– अयोध्या के व्यापारियों से वार्ता कर सहयोग से निकाला जाये समाधान
अयोध्या। वरिष्ठ भाजपा नेता व व्यापार अधिकार मंच के संयोजक सुशील जायसवाल ने अपने प्रेस सम्बोधन में कहा कि हम सभी की वर्षो से एक मात्र इच्छा व स्वप्न है कि अयोध्या श्रीरामजन्मभूमि पर अलौकिक भव्य व दिव्य राममंदिर का निर्माण हो। इसी इच्छा के तहत सैकड़ो वर्षो से अयोध्या फैजाबाद जनपद सहित अयोध्या नगर धाम व श्रीरामजन्मभूमि के आसपास के दो किलोमीटर परिधि के व्यापारियों ने श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति संघर्ष से लेकर आज तक के हर आन्दोलनों में बढ़चढ़ हिस्सा ही नहीं लिया बल्कि कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष और सहयोग भी किया।
यही नहीं पिछले लगभग 30 वर्षो से लगातार आन्दोलनों और जनपद की सीमाओं को सील करने से महीनों व वर्षो तक पूरा व्यापार और परिवार दुष्प्रभावित रहा। व्यापारी आर्थिक तंगी की मार झेलता रहा, यहां तक कि लाठी डंडा, गाली और गोली भी सबसे ज्यादा आज वहां के रहने वाले व्यापारियों ने खाई। अब जब सबकुछ प्रभु श्रीराम की कृपा से अच्छा होने वाला है तो अयेध्या में सर्वांगीण विकास की योजनाओं के नाम पर पिछले एक डेढ़ वर्षो से अयोध्या के व्यापारियों को विभिन्न योजनाओं के अंर्तगत चैड़ीकरण और फोरलेन के नाम पर भयांकिंत कर विस्थापित करने की बात कहकर आतंकित करना ठीक नहीं। जबकि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री लगातार आश्वासन दे रहे है कि पहले योजनाबद्ध तरीके से व्यापारियों व निवासियों को बसाया जायेगा।
फिर कोई कारवाई होगी, फिर अकारण यह भयभीत करने वाली स्थिति क्यों, हमारी प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री जी से मांग है कि व्यापारियों का दर्द समझते हुए इस भ्रम की स्थिति को दूर करते हुए दुकान के पीछे दुकान या दुकान के बदले उचित जगह पर दुकान देकर स्थापित किया जाय और अयोध्या के व्यापारियों से वार्ता कर सहयोग से समाधान निकाला जाये। जिससे भय के वातावरण पर पूर्ण विराम लगे और भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के अंतर्गत विकास की योजनाओं का लाभ देर सवेर पूरे प्रदेश व देश को प्राप्त हो सके।
व्यापारियों द्वारा बनायी गयी संघर्ष समिति व समस्त व्यापारियों के साथ व्यापार अधिकार मंच पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है, तथा अयोध्या का समस्य व्यापारी समाज भी उनके साथ है। इस वार्ता के समय मुख्य रूप से विश्व प्रकाश रूपन,राजेश जायसवाल, शैलेंद्र सोनी रामू, बृजेंद्र मौर्या, आकाश जायसवाल, प्रशांत, उमेश आदि उपस्थित रहे ।