मान्यता बचाव और चिकित्सा उपचार के लिए उपयोगी : डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी
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चेचक से बचाने वाली मीठी गोली के रूप में होम्योपैथी को जानते है लोग
बसन्त का मौसम बदलने के साथ ही कई जगहों से बच्चों के चेचक, खसरे या वायरल फीवर से पीड़ित होने की खबरों में इजाफा हुआ है। यद्यपि इनसे बचाव के लिए टीकाकरण की सुविधा है किन्तु जनता का विश्वास एकमात्र होम्योपैथी से जुड़ा नजर आता है,फिर भी सरकारी स्वास्थ्य महकमें की तरफ से होम्योपैथी दवाओं का वितरण न होने से लोग मेडिकल स्टोरों पर दवाएं खरीदते दिख जाएंगे। चेचक या अन्य रोगों में होम्योपैथी की विशिष्टताओं पर अपने स्वास्थ्य एवं होम्योपैथी जागरूकता अभियान के तहत जनपद के कृष्ण विहार कालोनी के वरिष्ठ होम्योपैथिक विशेषज्ञ एवं होम्योपैथी महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि 5 से 10 वर्ष तक के बच्चों में आम तौर पर बसन्त के मौसम में या मौसम परिवर्तन के समय वायु और बूंदों के माध्यम से फैलने वाला खसरा, चेचक व स्माल पॉक्स वैरिसेला प्रजाति के विषाणुजनित संक्रामक रोग हैं व दोनों में पहचान के लिए चिकन पॉक्स छोटे व स्मालपॉक्स बड़े छालेनुमा अधिक पीड़ादायी दाने से अंतर किया जा सकता है, यद्यपि स्माल पॉक्स का विश्व से उन्मूलन हो चुका है। कुछ अपवादों को छोड़ दे तो यह रोग जीवन में दुबारा व्यक्ति को पीड़ित नहीं करता।
चेचक और खसरे को कैसे पहचाने-

डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी