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पर्यावरण को बचाना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी : प्रो. रविशंकर सिंह

-अवध विवि में विश्व पर्यावरण दिवस पर हुआ वेबिनार

अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पृथ्वी एवं पर्यावरण विज्ञान संस्थान, वीमेन ग्रीवेंस एवं वेलफेयर सेल एवं महिला अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधन में आज 5 जून, 2021 को प्रातः 10ः30 बजे ”इकोसिस्टम रेस्टोरेशन” विषय पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अविवि के के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने सर्वप्रथम विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी को शुभकामनाएं एवं बधाई दी। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर्यावरण के लाभ से वंचित है, इसे बचाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी बनती है। कुलपति ने कहा कि पृथ्वी के चारों ओर एक गैस का आवरण है जिसका क्षेत्र लगभग 1000 किलोमीटर तक है जो वायुमंडल में पर्यावरण के घटक रूप में हैं इन्हीं से पर्यावरण का निर्माण होता है। कुलपति ने कहा कि आज जरूरत है वन को संरक्षित करने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की। अपने घरों के आसपास छायादार वृक्ष लगाएं जिससे आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ पर्यावरण दे सके। कुलपति ने कहा कि कोरोना महामारी का बहुत बड़ा कारक पर्यावरण को क्षति पहुंचाना रहा है। पर्यावरण को बचाए रखना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी बनती है। कुलपति ने कहा कि वर्तमान समय में कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता से पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। जिसके कारण विश्व भर में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। मनुष्य का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इससे निपटने के लिए पर्यावरण को संरक्षित करना होगा। कुलपति ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए भारतीय समाज का आगे आना होगा लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना होगा।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिथि वक्ता नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ0 दिलीप कुमार उप्रेती ने कहा कि इकोसिस्टम रेस्टोरेशन हमारी पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर करती है। इसके विनाश का कारक पृथ्वी पर तेजी से बढ़ रहा तापमान है। इसका कारण कहीं ना कहीं पर्यावरण को क्षति पहुंचाना रहा है। उन्होंने बताया कि आधुनिकता की इस दौड़ में प्रदूषण काफी तीव्र गति से बढ़ रहा है, इसके बहुत से दुष्परिणाम सामने आ रहे है। कहीं सूखा पड़ रहा है। तो कही बारीश की अधिकता है। कई तूफान उठ रहे है इसके साथ तापमान में बढोत्तरी भी हो रही है। जिसके कारण हिमखण्ड तेजी से पिघल रहे है। इस पर शीघ्र नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले 2070 तक पृथ्वी का तापमान कई गुना बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि इकोसिस्टम रेस्टोरेशन के लिए सभी का दायित्व बनता है कि पानी का दुरुपयोग कम से कम करे, बिजली की बचत, प्रदूषण फैलाने वाले प्लास्टिक का प्रयोग न करें। इन सभी उपायों से तथा सामूहिक प्रयास द्वारा पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जा रही नमामि गंगे प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए कहा कि अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें एवं वृक्षारोपण के प्रति जागरूक समाज को जागरूक करें।

इसी क्रम में अतिथि वक्ता नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय, कुमारगंज की डॉ0 सुमन प्रसाद मौर्या ने बताया कि जंगलों को नया जीवन देकर पेड़ पौधे लगाकर, बारिश के पानी को संरक्षित कर तालाबों का निर्माण कर हम इकोसिस्टम रेस्टोरेशन कर सकते है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण सुधार में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए उन्हे पर्यावरण के प्रति जागरूक करना अति आवश्यक है। मनुष्य की कुछ आदते भी पर्यावरण को प्रदूषि्ांत करती रहती है जैसे धू्रमपान, थूकना। अपने घर की साफ-सफाई के साथ-साथ अपने घर के आस-पास भी स्वच्छता का वातावरण बनाना चाहिए।

पृथ्वी एवं पर्यावरण विज्ञान संस्थान के निदेशक एवं वेबिनार के संयोजक प्रो0 जसवंत सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इकोसिस्टम रेस्टोरेशन पर्यावरण के लिए जरूरी है। इसके करने से पर्यावरण को सुरक्षित कर सकते है। वीमेन ग्रीवेंस एवं वेलफेयर सेल की समन्वयक प्रो0 तुहिना वर्मा ने पर्यावरण दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रो0 जसवंत सिंह ने किया। पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो0 सिद्धार्थ शुक्ल ने अतिथियो के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। तकनीकी सहयोग इंजीनियर मनीषा यादव एवं इंजीनियर राजीव कुमार द्वारा किया गया। इस अवसर पर कुलसचिव उमानाथ, प्रो0 नीलम पाठक, प्रो0 चयन कुमार मिश्र, प्रो0 एसएस मिश्र, प्रो0 शैलेन्द्र कुमार, वेबिनार के समन्वयक डॉ0 विनोद चौधरी एवं सह समन्वयक डॉ0 सिंधु सिंह, प्रो0 के0के0 वर्मा, डॉ0 अनिल कुमार, डॉ0 दिवाकर त्रिपाठी, डॉ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, डॉ0 अनिल मिश्र, डॉ0 महिमा चौरसिया, डॉ0 त्रिलोकी यादव, डॉ0 कपिल राना, डॉ0 संजीव कुमार सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी ऑनलाइन जुड़े रहे।

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Written by Next Khabar Team

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