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अवधी संवर्धन के लिए बनाना होगा वोट की भाषा

बतकही कार्यक्रम में अवधी विद्धानो का हुआ जमावड़ा

अयोध्या। डा. रामनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में देश विदेश में सम्मानित अवधी भाषा के विद्वानों का पुरातन छात्र सभा के बतकही मंच जमावड़ा हुआ बतकही में इस बार का विषय अवधी भाषा पर रहा जिसमें अवधी के प्रख्यात विद्वानों ने चर्चा परिचर्चा करते हुए कहा कि अवधी हिन्दुस्तान की प्राण है. इसके संवर्धन हेतु इसे वोट की भाषा बनाना होगा। अवधी के आदि कवि तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस को विद्वानों द्वारा अवधी की सर्वश्रेष्ठ कृति बताया गया। कार्यक्रम का आयोजन डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में आयोजित किया गया. इस दौरान विद्वत जनों ने अवधी भाषा के जनमानस पर प्रभाव उसके उन्नयन ,स्वरूप, संवर्धन व उसकी उपयोगिता पर संवाद किया. कार्यक्रम की शुरुआत अवधी के साधक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ द्वारा गऊंवा हमार पर मलिक मोहम्मद जायसी सम्मान से सम्मानित मदन मोहन पांडे ने अवध वाणी वंदना का गायन करते हुए कहा वंदने रे मइया अर्चन रे मइया, करव मैं तेरे चरण कमल वंदन से शुरू किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलन न्यूयॉर्क में विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित जगदीश पीयूष जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि बोलियों व साहित्य के लिए सरकार कार्य कर रही है. उन्होंने कहा अवधी भाषा के उत्थान के लिए अवधी बोली जनपदों में सर्वे किया जाए साथ ही वोट की भाषा अवधी हो. पीयूष जी ने कहा राहुल सांकृत्यायन ने कहा है, हिंदी के कवि अपनी धानी और अपने तेल में ही व्यस्त रहते हैं, उन्हें सम्पादन का कार्य भी करना चाहिए। कार्यक्रम के वक्ता मथुरा सिंह जटायु ने कहा आज भाषाओं में सबसे दयनीय स्थिति अवधी की है. उन्होंने कहा मानस में तुलसीदास ने अवधी को भाषा कहा है और आज हम अवधी बोलते हैं तो लोग उसे गंवारू भाषा समझते हैं. उन्होंने कहा अवधी जन भाषा है. सेवा निवृत्त शिक्षक प्रताप नारायण शुक्ला ने कहा कि आज इस पुनीत अवसर पर हमें अवधी के श्रेष्ठ विद्वानों को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है. हम निश्चित ही बेहतर सीख कर जा रहे हैं ।
बतकही में डॉ सुशील पांडे साहित्येन्दु ने कहा अवधी के लोक साहित्य, लोक धर्म में भारत के प्राण हैं. ष्ए रानी देख विचारी, एहि नहियर रहिना दिन चारी ष् पंक्ति प्रस्तुत करते हुए कहा इन दो पंक्तियों में इतना रूप रस है कि इस पर बोलते बोलते घंटा दो घंटा बीत जाएगा. श्री पांडे ने संवाद करते हुए कहा अवधी सदाबहार भाषा है. यह सौंदर्य रूप रस और आनंद की भाषा है। दर्जनों देशों में अवधी की पताका फहरा रहे पेशे से प्राइमरी के शिक्षक व अवध विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र राम बहादुर मिश्रा ने कहा विश्व में दो ही कथा प्रचलित है पहली राम कथा दूसरी बौद्ध कथा और दोनों अवध से हैं.उन्होंने कहा अवधी का कोई कभी दरबारी नहीं हुआ साथ ही उन्होंने अवधी भाषा के शोध पर जोर दिया और बताया अवधी भाषा में लगभग 400 से ज्यादा शोध हो चुके हैं साथ ही उन्होंने बताया कि नेपाल में 10 चैनल अवधी भाषाओं में प्रसारित होते हैं। कार्यक्रम का संयोजन पुरातन छात्र सभा ने किया और इस दौरान पुरातन छात्र सभा के अध्यक्ष व विश्वविद्यालय कार्यपरिषद सदस्य ओमप्रकाश सिंह ने कहा तमिल ,उड़िया, तेलुगु, बंगाली को भाषा का दर्जा है. अवधी जिसे 15 करोड़ से ज्यादा लोग बोलते हैं इसे भाषा के रूप में संविधान में जगह नहीं दी गई है। कार्यक्रम का संचालन शहीद अशफाक उल्ला खां शोध संस्थान के निदेशक सूर्यकांत पांडे ने किया । कार्यक्रम में पुरातन छात्र सभा की अनामिका पांडे, वि0 वि0 के हिंदी विभाग के समन्वयक डॉ सुरेंद्र मिश्र, आशीष मिश्रा, पत्रकारिता विभाग से वैभव तिवारी अर्चना द्विवेदी,अभिषेक सावंत आदि साहित्य प्रेमी मौजूद थे।

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