अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में 19 सितम्बर, 2019 को होने वाले 24 वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में दीक्षांत पखवाड़े के अन्तर्गत संत कबीर सभागार में केरल प्रांत के परपंरागत कथकली नृत्य का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकर गुरू सदानाम कृष्णन कुट्टी एवं मुख्य नियंता प्रो0 आर0एन0 राय, छात्र-अधिष्ठाता कल्याण प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
केरल के पारम्परिक नृत्य कथकली के मंचन से पूर्व मुख्य नर्तक गुरू सदानाम कृष्णन कुट्टी ने इस पारम्परिक नृत्य का परिचय देते हुए बताया कि हर भाषा की तरह कथकली की अपनी वर्णमाला होती है। वर्णमाला के इन अक्षरों को संवाद के माध्यम से न व्यक्त कर भावों के माघ्यम से प्रकट किया जाता है। मंचन में कलाकरों के भाव-भंगिमाओं में व्यायम कला का नाट्य प्रस्तुत किया। गुरू सदानाम ने बताया कि कथकली में प्रयोग होने वाले मौखिक भावों को श्रंगार रस, हास्य रस, आलोचना, करूण रस, वीर रस, भयानक एवं रौद्र रस प्रमुख है। कथकली के मंचन में केवल तीन प्रकार के वाद्य-यत्रों में चिन्डा और वाड्म का ही प्रयोग प्र्रमुखतः किया जाता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के मंचन में गुरू सदानाम कृष्णन कुट्टी ने विभिन्न मुद्राओं से मंचन कर समृद्ध संस्कृति की छटा बिखेर कर श्रोताओं भाव-विभोर कर दिया। महाभारत काल के पात्रों एवं रामायण काल के हनुमान का चित्रण मंचन कर दर्शकों को विभिन्न मुद्राओं से परिचय कराया। कथकली नृत्य केरल प्रांत के प्रमुख सांस्कृतिक परपंराओं का एक आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक हिस्सा है। आध्यात्मिक दृष्ष्टि से कथकली को देव नृत्य के रूप में स्त्री और पुरूष पारम्परिक वेष-भूषा में अलग-अलग मुद्राओं में अभिनय करते है। इस अवसर पर प्रो0 के0 के0 वर्मा, डॉ0 नीलम यादव, डॉ0 नरेश चौधरी, डॉ0 गीतिका श्रीवास्तव, डॉ0 शैलेन्द्र वर्मा, कलाकरों के पूरे मंडल सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
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