गन्ना बुआई में संस्तुत प्रजातियों का ही प्रयोग करे किसान : हरपाल सिंह

by Next Khabar Team
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-बसंतकालीन गन्ना की बुवाई की तैयारियाँ पूर्ण, गन्ने की बुआई का उत्तम समय 15 फरवरी से मार्च तक

अयोध्या। उप गन्ना आयुक्त, परिक्षेत्र अयोध्या हरपाल सिंह ने बताया है कि प्रदेश के आयुक्त गन्ना एवं चीनी संजय आर भूसरेड्डी के मार्गदर्शन में परिक्षेत्र अयोध्या में बसंतकालीन गन्ना बुवाई की समस्त तैयारी पूर्ण कर ली गयीं हैं। गन्ना विकास परिषदों द्वारा बीज वितरण की कार्ययोजना तैयार कर ली गयी हैं तथा समितियों में बीज एवं भूमि उपचार हेतु रसायनों की पर्याप्त उपलब्धता है। बसंतकालीन गन्ने की फसल बुआई का समय प्रारम्भ हो चुका है। बसंतकालीन गन्ने की बुआई का उचित समय 15 फरवरी से प्रारम्भ हो कर मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक रहता है। कृषक मौसम में बदलाव को देखते हुये बसंतकालीन गन्ने की बुआई बसंत पंचमी से लेकर मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं द्य बसंतकालीन गन्ने की बुआई देर से काटे गए धान वाले खेत व तोरिया, मटर, आलू आदि की फसल से खाली हुए खेत में तथा मार्च माह में गेहूं की कटाई के उपरांत खाली हुये खेत में की जा सकती है।

उप गन्ना आयुक्त ने बताया कि गन्ने की बुआई से पूर्व खेत की उचित तैयारी आवश्यक है। खाली खेत में मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें जिससे खरपतवार खेत में दब कर जैविक खाद में बदल जाए व मिट्टी में छिपे कीट व रोगाणु ऊपर आकर नष्ट हो जाएँ  इसके पश्चात कृषक पाटा अवश्य लगाएँ ताकि नमीं सुरक्षित रहे। पाटा लगाने से पूर्व 10 – 15 टन कम्पोस्ट या गोबर की अच्छी अपघटित खाद एवं 05 लीटर एनपीके जैव उर्वरक प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाल कर हैरो / कल्टीवेटर से एक-दो जुताई कर ले। गन्ने की बुआई में अधिक पैदावार देने वाली संस्तुत उन्नतशील गन्ना प्रजातियों जैसे को.15023, को.लख. 14201, कोशा. 13235 , को. 0118 की ही बुआई करें। गन्ने की प्रजाति को.0238 लाल सड़न रोग से प्रभावित होने के कारण पूर्वी क्षेत्र हेतु प्रतिबंधित है इसलिए गन्ने की बुवाई हेतु इसके बीज का प्रयोग न करें।

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गन्ने का बीज स्वस्थ, निरोग, उत्तम गुणवत्ता वाला ही चयन करें। गन्ने के ऐसे खेत / प्लॉट जो किसी बीमारी से ग्रसित है उनसे गन्ने की बुआई हेतु बीज का चयन कदापि न करें द्य असंस्तुत प्रजातियों जैसे सीओ-0239 आदि की बुआई नही करनी चाहिए। बीज हेतु गन्ने के ऊपरी एक तिहाई से आधे भाग का उपयोग करना चाहिए तथा गन्ना बीज की आयु 8-10 महीने की होनी चाहिए द्य बीज जनित रोग जैसे लाल सड़न, स्मट एवं उकठा रोग की रोकथाम हेतु कार्बेन्डाजिम / थायोफिनेट मिथाईल का 0.1 प्रतिशत घोल अथवा 112 ग्राम दवा 112 लीटर पानी में घोल बना कर 5 -10 मिनट तक गन्ने के टुकड़े उसमें डुबाकर उपचारित करने के पश्चात ही बुआई करनी चाहिए। इसके साथ ही भूमि जनित कीटों की रोकथाम के लिए क्लोरोपायरिफास या इमिडाक्लोरोपिड का प्रयोग करना चाहिए। गन्ने की बुवाई के समय लाल सड़न रोग से बचाव हेतु ट्रायकोडर्मा का प्रयोग भी करना चाहिए।

ट्रायकोडर्मा प्रति एकड़ 4 किग्रा की दर से दो कुंतल अपघटित गोबर की खाद मे मिला कर 1 दिन रखने के पश्चात बुआई के समय खेत मे मिलाएँ। गन्ने की अच्छी पैदावार हेतु बुआई के समय खेत में संस्तुत उर्वरक 60-70 किग्रा एनपीके, 35-40 किग्रा पोटाश व 10-12 किग्रा सूक्ष्म तत्वो का प्रयोग करना चाहिए। उप गन्ना आयुक्त ने आगे बताया कि गन्ने की बुआई ट्रेंच विधि से करने पर लगभग 20-25 प्रतिशत अधिक पैदावार मिलती है इसलिए गन्ने की बुआई ट्रेंच विधि अथवा कम से कम 4 फिट की दूरी पर एक आँख अथवा दो आँख के टुकड़े से ही करें द्य उन्होने कहा की दो कूंडो / पंक्तियों के बीच में बसंत काल में गन्ने की बुआई के साथ खाली स्थान में लोबिया, मूंग, उरद, खीरा, भिंडी, हरी मिर्च, टमाटर आदि की अन्तः फ़सली खेती केर अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है। उन्होने कहा की कृषक बसंत कालीन गन्ना बुआई में उपरोक्त वैज्ञानिक विधियाँ अपना कर तथा बुआई कर अच्छे गन्ने की फसल के साथ ही अन्तः फसल लेकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है।

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