धान की फसल को झूठा कंडवा रोग से बचायें किसान : डॉ. प्रदीप कुमार

by Next Khabar Team
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बारिश और बादलयुक्त मौसम इस रोग के लिए होता है अनुकूल

मिल्कीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार अनुभाग प्लांट प्रोटक्शन ने इस मौसम में झूठा कंडवा रोग के लिए अनुकूल दशाएं पौधे में फूल लगने और वयस्कता की अवधि में वर्षा और बादल युक्त मौसम इस रोग के लिए अनुकूल होते हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में 25 से 35 सेंटीग्रेड तापक्रम तथा 80 से 90 प्रतिश नमी पर यह रोग कई जिले में देखें गए हैं इस रोग के लगने से 10 से 40 प्रतिशत तक का नुकसान और कभी-कभी यह इतना व्यापक रूप से फैलता है कि हमारी फसल को 80 से 90प्रतिशत नुकसान पहुंचा देता है जब यह रोग लगता है तो उपज तो घटता ही है साथ में बाजार का सही मूल्य किसान को प्राप्त नहीं हो पाता।
झूठा कंडवा रोग की पहचान किसानों को जरूरी है क्योंकि इसका प्रकोप सीधे दानों पर पड़ता है यह रोग ज्यादा बारिश होने पर धान की बालियों को ज्यादा प्रभावित करता है आमतौर पर धान की हाइब्रिड किस्म में इस रोग की अधिकता होती है इस रोग की शुरुआत में दानों पर पीले रंग के गोल-गोल मखमली लक्षण दिखाई पड़ते हैं समय के साथ-साथ यह काले पड़ने शुरू हो जाते हैं और धीरे-धीरे पूरी बालियों पर इसका प्रकोप दिखाई देने लगता है बाली के तीन से चार दानों में कोयले जैसा काला पाउडर भरा होता है जो दाने के फट जाने से बाहर दिखाई पड़ता है और यह ध्यान रहे जिस खेत में यह रोग लग जाता है उस खेत में दो या तीन साल तक फसल नहीं लेना चाहिए क्योंकि उसी खेत में लगातार फसल लेने से इस रोग से फसल को अधिक नुकसान पहुंचता है ।
इस रोग की रोकथाम के लिए इस मौसम में रोज अपने खेतों की निगरानी करें और कहीं पर भी यह रोग दिखाई दे तो सबसे पहले ग्रसित पौधों को किसी प्लास्टिक या लिफाफे में आसानी से लेकर और यह ध्यान रहे इसका पाउडर खेत में ना गिरे फिर कहीं दूर मिट्टी में दबा दें या जला दे। खेतों के मेडों और सिंचाई की नालियों के खरपतवार साफ रखें।
इस समय यूरिया खाद का प्रयोग एकदम बंद कर दें। रासायनिक छिड़काव के लिए प्रॉपिकॉनाजोल 1 मिलीलीटर या हेक्साकोनाजोल 1 मिलीलीटर या कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 2.5 ग्राम पर लीटर पानी में किसी एक दवा को लेकर दो बार छिड़काव करें पहला छिड़काव पुष्पगुच्छ के निकलने के पहले और दूसरा छिड़काव पुष्पगुच्छ निकलने के 10 दिन बाद करें।

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