चिकित्सा क्षेत्र में बायोटेक्नालॉजी की अहम भूमिका : प्रो. जे.के. श्रीवास्तव

by Next Khabar Team
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मॉलीकुलर एनालिसिस एवं उसके प्रयोग राष्ट्रीय कार्यशाला सम्पन्न

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग एवं साइटोजीन रिसर्च एवं डेवलपमेंट लखनऊ के संयुक्त संयोजन में मॉलीकुलर एनालिसिस एवं उसके प्रयोग विषय पर संत कबीर सभागार में एक सप्ताह की राष्ट्रीय कार्यशाला सम्पन्न हुई। राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन पर मुख्य अतिथि एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, लखनऊ के निदेशक प्रो0 जे0के0 श्रीवास्तव ने बताया कि बायोटेक्नालॉजी कोई नया शब्द नही है यह कृषि विज्ञान, लाइफ साइंस एवं औद्योगिक विज्ञान विषयों के बीच एक सेतु का कार्य करता है। बायोटेक्नालॉजी में मानव स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों को समाहित किया गया है। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र की आधुनिक खोज में बायोटेक्नालॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो0 एस0एन0 शुक्ला ने विज्ञान शोध में माइक्रोबायोलॉजी के चिकित्सकीय उपलब्धियों एवं सुविधाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैज्ञानिक शोध में अभी काफी कुछ किया जाना है। इन्टरनेट के विस्तार से शोध का पूरा परिदृश्य बदल गया है। इन्टरनेट की सुविधा ने विज्ञान ही नहीं संचार सहित अन्य क्षेत्रों में नये आयाम स्थापित किये है। ग्लोबल स्किल पर अभी हमारी पहॅुच संतोषजनक नही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में काफी कुछ शोध के परिदृश्य को उभारने के लिए एक नये अवसर के रूप में देखा जा रहा हैं। शोध आयामों को और पुख्ता करने के लिए 90 प्रतिशत शोध-ग्रन्थों को शोध-गंगा पर अपलोड कर लिया गया है इससे बौद्धिक चोरी पर काफी कुछ नियंत्रण पाया जा सकेगा। गत चार वर्षों में इस क्षेत्र में काफी कुछ गुणवत्तापरक कार्य किये गये है। प्रो0 शुक्ला ने बताया कि गुणवत्तापरक शोध के लिए अब कई वेबसाइट ऐसी है जिनकी सहायता से मदद मिल रही है। सामुदायिक अध्ययन से शोध क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त की जा सकती है। शोध गुणवत्ता में आवश्यक सुधार के लिए विश्वविद्यालय ने कई संस्थाओं से अनुबंध भी किया।
विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो0 आर0के0 तिवारी ने बताया कि भौतिकी विज्ञान में पूरा विज्ञान समाहित है। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति ने कई गंभीर प्रकार की बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद मिली है। कमेस्ट्री एवं भौतिकी जैसे विषय विज्ञान की आधार शिला है। जीन या कृषि पर शोध करके आने वाली चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा। प्रो0 तिवारी ने सप्ताह भर की इस कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सदस्य टीमों को बधाई दी है और विभाग के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यशाला के संयोजक प्रो0 राजीव गौड़ ने मॉलीकुलर एनालिसिस एवं उसके प्रयोग विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला के सफल आयोजन होने पर विभाग के शिक्षकों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ बाहर आये अतिथियों एवं वैज्ञानिकों का स्वागत भी किया। कार्यशाला की आयोजन सचिव डॉ0 तुहिना वर्मा ने रिपोर्टियर प्रस्तुत करते हुए बताया कि एक सप्ताह तक चलने वाली कार्यशाला में देश के विभिन्न संस्थानों से लगभग 78 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
अतिथियो का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर किया गया। कार्यशाला का संचालन डॉ0 मणिकांत त्रिपाठी द्वारा किया गया। इस अवसर पर कार्यपरिषद सदस्य ओम प्रकाश सिंह, प्रो0 एस0एस0 मिश्र, प्रो0 फारूख जमाल, प्रो0 नीलम पाठक, प्रो0 नीलम यादव, डॉ0 संग्राम सिंह, डॉ0 अनिल यादव, डॉ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, डॉ0 शशि सिंह, डॉ0 नीलम सिंह, डॉ० आशुतोष त्रिपाठी, डॉ०मधुलिका सिंह, इं० सुजीत सिंह, अनुराग सिंह और प्रतिभागी डॉ० महिमा, डॉ०वैशाली ,तिरंकारी मणि त्रिपाठी, त्रियुगी नारायण कुशवाहा, अभिषेक द्विवेदी, डॉ० रेखा, साधना, रेनू शुक्ला सहित अन्य मौजूद रहे।

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