आम जन के लिए यह प्रदर्शनी सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक खुली रहेगी

अयोध्या। महुआ डाबर संग्रहालय द्वारा काकोरी ट्रेन एक्शन के महानायकों से संबंधित पत्र, डायरी, टेलीग्राम, स्मृति-चिह्न, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें, तस्वीरें और मुकदमों की फाइलों सहित महत्वपूर्ण दस्तावेजों की प्रदर्शनी आगामी 26 नवंबर 2025 को जिला कारागार फैजाबाद–अयोध्या के शहीद कक्ष में आयोजित की जाएगी। आम जन के लिए यह प्रदर्शनी सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक खुली रहेगी। इस दौरान महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक एवं भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के विद्वान डॉ. शाह आलम राना काकोरी एक्शन की गौरवशाली विरासत से जुड़े दुर्लभ अभिलेखों पर चर्चा करेंगे। कार्यक्रम का आयोजन अशफाक उल्लाह खां मेमोरियल शहीद शोध संस्थान, फैजाबाद द्वारा किया जा रहा है।
काकोरी केस के महानायक अशफाक उल्ला खां स्पेशल सेशन जज, लखनऊ से मृत्यु-दंड पाए जाने के बाद पहली बार 16 जुलाई 1927 को जिला कारागार फैजाबाद लाए गए थे। उनका बंदी पंजीयन क्रमांक 1063/1927 था। 31 जुलाई 1927 को उन्हें लखनऊ कारागार भेजा गया, जिसके बाद 10 अगस्त 1927 को फिर से फैजाबाद कारागार लाया गया, इस बार पंजीयन संख्या 1125/1927 के साथ। यहीं 19 दिसंबर 1927 की सुबह उन्हें फांसी दे दी गई थी।
प्रदर्शनी में महुआ डाबर संग्रहालय में संरक्षित कई दुर्लभ दस्तावेज शामिल होंगे, जिनमें सप्लिमेंट्री काकोरी षड्यंत्र केस जजमेंट फाइल, चीफ कोर्ट ऑफ अवध जजमेंट फाइल, प्रिवी काउंसिल लंदन अपील फाइल, मिशन स्कूल शाहजहांपुर का अशफाक उल्ला खां का छात्र रजिस्टर, फैजाबाद कारागार का बंदी विवरण, काकोरी ट्रेन डकैती से प्राप्त धनराशि का रिकॉर्ड, गिरफ्तारी विवरण, अशफाक उल्ला खां की हस्तलिखित डायरी, काकोरी केस चार्जशीट, खुफिया सुपरिटेंडेंट की डायरी, मैनपुरी षड्यंत्र केस में जब्त रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की उत्तरपुस्तिका, वायसराय को भेजी गई अपीलें, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ नज़्म की प्रति, अशफाक उल्ला खां और बिस्मिल के पत्र, विभिन्न अख़बारों की ऐतिहासिक रिपोर्टिंग, निशानदेही की तस्वीरें, फांसी के बाद बिस्मिल का पिता के साथ छायाचित्र, काकोरी क्रांतिकारियों का सामूहिक जेल फोटो, उनकी बैरक की तस्वीर तथा अशफाक उल्ला खां के माउजर का छायाचित्र शामिल हैं।
महुआ डाबर संग्रहालय, बस्ती जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संग्रहालय है, जो 1857 के विद्रोह में महुआ डाबर गांव की भूमिका को समर्पित है। 1999 में स्थापित इस संग्रहालय में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े 200 से अधिक छवियाँ, लगभग 100 अभिलेखीय कलाकृतियाँ, सिक्के, पांडुलिपियाँ और ऐतिहासिक दस्तावेज संरक्षित हैं। वर्ष 2010 में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल कुमार की देखरेख में हुए उत्खनन में यहाँ राख, जली हुई लकड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन और औज़ार मिले, जो इस स्थल के इतिहास को प्रमाणित करते हैं। उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 के तहत महुआ डाबर को स्वतंत्रता संग्राम सर्किट में शामिल किया गया है तथा यहां के क्रांतियोद्धाओं को प्रशासन द्वारा शस्त्र सलामी भी दी जाती है।