-जिला चिकित्सालय में विदाई और नए प्रभारी सीएमएस की नियुक्ति
अयोध्या। जिला चिकित्सालय में मंगलवार को एक भावनात्मक और महत्वपूर्ण बदलाव का दौर देखा गया। जिला चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. अजय सिंह गौतम अपनी सेवानिवृत्ति के साथ विदाई ले चुके हैं। उनके स्थान पर नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश सिंह ने प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) का पदभार ग्रहण किया। इस अवसर पर आयोजित विदाई समारोह में जहां कुछ चिकित्सकों और कर्मचारियों के चेहरों पर खुशी की झलक थी, वहीं कुछ लोग इस बदलाव से भावुक और दुखी भी नजर आए।
डॉ. अजय सिंह गौतम ने जिला चिकित्सालय में कुछ ही समय तक अपनी सेवाएं दीं और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण बदलाव और सुधार के दावे कर गए। उनकी विदाई के मौके पर अस्पताल परिसर में एक समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें कई चिकित्सकों और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। हालांकि, कुछ चिकित्सकों ने इस अवसर पर दूरी बनाए रखी, जिसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी सुनने को मिलीं। समारोह में डॉ. आशीष पाठक ने डॉ. अजय सिंह गौतम को सम्मानित किया और उनके योगदान की सराहना की। इस अवसर पर डॉ. बृज कुमार, डॉ. आरबी वर्मा, डॉ. विपिन वर्मा, फार्मासिस्ट संजय गुप्ता, आरके कनौजिया, उपेंद्र मणि सहित कई अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
विदाई समारोह के बाद सिविल लाइन स्थित अवंतिका होटल में एक भोज का आयोजन किया गया, जहां डॉ. अजय सिंह गौतम को भावभीनी विदाई दी गई। इस दौरान उपस्थित लोगों ने उनके साथ बिताए पलों को याद किया और उनके स्वस्थ और सुखमय भविष्य की कामना की। डॉ. अजय सिंह गौतम ने भी अपने संबोधन में सभी सहयोगियों और कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि जिला चिकित्सालय उनके लिए हमेशा एक परिवार की तरह रहा है।
नए प्रभारी सीएमएस डॉ. राजेश सिंह के सामने कई चुनौतियां हैं। जिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के साथ-साथ उन्हें कुछ गंभीर समस्याओं से भी निपटना होगा। विशेष रूप से, अस्पताल में दलालों की सक्रियता और बाहरी दवाइयां लिखने की प्रथा पर अंकुश लगाना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। ये दोनों मुद्दे लंबे समय से अस्पताल की छवि को प्रभावित करते रहे हैं। मरीजों और उनके परिजनों को अक्सर दलालों के चक्कर में पड़ना पड़ता है, जिससे न केवल उनकी आर्थिक हानि होती है, बल्कि अस्पताल की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। इसके अलावा, बाहरी दवाइयां लिखे जाने की शिकायतें भी समय-समय पर सामने आती रही हैं, जिसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
डॉ. राजेश सिंह ने पदभार ग्रहण करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि उनकी प्राथमिकता मरीजों को बेहतर और पारदर्शी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य जिला चिकित्सालय को एक ऐसी जगह बनाना है, जहां मरीजों को बिना किसी परेशानी के उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें। दलालों और अनैतिक प्रथाओं पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए हम एक सख्त नीति अपनाएंगे। अस्पताल के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि डॉ. राजेश सिंह के नेतृत्व में जिला चिकित्सालय की सेवाएं और बेहतर होंगी। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डॉ. राजेश सिंह की नियुक्ति से कई लोग उत्साहित हैं, क्योंकि उनकी छवि एक मेहनती और ईमानदार चिकित्सक की रही है।
हालांकि, कुछ कर्मचारियों का मानना है कि डॉ. राजेश सिंह के सामने चुनौतियां आसान नहीं होंगी। दलालों की सक्रियता को रोकने के लिए न केवल प्रशासनिक सख्ती की जरूरत है, बल्कि कर्मचारियों और चिकित्सकों के सहयोग की भी आवश्यकता होगी। इसके अलावा अस्पताल में संसाधनों की कमी और मरीजों की बढ़ती संख्या भी एक बड़ी चुनौती है।
स्थानीय निवासियों ने भी डॉ. राजेश सिंह से अपेक्षाएं जताई हैं। एक मरीज के परिजन राम प्रसाद ने कहा कि हम चाहते हैं कि अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले गरीब मरीजों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। दलालों की वजह से कई बार मरीजों को गलत दिशा में भेजा जाता है, जिसे पूरी तरह से रोका जाना चाहिए। डॉ. राजेश सिंह ने अपने पहले दिन में ही कुछ कर्मचारियों और चिकित्सकों के साथ बैठक की और अस्पताल की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की।
उन्होंने सभी से सहयोग की अपील की और कहा कि उनकी प्राथमिकता मरीजों का हित और अस्पताल की विश्वसनीयता को बढ़ाना है।
इस बदलाव के साथ अयोध्या का जिला चिकित्सालय एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है। डॉ. राजेश सिंह के नेतृत्व में यह देखना होगा कि वह कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से इन चुनौतियों से निपट पाते हैं और अस्पताल को एक नई दिशा दे पाते हैं।