अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग एवं साइटोजीन रिसर्च एवं डेवलपमेंट लखनऊ के संयुक्त संयोजन में मॉलीकुलर एनालिसिस एवं उसके प्रयोग विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे एवं चौथे दिन साइटोजीन रिसर्च एवं डेवलपमेंट लखनऊ के इंजीनियर सुजीत सिंह ने प्रतिभागियों को बैक्टीरिया एवं पादप कोशिका से जीनोमिक डीएनए को निकालने एवं अवक्षेपण करने की प्रक्रिया उनके शुद्धिकरण एवं संरक्षण की विधि पर प्रयोग कराते हुए विस्तार से जानकारी दी। इंजीनियर सिंह ने इलेक्ट्रोफोरेसिस प्रक्रिया के द्वारा अल्ट्रावायलेट प्रकाश में कैसे देखा जाता है एवं डीएनए को जैल में कैसे वापस लिया जाता है इस प्रक्रिया पर विस्तृत लैब डैमो के माध्यम से प्रस्तुति दी। साइटोजीन रिसर्च एवं डेवलपमेंट लखनऊ की डॉ0 मधुलिका सिंह ने प्रतिभागियों को क्रोमैटोग्राफी तकनीकी द्वारा पादप पत्तियों से रंजक पदार्थ, पादप जड़ो में जीवाणुओं द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रोटीन्स को कैसे अलग-अलग किया जाता है। प्रोटीन्स प्राप्त उनके आणविक भार का दृढ़ निश्चय करने के लिए सोडियम डोडेसिल सल्फेट पालीएकरीलामाइड जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस प्रक्रिया से प्रतिभागियों को परिचित कराया। कार्यशाला के संयोजक प्रो0 राजीव गौड़ ने बताया कि कृषि एवं चिकित्सा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की बीमारियो के उपचार एवं औद्योगिक विकास के लिए इलेक्ट्रोफोरेसिस प्रक्रिया काफी उपयोगी है। इस अवसर पर डॉ०तुहिना वर्मा, डॉ० मणिकांत त्रिपाठी, डॉ0 आशुतोष त्रिपाठी, डॉ०वैशाली, डॉ० रेखा, डॉ० महिमा, साधना, रेनू शुक्ला, अनुराग सिंह, तिरंकारी मणि त्रिपाठी, अभिषेक द्विवेदी इत्यादि मौजूद रहे।
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