-जानवरों में संक्रमण अवधि प्रबंधन विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ
कुमारगंज। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में “जानवरों में संक्रमण अवधि प्रबंधन“ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह व अन्य अतिथियों ने जल भरो कार्यक्रम के साथ शुभारंभ किया।
मुख्य आयोजक डा. नवीन कुमार सिंह ने कार्यक्रम में पहुंचे सभी अतिथियों को बुके व स्मृति चिह्न भेंटकर उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यशाला को बतौर मुख्यअतिथि संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में हमारे भारत का नाम विश्व में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन की क्षमता और अधिक बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों को और कड़ी मेहनत करनी होगी। कुलपति ने कहा कि पशुपालकों को पशुओं में होने वाली प्रमुख बीमारियों के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है।
नेपाल से पहुंचे वैज्ञानिक डा. एम बहादुर गुरुंग ने कहा कि दुधारू पशुओं में बच्चा देने के 21 दिन पहले और 21 दिन बाद कोबाल्ट का महत्व अधिक होता है। इस समय पशु खाना कम कर देता है और ग्लूकोज की खपत भूण बढ़ने के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन में अधिक होती है। डा. गुरुंग ने बताया कि ऐसी नाजुक स्थिति में कोबाल्ट की कमी से खून में ग्लूकोज की कमी आ सकती है। नेपाल से ही पहुंचे वैज्ञानिक डा. शंभू शाह ने कहा कि जुगाली करने वाले बीमार पशुओं में लगभग 50 से 80 प्रतिशत बीमार पशु अपच व बदहजमी से ग्रसित होते हैं।
इस रोग से पशुओं में रूमन की कार्यक्षमता कम हो जाती है तथा रूमन स्थिर हो जाता है। आज नेपाल से डा. सुमन पशुओं में होने वाली मुख्य बीमारियों एवं उसके निदान पर विस्तार से चर्चा करेंगी। कार्यक्रम के आयोजन के लिए वित्तीय सहायता नाहेप अधिकारी डा. डी नियोगी द्वारा किया गया। कार्यशाला का आयोजन डा. नवीन कुमार सिंह के संयोजन में हुआ। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा. सत्यव्रत सिंह ने किया व संचालन प्रज्ञा तिवारी ने किया। इस मौके पर विवि के समस्त अधिष्ठाता, निदेशक, शिक्षक, वैज्ञानिक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।