कई दशकों से गणेश परिक्रमा कर रहे पीड़ित मजदूर
अयोध्या। उ.प्र. श्रम न्यायालय फैजाबाद लगभग तीन सालों से न्यायाधीश विहीन है जिसके कारा दूर दराज के जनपदों के पीड़ित मजदूर न्याय पाने की आस में गणेश परिक्रमा करने को मजबूर हैं। न्यायालय में लगभग कई सैकड़ा पीड़ित मजदूरों का वाद लम्बित है।
गाजीपुर के पीड़ित श्रमिक उमा पाल व झुनकुन पाल बताते हैं कि वह इण्डोगल्फ फर्टिलाइजर्स सुल्तानपुर में लेबर के रूप में कार्य करते थे 15-16 साल पहले उन्हें और 54 श्रमिकों को फर्टिलाइजर्स कम्पनी ने छटनी कर दिया। श्रम परिवर्तन अधिकारी न्यायालय सुल्तानपुर ने न्याय के लिए उन्होंने अपील किया। वर्षों वहां मुकदमा लम्बित रहा और अन्त में खारिज कर दिया गया। थक हार कर उन्होंने अगली अपील उ.प्र. श्रम न्यायालय फैजाबाद में किया। श्रमिकों को हर माह पड़ने वाली पेशी में आना पड़ता है परन्तु बीते तीन सालों से किसी न्यायाधीश के न होने के कारण उनके मुकदमें की सुनवाई नहीं हो पा रही है। उन्होंने बताया कि ऐसे सैकड़ों पीड़ित मजदूरों के मुकदमें उनकी पत्नियां लड़ रही हैं क्योंकि पीड़ित श्रमिकों की मौत हो चुकी है। यह ऐसा श्रम न्यायालय है जो गाजीपुर, बलिया, सुल्तानपुर, अमेठी गोण्डा बहराईच आदि जनपदों के मुकदमें देखे जाते हैं। तारीख पर पीड़ित श्रमिक हजारों रूपये खर्च कर फैजाबाद आता है और न्यायाधीश न होने के कारण वह खाली हाथ वापस लौट जाता है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश श्रम न्यायालय फैजाबाद में न्यायाधीश नियुक्ति की जो व्यवस्था है उसके तहत अवकाश प्राप्त जिला न्यायाधीश की नियुक्ति की जाती है। सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीशों की रूचि श्रम न्यायालय के न्यायाधीश बनने में न होने के कारण अक्सर सालों साल न्यायालय न्यायाधीश विहीन रहता है। सरकार और विभागीय प्रशासन भी वादकारियों के हित में कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर रहा है। प्रदेश स्तर का मुख्य श्रम न्यायालय इलाहाबाद में स्थित है जहां उ.प्र. श्रम न्यायालय में मुकदमा खारिज होने के बाद ही अपील सम्भव है।