-सीएमओ के निर्देश पर हुई कार्रवाई, स्वास्थ्य एवं तहसील प्रशासन को अस्पताल संचालक नहीं दिखा सका कोई कागजात
मिल्कीपुर। कुमारगंज नगर पंचायत क्षेत्र स्थित अली हॉस्पिटल के नाम से संचालित प्राइवेट अस्पताल में बिना योग्य सर्जन के प्रसव पीड़ित महिला का ऑपरेशन कर प्रसव करने के दौरान नवजात शिशु की हुई मौत के मामले मे आखिरकार तूल पकड़ लिया है। स्वास्थ्य विभाग एवं तहसील प्रशासन नींद से जाग गया और सोमवार को अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों को निकटतम अस्पतालों में शिफ्ट करने के उपरांत सील कर दिया गया है। बताते चने की तिंदौली निवासी सोनू दुबे की पत्नी सुधा दुबे को परसों पीड़ा होने पर परिजनों ने कुमारगंज बाजार स्थित एक निजी अस्पताल में पहुंचाया था। जहां अस्पताल संचालक कथित डॉक्टर भारत कुमार ने मात्र 7 माह की गर्भवती महिला का तत्काल ऑपरेशन न कर दिए जाने पर जच्चा बच्चा दोनों की जान का खतरा बता दिया। इससे घबराकर परिजनों ने कथित डॉक्टर को ऑपरेशन किए जाने की इजाजत दे दी।
ऑपरेशन के तुरंत बाद नवजात शिशु की मौत हो गई और महिला की हालत गंभीर हो गई। इसके बाद कथित डॉक्टर एवं अस्पताल संचालक ने महिला के पति सोनू दुबे से 40 हजार रुपए की मांग कर ली थी। इसके बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया, उन्होंने आरोप लगाया कि महिला का ऑपरेशन आयुष चिकित्सक ने किया है जो कि ऑपरेशन के योग ही नहीं है।लापरवाही पूर्वक किए गए ऑपरेशन से ही नवजात शिशु की मौत हुई और महिला की हालत बिगड़ गई है। इसके बाद सीएमओ अयोध्या डॉ संजय जैन हरकत में आए और उन्होंने पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खण्डासा के अधीक्षक डॉ आकाश मोहन को मौके पर भेजा।
अधीक्षक ने अस्पताल के संचालक से रजिस्ट्रेशन सहित अन्य आवश्यक कागजात मांगे किंतु वह कोई भी प्रपत्र उन्हें नहीं दिखा सका। इसके बाद तहसीलदार प्रदीप कुमार सिंह भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने तत्काल अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों को एंबुलेंस बुलाकर उनके समुचित उपचार हेतु दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट कराया। इसके उपरांत तहसीलदार मिल्कीपुर एवं सीएचसी प्रभारी खंडासा की मौजूदगी में अली हॉस्पिटल को सील किया गया। कार्यवाही में मौजूद सीएससी अधीक्षक ने कथित डॉक्टर को अस्पताल से संबंधित समस्त कागजात एवं समस्त शैक्षणिक अभिलेख सीएमओ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए।
तहसीलदार प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि समाचार का संज्ञान लेकर अस्पताल सील कर दिया गया है। आवश्यक निर्देश भी अस्पताल संचालक को दे दिए गए हैं। कार्यवाही करने पहुंचे अधीक्षक डॉक्टर आकाश मोहन ने बताया कि बीएएमएस डिग्री धारक को अंग्रेजी दवा खाना खोलना सहित अस्पताल संचालन हेतु कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रथम दृश्ट्या अस्पताल पूरी तरह से अवैध है। फिर भी संचालक के विरुद्ध कोई मुकदमा नहीं दर्ज कराया गया जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है। स्थानीय पुलिस ने पहले ही संचालक को अभयदान दे दिया था।
प्रशासन समय रहते जाग जाता तो शायद नवजात शिशु की जान न जाती
काश जिले का स्वास्थ्य महकमा और तहसील प्रशासन समय रहते जाग जाता तो शायद नवजात शिशु की जान न जाती। तहसील क्षेत्र में कुटीर उद्योग के रूप में दर्जनों प्राइवेट अस्पताल फल फूल रहे हैं जिन पर सीएचसी और सीएससी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों सहित गांव की आशा बहुओं की कृपा बरस रही है जो की भोले भाले एवं परेशान ग्रामीणों को उत्तम सुविधा तथा कुशल डॉक्टरों के मौजूदगी में इलाज कराए जाने का झांसा देकर उन्हें उन अस्पतालों तक पहुंचाते हैं।
इसके एवज में उन्हें इन प्राइवेट अस्पतालों द्वारा अच्छा खासा कमीशन भी दिया जाता है। यही नहीं इन अस्पतालों के कर्मचारियों द्वारा क्षेत्र के तमाम ग्राम प्रधानों के पास फोन करके उन्हें भी आर्थिक लाभ दिए जाने का प्रलोभन दिया जाता है। फिलहाल यदि स्वास्थ्य महकमा और प्रशासन कुंभकरणी नींद से जाग जाए तो शायद भोले भाले ग्रामीण एवं मरीज तथा उनके तीमारदार इन भ्रष्टाचारियों के मकड़ जाल में फंसने से जरूर बच सकेंगे।