-प्यार देता है मन को पोषण, ऑक्सीटोसिन हार्मोन, से है प्रेम की टोन
अयोध्या। जिस प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य के लिये पौष्टिक भोजन आवश्यक है तथा इसका अभाव शारीरिक कुपोषण व अस्वस्थता बन सकती है , उसी प्रकार मानसिक-स्वास्थ्य के लिये प्यार का आदान-प्रदान मन का पोषक तत्व है। प्यार एक द्विगामी प्रक्रिया है तथा यह तभी मनोपोषण देती है जब पारस्परिक आदान-प्रदान हो।
माडर्न-साइकोथिरैपी के स्तम्भ एल्बर्ट एलिस के अनुसार ऑक्सीटोसिन नामक मनोरसायन एक महत्वपूर्ण हैप्पी-हार्मोन है जिसे लव-हार्मोन भी कहा जाता है। लव-पार्टनर, दाम्पत्य,परिवारिक सम्बन्ध, मित्र या अन्य सामाजिक समरसता के रिश्तों मे भी इसी रसायन की भूमिका होती है। प्रेमोत्सर्ग या इंटिमेट लव-मोमेंट्स जैसे हग या आलिंगन क्रिया से ऑक्सीटोसिन लव-हार्मोन व डोपामिन रिवार्ड-हार्मोन का श्राव बढ़ता है जो उमंग व खुशी के चरमोत्कर्ष व खुमारी के लिये जिम्मेदार होता है।
प्रेम व रोमांस के गीत- संगीत ,मूवी, डेटिंग, हैंग- आउट व चैटिंग आदि रोमांटिक-मूड वृद्धि-कारक मनोरसायन इन्डोर्फिन को बढ़ाते हैं । गिफ्ट, बुके व अन्य हंसी-मजाक आदि रोमांस-बूस्टर का कार्य करते हैं जिससे रिवॉर्ड-हार्मोन डोपामिन बढ़ता है।
मूड-स्टेलाइज़र व खुशी- मनोरसायन सेराटोनिन प्रेम-सम्बन्ध मे स्थायित्व व वफ़ादारी का संचार करता है, जो आधुनिक दौर के तेजी से बनते बिगड़ते प्रेम, दाम्पत्य, पारिवारिक व सामाजिक संबंधों का सम्यक उपचार है।
इस प्रकार प्यार व आत्मीयता में मनोस्वास्थ्य के सभी हैप्पी-हार्मोन मौजूद होते है। अभिरुचि -जन्य विभिन्न अभिव्यक्तियों जैसे पशु-प्रेम,मानव-सेवा, कला,साहित्य,संगीत, भक्ति व अध्यात्म आदि भी ऑक्सीटोसिन का ही प्रकटीकरण है। यह जानकारी वैलेंटाइन्स-डे संदर्भित प्यार-मनोविज्ञान जागरूता विज्ञप्ति में डा आलोक मनदर्शन ने दी।