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शोध के लिए सैद्धान्तिक अध्ययन के साथ सीखनें पर देना चाहिए अधिक महत्व : प्रो. ओ.एन. श्रीवास्तव

‘रीसेंट एडवांसेस इन मैटेरियल साइंस एंड इलेक्ट्रॉनिक्स’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ

प्रो0 ओ0 एन0 श्रीवास्तव

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के भौतिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग एवं इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंस( आई0ए0पी0एस0) के संयुक्त तत्वावधान में संत कबीर सभागार में उच्चतर शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रायोजित ‘रीसेंट एडवांसेस इन मैटेरियल साइंस एंड इलेक्ट्रॉनिक्स’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।
उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पद्मश्री, शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड व गोयल इन फिजिकल साइंस अवार्ड से सम्मानित एवं बीएचयू के एमिरेट्स प्रो0 ओ0 एन0 श्रीवास्तव ने कहा कि स्वतन्त्रता के बाद भारत लोहिया के समाजवाद से काफी प्रभावित हुआ। डॉ0 लोहिया के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय निश्चय ही गौरव का विषय है। प्रो0 श्रीवास्तव ने सेमिनार की प्रासंगिकता पर कहा कि पृथ्वी पर मौजूद सभी कारकों में जिसे प्रकृति ने बनाया वह ही तत्व है। मोबाइल कम्प्यूटर को निर्माण, सिलिकॉन के ही सहयोग से बना है। शोध के लिए आवश्यक है कि सैद्धान्तिक अध्ययन के साथ-साथ सीखनें की प्रक्रिया पर अधिक महत्व दिया जाना चाहिये। भारत के शैक्षिक संस्थानों में सैद्धातिंक अध्ययन पर ज्यादा निर्भरता है। इसी कारण हम विश्वस्तर की प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते।

विज्ञान के क्षेत्र में देश के शैक्षिक संस्थानों को अभी बहुत कुछ प्राप्त करना बाकी : प्रो. मनोज दीक्षित

प्रो. मनोज दीक्षित

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि शोध कार्यों में गुणवत्ता के लिए सतत् प्रयत्नशील रहने की आवश्यकता है। शोध कार्य आर्थिक संसाधनों की कमी का शिकार नहीं होना चाहिये। शैक्षिक संस्थानों को ज्ञान का नेटवर्क विकसित करने के लिए प्रयास करना होगा। प्रो0 दीक्षित ने बताया कि मात्र प्रयोगशालाओं के निर्माण से शोध कार्यों में प्रगति नही हो सकती बल्कि गुणवत्तापरक शोध कार्यों के लिए पूरी निष्ठा एवं मनोयोग के साथ सघर्ष करना भी आवश्यक है। कुलपति ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में देश के शैक्षिक संस्थानों को अभी बहुत कुछ प्राप्त करना बाकी है तभी हम विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं का मुकाबला कर पायेंगे। पूर्व में भारत के महान वैज्ञानिकों को याद करते हुए प्रो0 दीक्षित ने कहा कि विज्ञान के छात्र एवं युवा वैज्ञानिक उन महान वैज्ञानिकों से कॉफी कुछ सीख सकते है। वर्तमान युग वैज्ञानिक प्रगति का समय है इस क्षेत्र में पिछड़ने का अर्थ स्वयं को कमजोर सिद्ध करना होगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में शारदा विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा के ऐमिरिट्स प्रो0 आर0एम0 मेहरा ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा के मंदिर है। जहां पर छात्र आकर शिक्षा एवं ज्ञान प्राप्त करते है। मनुष्य स्वयं भी एक प्रकृति के तत्व के रूप में है और प्राकृतिक तत्वों से घिरा हुआ है। प्रो0 मेहरा ने बताया कि वैज्ञानिक शोध की प्रासंगिकता नये विकल्पों को जन्म देती है। मनुष्य की भौतिक सुविधाओं की पूर्ति के लिए नये विकल्पों पर वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता होती है। विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो0 एस0एन0 शुक्ल ने विश्वविद्यालय की प्रगति पर कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित के अथक एवं दूरदर्शिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विगत डेढ़ वर्षों में विश्वविद्यालय में 20 नये पाठ्यक्रमों को संचालित किया गया। आने वाले समय में शीघ्र ही कुछ नये पाठ्यक्रमों को क्षेत्रीय एवं स्थानीय आवश्कताओं को देखते हुए संचालित किये जायेंगे। प्रो0 शुक्ल ने बताया कि विश्वविद्यालय के उपलब्धियों में शीर्ष वैज्ञानिक संस्था आई0ए0पी0एस0 का सिल्वर जुबली आयोजन विश्वविद्यालय के परिसर में किया जायेगा। आई0ए0पी0एस0 के कुल 25 आयोजन देशभर में होने है इस आयोजन की शुरूआत विश्वविद्यालय से होगी। प्रो0 दीक्षित के निर्देशन में विश्वविद्यालय हॉफ मैराथन का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन करने की तैयारी कर रहा है। दीपोत्सव एवं समरसता कुम्भ के सफल आयोजन से विश्वविद्यालय की प्रतिभा राष्ट्रीय फलक पर स्थापित हुई है।
संगोष्ठी के संयोजक प्रो0 के0 के0 वर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि विश्वभर में तकनीकी प्रगति का श्रेय श्रेष्ठ वैज्ञानिकों को जाता है वैज्ञानिकों के श्रम ने इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिये संचार क्रांति को जन्म दिया है। वैज्ञानिक प्रगति का ही प्रतिफल है जिससे कम्प्यूटर, रडार सिस्टम, पोलराइजिंग माइक्रो स्पेक्ट्रोमीटर एडवांस तकनीक में विकसित हो गये है। प्रो0 वर्मा ने कहा कि आयोजित सेमिनार का विषय नये मैटेरियल के विकास एव इलेक्ट्रानिक डिवाइस से सम्बन्धित है। सेमिनार में प्रतिभाग किये वैज्ञानिकों एवं शोधरत छात्रों की चर्चा नये आयामों का जन्म देगी। संगोष्ठी के द्वितीय तकनीकी सत्र का आयोजन भौतिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स विभाग की चार सामानान्तर सत्रों में किया गया। प्रथम में सत्र समन्वयक इं0 परिमल तिवारी द्वितीय में इं0 रमेश मिश्र तृतीय में इं0 साम्भवी शुक्ला चतुर्थ में इं0 जैनेन्द्र प्रताप ने किया। इस सत्र की अध्यक्षता बीएचयू के एमिरेट्स प्रो0 ओ0 एन0 श्रीवास्तव ने किया। तृतीय सत्र की साम्भवी शुक्ला, डॉ0 अश्वनी कुमार, शेफाली जायसवाल एवं अनुष्का त्रिपाठी ने किया। इस सत्र की अध्यक्षता संगोष्ठी के संयोजक प्रो0 के0 के0 वर्मा, प्रो0 आर0के0 शुक्ल, डॉ0 कमलेश पाण्डेय एवं डॉ0 गीतिका श्रीवास्तव ने की। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लेंगे।
संगोष्ठी का शुभारम्भ मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। उपस्थित अतिथियों को स्वागत पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्रम् एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ0 गीतिका श्रीवास्तव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी के संयोजक प्रो0 के0के0 वर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य नियंता प्रो0 आर0एन0 राय, प्रो0 अशोक शुक्ला, प्रो0 लाल साहब सिंह, प्रो0 आशुतोष सिन्हा, प्रो0 राजीव गौड़, प्रो0 मृदुला सिन्हा, प्रो0 एस0के0 रायजादा, प्रो0 चयन कुमार मिश्र, प्रो0 एस0एस0 मिश्र, प्रो0 श्रीराम विश्वकर्मा, प्रो0 विनोद श्रीवास्तव, प्रो0 जसवंत सिंह, प्रो0 रमापति मिश्र, प्रो0 नीलम पाठक, आयोजन सचिव डॉ0 नरेश चौधरी, डॉ0 शैलेन्द्र कुमार, डॉ0 नीलम यादव, डॉ0 विनोद चौधरी, डॉ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, डॉ0 अनिल कुमार, डॉ0 राजेश सिंह कुशवाहा, डॉ0 सिधू, डॉ0 आर0 एन0 पाण्डेय, डॉ0 विनय मिश्र, डॉ0 मुकेश वर्मा, डॉ0 अनुराग पाण्डेय, डॉ0 बृजेश भारद्धाज, आशीष मिश्र सहित अन्य शिक्षक एवं प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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