जिला अस्पताल के डॉक्टर लिख रहे महंगे इंजेक्शन
अयोध्या। प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए योगी सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में बाहर की दवाएं लिखने पर रोक लगाई गई है। पीड़ितों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से भारी भरकम बजट खर्च किया जा रहा है। गरीबों को निशुल्क उपचार मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी आयुष्मान योजना लागू की है। जिसको अमलीजामा पहनाने का दारोमदार जिला अस्पताल पर है, लेकिन शासन-प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मियों का रवैया बदलने का नाम नहीं ले रहा है। दुर्घटना और बीमारी के मामलों में जान बचाने का वास्ता देकर डॉक्टरों की ओर से महंगे इंजेक्शन और दवाइयां लिखी जा रही हैं और मोटा कमीशन हासिल किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला जिला अस्पताल में प्रकाश में आया है। अयोध्या नगर निगम के महापौर के हस्तक्षेप पर प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने आरोपी चिकित्सक को फटकार लगाई है।
जनपद के महाराजगंज थाना क्षेत्र इस्थित पूरा बाजार निवासी महिला 45 वर्षीय रेनू सिंह पत्नी चंद्रेश सिंह को बुखार की शिकायत हुई। महिला ने आसपास के चिकित्सकों से संपर्क कर अपना उपचार शुरू कराया लेकिन आराम नहीं हुआ। जिसके चलते सोमवार की शाम 6.15 बजे चंद्रेश सिंह अपनी पत्नी रेनू को लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे। इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने महिला रेनू का परीक्षण किया और बुखार के चलते हालत गंभीर होने की बात कही। मामला गंभीर बता कर एक छोटे से पर्चे पर 3 इंजेक्शन का नाम लिख दिया और बाहर मेडिकल स्टोर से खरीद कर लाने को कहा। चंद्रेश का कहना है कि पर्चा लेकर वह मेडिकल स्टोर पर पहुंचे तो दुकानदार ने बिल एक हजार से ज्यादा का बताया। दवाओं की कीमत सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। जेब में इतनी रकम न होने के चलते वह वापस लौट आए और मामले की शिकायत फोन कर प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एके राय से की, लेकिन प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने अयोध्या नगर निगम के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय को फोन कर वाकई की जानकारी दी और मदद की गुहार की।
स्वास्थ्य स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों का कहना है कि नाम ब्रांडेड दवा कंपनियों की ओर से दवा और इंजेक्शन पर मोटा कमीशन दिया जाता है। यह कमीशन 30 से 70 फीसदी तक होता है। इसके एवज में संबंधित दवा कंपनियां अपनी दवा और इंजेक्शन पर कई गुना एमआरपी अंकित करती हैं और ग्राहकों से मोटा मुनाफा वसूलती हैं। गोरखधंधे से जुड़े जिला अस्पताल के आसपास स्थित कुछ मेडिकल स्टोर संचालकों ने अस्पताल परिसर में अपने दलाल भी सक्रिय कर रखे हैं। जो कमीशन युक्त महंगी दवाएं 24 घंटे उपलब्ध कराते हैं। बुखार पीड़ित महिला रेनू को इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर की ओर से इंजेक्शन वर्कफास 1.5 मिलीग्राम कीमत 545 रुपये,इंजेक्शन डेका ड्युरेबोलिन 50 मिलीग्राम कीमत 275 रुपये व इंजेक्शन रैब 20 मिलीग्राम लिखा गया। जबकि उपचार के लिए जरूरी दवाएं जिला अस्पताल में मौजूद हैं और इसी फार्मूले की अल्टरनेट दवाएं काफी कम कीमत पर बाजार में भी उपलब्ध हैं। इस बाबत प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ एके राय ने बताया कि शिकायत मिलने पर संविदा चिकित्सक डॉ वीरेंद्र वर्मा और इमरजेंसी ड्यूटी के चिकित्सक डॉ विजय आर्य को कड़ी चेतावनी दी गई है।