्रांति वाटिका में धरना प्रदर्शन और सरकार विरोधी नारेबाजी के साथ कृषि कानूनों की तत्काल वापसी की मांग को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेजा गया।
ज्ञापन में सभी कोरोना पीड़ितों की मुफ्त जांच, दवा इलाज व वैक्सीन उपलब्ध कराने, सभी गरीब परिवारों को दस हजार रुपए प्रतिमाह लाकडाउन भत्ता एवं पन्द्रह किलो प्रति यूनिट राशन उपलब्ध कराने तथा सरकार की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के कारण अस्पतालों में दम तोड़ने वाले मरीजों के परिवारों को बीस बीस लाख रूपए मुआवजा दिए जाने की भी मांग की गई है। इस अवसर पर वाम नेताओं ने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश की तमाम बहुमूल्य सम्पदा की तरह खेती किसानी को भी अपने चन्द पूंजीपति मित्रों के हाथों बेच डालने पर आमादा है लेकिन इसके खिलाफ लगातार संघर्षरत किसानों के साथ देश की जनता भी लामबंद हो चुकी है और काले कृषि कानूनों की वापसी तक यह आंदोलन न सिर्फ जारी रहेगा बल्कि आने वाले दिनों में और भी तेज होगा। इस अवसर पर भाकपा राज्य काउंसिल सदस्य अशोक कुमार तिवारी, भाकपा (माले) जिला प्रभारी अतीक अहमद, खेत मजदूर यूनियन के जिलाध्यक्ष अखिलेश चतुर्वेदी, भाकपा नेता अमरनाथ वर्मा, राजकपूर उपस्थित रहे।
इसके अलावा जिले में शहरी क्षेत्र से लेकर सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचलों तक दर्जनों स्थानों पर किसान आन्दोलन के समर्थन में काला दिवस मनाया गया जिसमें विभिन्न वामदलों और उनके जनसंगठनों के कार्यकर्ताओं ने झण्डे बैनर से लैस होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, कई तरह के स्लोगन लिखे हुए प्ले कार्ड लहराए और भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों को लेकर अपना कड़ा आक्रोष व्यक्त किया।
पुलिस ने भाकपा नेता को किसान आन्दोलन में शामिल होने से रोका
अयोध्या। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सूर्य कांत पाण्डेय को उनके ओमपुरम कालोनी स्थित आवास पर स्थानीय पुलिस ने किसान आंदोलन में शामिल होने पर रोका। प्रातःकाल लगभग10 बजे देवकाली चौकी के दो सिपाही एवं एक सब इंस्पेक्टर ने आवास पर पहुंचकर घर मे ही रहने की हिदायत देकर बैठ गए औंर बारह बजे तक बैठे रहे।
श्री पाण्डेय ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन से डर गई है।सरकार के पास लोकतान्त्रिक रास्ते बंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि जनपद में भाजपा के प्रति लोगों मे व्यापक आक्रोश है जिसका परिणाम पंचायत चुनाव मे स्पष्ट दिखाई दिया है परंतु केंद्र औंर प्रदेश सरकारें मदांध है।किसानों का गेहूं खरीदा नही जा रहा है, खादों, कीट नाशक दवाइयां, डीजल के दाम बेतहाशा बढ़े हैं जिसका सीधा दुस्प्रभाव किसानों पर पड़ रहा है।छात्रों की पढ़ाई बीमार की दवाई प्रदान करने मे सरकार औंर प्रशासन विफल है।अमित मौर्या आत्महत्या प्रकरण की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।उस परिवार को न्याय से वंचित किया जा रहा है। भाकपा नेता ने आरोप लगाया कि सरकार औंर प्रशासन का तालमेल पूरी तरीक़े तार तार हैं जिसका खामियाजा देश का छात्र नौजवान, बृद्ध, विधवा, महिला, किसान औंर मुसलमान भुगतने को मजबूर हैं।
नौकरशाह औंर पूजीवादी लूट रहे हैं गरीब औंर गरीब हो रहा है।सरकार के साथी उद्योग पति रोज नई उंचाइयां छू रहे है।उन्होंने कहा कि इस प्रकार की जनविरोधी, पूंजीवादी सरकारों से जनता का भला नही होने वाला है।सरकार को हटाने के लिए मजबूत लोकतांत्रिक ढांचे वाले वामपंथी दलों की साझा मुहिम शुरू किया जाएगा।उन्होंने जनपद मे जगह जगह वामदलों के नेताओं को रोकने की निंदा करते हुए इसे लोकतांत्रिक देश का काला दिन बताया।