Breaking News

मन, आत्मा व शरीर की शुद्धि करता है व्रत : शैल किशोरी

श्रीमद्भागवत कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता

रुदौली। श्री रामलीला प्रांगण ख्वाजा हाल रूदौली के प्राँगण में श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में अपनी अमृत मई वाणी का रसास्वादन कराती हुई वृंदावन से पधारी साध्वी शैल किशोरी ने कहा कि व्रत रहने का अभिप्राय यह है कि मन आत्मा और शरीर की शुद्धि करना है व्रत में सूर्यास्त के पहले फलाहार कर लेना चाहिए वह चाहे स्त्री हो अथवा पुरुषों सच्चे मन से व्रत रहना चाहिए।कथा का आगे विस्तार करते हुए साध्वी जी ने कहा राजा अमरीश निर्जला एकादशी व्रत रखे थे दुर्वासा ऋषि राजा अमरीश के राज महल में पधारे राजा अति प्रसन्न हुए और कहा ऋषि राज कल मैं एकादशी का व्रत रहा हूं आज आपके साथ फलाहार करूंगा इसी समय ऋषी स्नान करने चले गए राजा अमरीश ने सोचा कि द्वादशी लगने वाली है और जल पीने लगे तभी ऋषि दुर्वासा का आगमन हुआ उन्होंने देखा सोचा कि राजा अमरीश बगैर मुझे फलाहार कराए ही स्वयं जल पी रहे हैं क्रोध में आकर उन्होंने प्रत्या राछसी को प्रकट किया नारायण जी ने जब अपने भक्तों को संकट में आए देखा तो उन्होंने सुदर्शन चक्र छोड़ दिया दुर्वासा ऋषि बहुत परेशान हुए और भागते भागते शंकर जी के यहां गए वहां भी उनकी रक्षा नहीं हो पाई उन्होंने कहा कि ही जाइए और नारायण जी आपकी रक्षा कर सकते हैं और नारायण जी ने उनको क्षमा किया ।साध्वी जी ने आगे श्री राम जी के जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि नवमी दिवस मधु मास पुनीता “ऐसे सुंदर अवसर पर प्रभु श्री राम जी अपने तीनों भाइयों सहित पृथ्वी पर अवतरित हुए और राम जी का लालन पोषण अयोध्या नरेश महाराज दशरथ जी ने बहुत ही अच्छे रूप से किया गुरु विश्वामित्र जी दो कुमार राम लक्ष्मण को योग धनुर्विद्या, सिखाया उन्होंने विधि की रची लीला के अनुरूप राम लक्ष्मण को अयोध्या नरेश से राक्षसों से अपने यज्ञ रक्षा की रक्षा के लिए मांग कर ले जाते हैं गुरु विश्वामित्र द्वारा राम लक्ष्मण को बहुत ही सारी विद्याओं को सिखाया और राजा जनक के निमंत्रण पर दोनों राजकुमारों के साथ जनकपुरी पहुंचे ।जनकपुरी के स्वयंवर में जब हजारों राजाओं ने धनुष को तोड़ना तो दूर की बात रही उसको हिला भी नहीं सके राम जी ने पल भर में शिवजी के उस विशाल धनुष को तोड़ दिया और जब जय माल होने लगा तो जानकी जी राम जी के ऊपर जब जय माल डालने लगी तो राम जी लंबे थे और झुकने को तैयार नहीं हुए क्योंकि छत्री कभी झुकते नहीं है , सखियां सुन्दर गीत गा रही थी झुक जाओ लला रघुवीर लली जी अभी छोटी हैं और इसी लक्ष्मण जी ने तत्काल भ्राता राम जी के चरण स्पर्श किए और राम जी झुक कर लखन जी को उठाने लगे उसी समय सीता जी ने राम जी के गले मे जय माल डाल दिया साध्वी जी ने श्री मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी के सुंदर चरित्र का बहुत ही अच्छे रूप से बर्णन किया ।अपने कथा के माध्यम से साध्वी जी ने श्री कृष्ण जी के जन्म के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण जी का जन्म राक्षसी प्रवृत्तियों के विनाश के लिए हुआ उन्होंने बाल्यावस्था में पूतना और कंस को मारा और राजा उग्रसेन को मथुरा का राजा बना कर द्वारकापुरी में विराजमान हुए। योगेश्वर कृष्ण जी का चरित्र आज हमको एक और जहां धार्मिक राजनीत और समाज नीत की शिक्षा देता देता है वैसे उनकी अमर उपदेश श्री गीता के महत्व को हमको हृदय में उतारना होगा तभी हम हमारा जीवन सफल होगा ।सप्त दिवदीय कथा का आयोजन यशोदरा देवी पवन कुमार कसौधन द्वारा किया गया है।सहयोगी के रूप सतीन्द्र प्रकाश शास्त्री का योगदान रहा है।

इसे भी पढ़े  मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, दो डॉक्टर समेत 12 अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश

Leave your vote

About Next Khabar Team

Check Also

समाजसेवी विनोद सिंह ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए बढ़ाया हाथ

-खैरी, सरायनासिर, मुजेहना, अब्बूपुर, सल्लाहपुर, सलेमपुर में बाढ़ पीड़ितों में वितरित करायी खाद्य सामाग्री रूदौली। …

close

Log In

Forgot password?

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.