होम्योपैथी योग और आयुर्वेद तीनों में समग्र स्वास्थ्य की अवधारणा :डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी
गर्मी से बचने के लिए सिखाये शीतली, शीतकारी, चन्द्रभेदी प्राणायाम
फैज़ाबाद। गर्मी में तेज ताप और प्यास से जनजीवन परेशान रहता है किंतु जागरूक व्यक्ति के लिए यह परिवर्तन का एक हिस्सा है। क्योंकि वह परिवर्तनों के अनुसार अपनी जीवन शैली को संतुलित करने को सतर्क रहता है। उक्त बातें आरोग्य भारती के स्वस्थ जीवनशैली विषयक प्रबोधन गोष्ठी पर विचार व्यक्त करते हुए होम्योपैथी चिकित्सक डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने कहीं। उन्होंने कहा मनुष्य के समग्र स्वास्थ्य की अवधारणा में सैद्धांतिक रूप से होम्योपैथी, योग, और आयुर्वेद एकसमान हैं। गर्मी के दिनों में ताप और प्यास के कुप्रभावों से बचने के लिए डॉ उपेन्द्र मणि ने योग के विशेष प्राणायाम और आसनों की जानकारी रामनगर स्थित प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र के प्रशिक्षुओं को देते हुए कहा कि शीतली, शीतकारी,चन्द्रभेदी प्राणयाम और शवासन बेहद लाभकारी हैं।डॉ त्रिपाठी ने कहा शीतली प्राणायाम में जीभ होंठो के मध्य मोड़ कर हवा अंदर लेते है, इससे ताप नियंत्रण होता है, शीतकारी में दांत भींचकर हवा अंदर लेते हैं इससे प्यास संतृप्त होती है , चन्द्रभेदी में बाएं नाक से सांस लेते है और दाएं से निकलते है और शवासन में समस्त शरीर ढीला छोड़ देते है।कोई प्राणायाम जलापूर्ति का विकल्प नही इसलिए आवश्यक मात्रा के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में पीना आवश्यक है। उपस्थित प्रशिक्षक डॉ प्रेमचन्द्र पांडेय ने प्रशिक्षुओं को उक्त प्रणायाम व आसनों का अभ्यास भी कराया। इस अवसर पर केंद्र संचालिका अनिता द्विवेदी, प्रशिक्षक पी श्रीवास्तव, गुलनाज, उमेश , छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।