सरकारी चिकित्सकों ने कहा स्टूल जांच से होगी पुष्टि
रूदौली । देश को 5 साल पहले ही पोलियो मुक्त घोषित किया जा चुका है।लेकिन रुदौली तहसील के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मवई क्षेत्र में एक पांच साल के बच्चे को उसके परिजनों द्वारा पोलियो से ग्रस्त बताया जा रहा है।परिजनों द्वारा बच्चे को प्रथम दृष्टया पोलियो का मरीज बताए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।वही चिकित्सको का कहना है कि अभी जांच कराई जा रही हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कन्फर्म हो सकेगा।
यह मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मवई के सिपहिया गांव का प्रकाश में आया है।गांव के 5 साल के बच्चे धर्मेन्द्र पुत्र राकेश कुमार के दोनो पैरों में पोलियो जैसे लक्षण दिखाई दिए हैं।राकेश के अनुसार धर्मेन्द्र जन्म के समय से ठीक था। धर्मेन्द्र अब पांच साल का है अभी 20 -22 दिन पहले धर्मेन्द्र के बुखार आया उसके बाद उसके गले के पास गिल्टी निकल आई।फिर कमर के पास से बालक के पैर लुंज हो गए। पिता की माने तो पुत्र को हर बार पोलियो ड्रॉप पिलाया गया है। फिरभी चलना-फिरना तो दूर आज अपने पैरों पर खड़ा हो पाने में भी असमर्थ है।लोग उसे सहारा देकर खड़ा करते हैं।वह बिस्तर पर ही पड़ा रहता है।शनिवार को परिजन उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रुदौली के चिकित्सक डॉ पी के गुप्त के पास पहुचे जहाँ उन्होंने उपचार किया है।वही चिकित्सक का मानना है भारत पोलियो मुक्त हो चुका है।बच्चे में रीढ़ की हड्डी से कोई समस्या होने के कारण अपंगता हो सकती है।पोलियो है या नही यह जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा। बच्चे में पोलियो है या नहीं इसकी पुष्टि स्टूल (मल) जांच से हो सकेगी। 24 घंटे के अंतराल पर दो सैंपल कलेक्ट करने के बाद उसे कोल्ड चैन सिस्टम से लखनऊ स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के लैब में भेजा गया है।इसकी रिपोर्ट 6 महीने बाद आती है।
बताते चलें कि भारत पोलियो मुक्त राष्ट्र घोषित है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 27 मार्च 2014 को भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था। देश में डब्ल्यूएचओ के सहयोग से पोलियो उन्मूलन अभियान की शुरुआत 1995 में हुई थी। इसकी रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2011 के बाद देश में पोलियो के मामले सामने नहीं आए।मवई के सिपहिया गांव में संभावित केस के आने के बाद इस घटना से स्वास्थ्य विभाग भौचक्क है।बच्चे का इलाज कर रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रुदौली के चिकित्सा अधीक्षक डॉ पी के गुप्ता ने बताया कि बच्चे के पैरों में जो लक्षण दिखाई दे रहे है उस लिहाज से जांच का विषय जरूर है।जिसकी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।लेकिन पोलियो के लक्षण नही दिखाई दे रहे हैं।डब्ल्यू एच ओ के माध्यम से बच्चे का स्टूल (मल)जांच के लिए भेजा जा रहा है।