किसी पर साहब का रहम और कोई कर रहा ज्यादा करम, इमरजेंसी ड्यूटी में मानक दरकिनार
अयोध्या। कहने को तो कागजों में तमाम नियम कायदे हैं। सबकी जिम्मेदारी तय है और विभाग के लिए सभी एक समान हैं। लेकिन यह सब कागजी बातें हैं।हकीकत तो यह है कि यहां नियम कायदा नहीं,बस केवल साहब की मर्जी चलती है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं अयोध्या जनपद के जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल की। जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की ओर से हर माह अलग-अलग लेवल के डॉक्टरों और फार्मासिस्ट तथा स्टाफ की इमरजेंसी ओपीडी ड्यूटी लगाई जाती है। नियम कायदे के मुताबिक सब की ड्यूटी लगभग बराबर होनी चाहिए,लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं है।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की ओर से किसी से प्रतिमाह 12-13 दिन की ड्यूटी ली जा रही है तो किसी से महज तीन-चार दिन की। जून माह के ड्यूटी चार्ट पर ही नजर डालें तो पता चलता है कि जिला अस्पताल में नियमित पद पर तैनात डॉ शिशिर श्रीवास्तव की ड्यूटी 13 दिन, डॉ धर्मेंद्र राव की 12 और डॉ आशीष श्रीवास्तव, डॉ विपिन कुमार वर्मा, डॉ विजय हरि आर्य, डॉ आरबी वर्मा व डॉ अरुण पटेल कि आठ-आठ दिन लगाई गई है। वही डॉ एके सिन्हा की 6 दिन, डॉ रजत चौरसिया, डॉ एके वर्मा व डॉ गंगाराम गौतम कि 4-4 दिन, जबकि डॉ आर सी गुप्ता की केवल 3 दिन ड्यूटी लगाई गई है। इतना ही नहीं किसी की जबरिया नाइट ड्यूटी लगा दी जाती है तो किसी की डे ड्यूटी।
जिला अस्पताल में लेवल 4 के डॉक्टरों की ड्यूटी में भी मनमानी की जा रही है। विभागीय नियमों के मुताबिक 55 साल की आयु पूरी कर चुके लेवल 4 के डॉक्टरों को इमरजेंसी ड्यूटी से छूट मिली हुई है। हालांकि धरातल पर देखे तो यह छूट केवल साहब की मर्जी पर निर्भर है। साहब की मर्जी के चलते ही नियम कायदा डॉ नानकसरन, डॉ सत्येंद्र सिंह व डॉ जीसी पाठक पर तो लागू हो रहा है और इनकी इमरजेंसी ड्यूटी नहीं लगाई जा रही है, लेकिन इन्हीं के समकक्ष डॉ रजत चौरसिया और डॉक्टर ए के वर्मा की विभाग ने इमरजेंसी ओपीडी ड्यूटी लगा रखी है।
ऐसा नहीं है कि विभागीय मनमानी की शिकायत नहीं हुई। जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर अरुण पटेल ने 26 मार्च, 26 अप्रैल और 26 मई को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को पत्र देकर 8-8 ड्यूटी लगाने पर आपत्ति जताई है।इतना ही नहीं पीड़ित डॉक्टर ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एके राय से मिलकर 8 ड्यूटी कर पाने में असमर्थता जताई है।
फरमान माने की दबाव
-कोरोना महामारी के बीच जिला अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी करने वाले चिकित्सक दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं। जिला मजिस्ट्रेट के निरीक्षण के बाद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की ओर से फरमान जारी कर दिया गया है कि बिना स्क्रीनिंग के किसी भी मरीज का उपचार न शुरू किया जाए। संक्रमण को रोकने के लिए जिला अस्पताल में अलग से एक स्क्रीनिंग कक्ष बनाकर स्टाफ की तैनाती की गई है। मगर मरीजों के तीमारदार सीधे इमरजेंसी पहुंच जा रहे हैं और ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक पर उपचार का दबाव बना रहे हैं। आरोप है कि स्क्रीनिंग कराकर लाने की हिदायत देने पर अभद्रता की जा रही है। इसको लेकर डॉक्टर पशोपेश में है कि अधिकारी का फरमान माने या फिर तीमारदारों का दबाव।