करोना संक्रमण पर जमीनी पड़ताल
अयोध्या। कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रभाव को लेकर शासन-प्रशासन महकमा अलर्ट पर हैं। जिले से लेकर राजधानी तक 24 घंटे काम करने वाला कंट्रोल रूम सक्रिय कर दिया गया है। घूम घूम कर दुकान, प्रतिष्ठान, होटल, लॉज, शोरुम, माल प्रबंधक लूंगा संचालन को समेत विभिन्न सरकारी गैर सरकारी विभागों में संक्रमण से बचाव के लिए हिदायत ही नहीं दी जा रही बल्कि डेमो भी कराया जा रहा है। एपिडेमिक एक्ट के तहत शासन प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे के निर्देश की अवज्ञा करने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है। संक्रमण से निपटने और संक्रमित रोगियों के उपचार का जिम्मा स्वास्थ्य महकमे के कंधे पर है जिसके लिए अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में आइसोलेट वार्ड बनाए गए हैं। साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टर व स्टाफ की टीम को तैनात किया गया है। स्वास्थ्य महकमा दावा भले ही लंबे चौड़े कर रहा हो लेकिन जमीनी हकीकत इसके इतर है। महकमे की कवायद पर उपदेश कुशल बहुतेरे की कहावत को चरितार्थ करती नजर आई।
इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तथा वार्डों में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए दावों के विपरीत इंतजाम नाकाफी दिखे। जिला अस्पताल प्रशासन में न तो भीड़भाड़ को रोकने की कोई व्यवस्था कर रखी है और न ही स्टाफ को संक्रमण से बचाव के लिए। हाल यह है कि जिला अस्पताल में कोरोना वार्ड गठित हुए एक माह से ज्यादा का अंतराल व्ययतीत तो हो चुका है और महानिदेशक स्वास्थ्य के निर्देश पर इस वार्ड को संचारी रोग से हटाकर कार्डियोलॉजी विभाग में स्थानांतरित किया जा चुका है। सोमवार को तैयारियों की जमीनी हकीकत की पड़ताल करने निकली टीम को कोरोना वार्ड का स्टाफ बिना मास्क के मिला। वार्ड इंचार्ज सुधा श्रीवास्तव का कहना है कि अभी तक कोई मरीज भर्ती नहीं हुआ। न ही अभी अस्पताल प्रशासन की ओर से मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराया गया है।
जिला अस्पताल के ईएमओ डॉ धर्मेंद्र राव ने बताया कि हम सभी मरीजों को यहीं पर लाया जाता है। शासन प्रशासन और विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है कि भीड़भाड़ से बचें लेकिन इमरजेंसी में तो हमेशा भीड़भाड़ रहती है। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी ड्यूटी स्टाफ को तत्काल 95 मार्का मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। डॉ वीरेंद्र वर्मा ईएमओ
इमरजेंसी ओपीडी कहना है कि अभी तक अरुणा वायरस संक्रमण को लेकर कोई संसाधन नहीं आया। इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक न तो मास्क दिया गया और न ही सैनिटाइजर उपलब्ध कराया गया। डॉक्टर व स्टाफ अपनी जेब से मास्क खरीद कर खुद को सुरक्षित कर रहे हैं।
चीफ फार्मासिस्ट आर पी सोनी का कहना है कि अभी तो स्टाफ को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध नहीं कराया गया। कहा जा रहा है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से डिमांड भेजी गई है और मंगाया जा रहा है। वही चीफ फार्मासिस्ट अशर्फीलाल चौधरी बताते हैं कि प्रशासन को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराना चाहिए था हालांकि अभी तक कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया गया है। वही एनएचडब्ल्यू उमेश चंद्र पाल का कहना है कि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मास्क केवल ओपीडी के डॉक्टरों और स्टाफ को उपलब्ध कराया जाएगा। सबके लिए इसकी कोई जरूरत नहीं है।
जिला अस्पताल परिसर स्थित रेडक्रास विकलांग बोर्ड में अच्छी खासी भीड़ है। हालाकि संक्रमण को रोकने के लिए कोई एहतियाती उपाय नहीं दिखा। बोर्ड कार्यालय में कार्यरत कर्मी सचिन यादव ने बताया कि अभी अस्पताल की ओर से विभाग को मास्क और सैनिटाइजर नहीं मिला है। वही चिल्ड्रन वार्ड की इंचार्ज सावित्री मिश्रा ने बताया कि संक्रमण से बचाव के लिए समय-समय पर साफ सफाई कराई जा रही है। स्टाफ के पास पुराना मास्क है जिसको जरूरत पर लगाया जाता है। हालांकि मास्क न लगाए होने के सवाल पर उन्होंने मुस्कुरा कर बात टाल दिया।
इस बाबत प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ नानकसरन ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की ओर से जरूरत के चीजों की डिमांड भेजी गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से कुछ माह और सैनिटाइजर आया भी है। उन्होंने बताया कि सभी लोगों को मास्क की कोई जरूरत नहीं है। जिनके लिए आवश्यक है उनको उपलब्ध कराया जा रहा है।