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मजबूरी ने रिस्क लेने को किया मजबूर, बुजुर्ग महिला को मिली नई जिंदगी

82 वर्षीय बुजुर्ग महिला के जीवन में खुशियों की आजादी आ गई

अयोध्या। अंग्रेजी में एक कहावत है कि नो रिस्क, नो गेम। कहने का मतलब यह है कि जीवन में अपेक्षित चीज हासिल करने के लिये कभी-कभी रिस्क लेना पड़ता है। हलांकि जनपद में एक परिवार को मजबूरी में रिस्क लेने को मजबूर होना पड़ा। गनीमत रही कि कलयुग के भगवान की मेहनत रंग लाई और 82 वर्षीय बुजुर्ग महिला के जीवन में खुशियों की आजादी आ गई।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं, जनपद के हैदरगंज थाना क्षेत्र स्थित गाँव कथकौली निवासी 82 वर्षीय महिला कैलाशा देवी पत्नी राजबहादुर की। बुजुर्ग महिला को गत माह 2 जुलाई को घर पर ही चोट लग गई थी। आर्थिक रूप से विपन्न बुजुर्ग महिला के परिवार ने दर्द की शिकायत पर क्षेत्र के झोला छाप डाक्टर को दिखाया तो उसने क्षेत्रीय बाजार में एक्सरे भी करवाया, लेकिन ढूंस की चोट का हवाला देकर उपचार करता रहा। इलाज के बावजूद दर्द से निजात न मिलने पर बुजुर्ग महिला को हैदरगंज बाजार स्थित एक प्राइवेट चिकित्सक को दिखाया गया तो उसने एक्सरे देखने के बाद कुल्हा टूटने की बात बताई और बुजुर्ग महिला के बेटे रामफेर वर्मा को उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। इसके बाद परिवार ने बुजुर्ग महिला को उपचार के लिए 4 अगस्त को जिला अस्पताल में भर्ती कराया।

परिवार और डाक्टर दोनों ने लिया रिस्क

-कई दिनों से जिला अस्पताल में भर्ती बुजुर्ग महिला कैलाशा देवी पत्नी राजबहादुर का मामला जाँच और रिपोर्ट में उलझा रहा। डाक्टरों की राय में दाहिने कूल्हे का आपरेशन अनिवार्य था और बुजुर्ग महिला की हालत आपरेशन के लायक नहीं थी। उसका आक्सीजन लेवल गिरा हुआ था और 82 फीसदी से आगे नहीं बढ़ रहा था। साथ ही उसका ब्लड प्रेशर भी सामान्य नहीं हो पा रहा था। आपरेशन के दौरान हार्ट अटैक की आशंका थी , जिसको लेकर डाक्टर उसको हायर सेंटर ले जाने की सलाह दे रहे थे, लेकिन परिवार की माली हालत ऐसी नहीं थी कि उसका बेटा अपनी मां को कहीं महंगा इलाज करा सके। जिसके चलते बुजुर्ग महिला के बेटे ने ार्थो सर्जन और प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा सीबीएन त्रिपाठी से फरियाद की।

कहा कि वैसे भी मां यह पड़े-पड़े मर जाएगी, इससे अच्छा है कि रिस्क ही लिया जाय। डाक्टर भी परिवार की पीड़ा देख रिस्क लेने को तैयार हो गए और बुधवार को महिला के कूल्हे का आपरेशन किया गया। विषम परिस्थिति में एनएसथेटिस्ट डॉ उत्तम कुमार ने बेहोशी का डोज दिया और डॉ सीवीएन त्रिपाठी ने वार्ड मास्टर अजेय प्रताप सिंह के सहयोग से सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर दिया। ऑपरेशन सफल होने पर परिवार तथा बुजुर्ग महिला खुश है। खास बात यह है कि मरीज के सारे पैरामीटर दुरुस्त हैं। बेटे रामफेर ने कलयुग के भगवान का आभार ज्ञापित किया है।

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