“फिल्म उद्योग में कला निर्देशन की सम्भावनाएँ” विषय पर कार्यशाला
अयोध्या। डा. राममनोहर लोहिया अवध विवि के दृश्य कला विभाग व अर्थशास्त्र एवम् ग्रामीण विकास विभाग संयुक्त तत्वाधान में चल रही ’‘फिल्म उद्योग में कला निर्देशन की सम्भावनाएँ‘‘ विषयक पाँच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन फिल्म उद्योग मे कला एवं तकनीकी विषय पर व्याख्यान एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की संयोजक दृश्य कला विभाग की शिक्षिका सरिता द्विवेदी ने मुख्य वक्ता प्रो. राकेश मंजुल, महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय, वर्धा का स्वागत करते हुए विषय के विभिन्न आयामों का विश्लेषण प्रस्तुत किया तथा कला मे तकनीक के बढ़ते स्वरुप की व्याख्या की ।
अपने व्याख्यान में प्रो. मंजुल ने यह बताया की फिल्म निर्देशन में कला का महत्व निरंतर बढ़ रहा है। उन्होने यह भी बताया की आज तकनीकी विकास के साथ कला का क्षेत्र बहुत ही व्यापक हो रहा है जिसके कारण फिल्मी जगत में नित्य नये आश्चर्यजनक निर्माण देखने को मिल रहे है। उन्होने छात्र -छात्राओं को ऑस्कर विजेता फिल्म ‘’द आर्टिस्ट’’ की चर्चा करते हुए उसमे किये कला निर्देशन की बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति को समझाया साथ ही ये भी बताया की कला निर्देशन निश्चित रुप से आज फिल्म जगत मे रोजगार के अवसर प्रदान करते हुए महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है।
कार्यशाला निदेशक पल्लवी सोनी ने फिल्म, कला एवं रंगों के उपयोग पर चर्चा करते हुए छात्र -छात्राओं को यह बताया की किसी भी कथानक में चित्रिता निरुपण बहुत ही उपयोगी है क्योंकि समुचित चित्रण सौन्दर्यबोध को एक उच्च मानक प्रदान करता है। दृश्य कला विभाग की रीमा सिंह ने आये हुए अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। दृश्य कला विभाग के समन्वयक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया की पाँच दिनो तक चलने वाली इस राष्ट्रीय कार्यशाला मे कला के विभिन्न स्वरुपों के द्वारा सृजनात्मक विकास पर बल दिया जाएगा, जिससे ग्रमीण अंचल के ये छात्र -छात्राएँ फिल्म उद्योग मे भी अपनी कला के जरिये नई पहचान बना सके।
इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रो. आशुतोष सिन्हा, प्रो0. मदृला मिश्रा, डॉ. प्रदीप कुमार त्रिपाठी, श्री. आशीष मिश्रा, डॉ. अलका श्रीवास्तव, डॉ. सविता देवी एवं गैर शैक्षिणक कर्मचारियों के साथ बडी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।