चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में उभरा सिनेमा का सरोकार

by Next Khabar Team
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तीन दिवसीय चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन में पहुंची सिनेमा की हस्तियां

प्रख्यात फिल्मकार स्वर्गीय के. आसिफ की याद में आयोजित हो रहा फ‍िल्‍म फेस्टिवल

जगम्मनपुर। पांच नदियों के संगम स्‍थल पचनद के बीहड़ी क्षेत्र में तीन दिवसीय चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन किया गया। प्रख्यात फिल्मकार स्वर्गीय के. आसिफ की याद में यह समारोह तीन वर्षों से आयोजित हो रहा है। समारोह के दौरान देश भर से आई सिनेमा से जुडी हस्तियों ने लोगों को संबोधित भी किया। स्वर्गीय के. आसिफ ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में मुग़ल-ए-आजम जैसी शानदार और यादगार फिल्म बना कर भारतीय सिनेमा को अमर कर दिया, उन्‍ही की याद में ये फिल्म फेस्टिवल पिछले तीन सालों से आयोजित हो रहा है। चंबल फाउंडेशन के द्वारा स्वर्गीय के. आसिफ की याद में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आयोजित कर बीहड में फिल्म संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। लगातार तीसरे साल आयोजित इस फिल्म फेस्टिवल में शनिवार को लखनऊ, दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद तक से फिल्म जगत की दिग्गज हस्तियों ने पहुँच कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।फिल्म फेस्टिवल के पहले दिन दूर-दराज से आये कलाकारों और स्थानीय जनता के द्वारा साझे तौर पर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इस मौक़े पर प्रख्यात फिल्मकार, फिल्म विश्लेषक एवं संगीतज्ञ डाॅ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि के. आसिफ इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल देश के गांव-गांव तक फिल्म संस्कृति को पहुंचाने का महत्वपूर्ण प्रयास है।उन्होंने कहा कि अब तक फिल्म फेस्टिवल भारत सरकार के सहयोग से गोवा में आयोजित होता रहा है। चंबल फाउंडेशन की टीम उसको चंबल घाटी में लाकर बीहड़ों के बीच की स्थानीय जनता तक पहुंचाने का काम कर रही है। चंबल फाउंडेशन का ये प्रयास चंबल घाटी में पहले से मौजूद कला और संस्कृति की गहरी आस्था को आगे बढ़ाने और निखारने का काम कर रहा है।चर्चित कवि, मीडिया विश्लेषक और भारत सरकार की साहित्यक-संस्कृतिक पत्रिका ‘आजकल’ के प्रधान संपादक राकेश रेणु ने रेखांकित किया कि सिनेमा के दर्शक और उसकी कच्ची सामग्री गांवों-क़स्बों में मौजूद है।अक्सर अधिकतर फ़िल्मों की कहानी गांवों-कस्बों से ली जाती है और शूटिंग के लिये भी लोकेशन के तौर पर गांवों-कस्बों की जमीन का इस्तेमाल किया जाता है फिर फिल्म फेस्टिवल का आयोजन बड़े-बड़े शहरों में ही क्यों किया जायें। उन्होंने कहा कि अब ज़रूरत है कि फिल्म जगत के नये, ऊर्जावान और संकल्पबद्ध युवा फिल्म संस्कृति और फिल्म फेस्टिवल को देश के भीतरी इलाक़ों, छोटे शहरों और गांवों-क़स्बों तक ले जायें। चंबल फाउंडेशन की कोशिश से ना केवल यमुना-चंबल क्षेत्र बल्कि समूचे उत्तर प्रदेश में फिल्म संस्कृति और फिल्म फेस्टिवल का विकास होगा। तेलगु और हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता-निर्देशक आदित्य ओम ने उद्घाटन सामारोह को संबोधित करते हुए कहा कि के. आसिफ चम्बल इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल बहुत ही सराहनीय प्रयास है। विश्व का बेहतरीन सिनेमा की वादियों में लाने का और इस इलाक़े को देश और विदेश के सिनेमा मानचित्र से जोड़ने की अनूठी पहल है। चंबल फाउंडेशन के इस प्रयास को सलाम करता हूं। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि निर्देशक के तौर पर मैं इस देश की अनसुनी- अनदेखी कहानियों को वैश्विक स्तर पर लाने का प्रयास कर रहा हूं। इसी कड़ी में अपनी अगली फ़िल्म ‘मैला ‘ शूट करने यहां आया हूँ। चंबल की समस्याएं और संस्कृति मेरे प्रयत्नों से सिनेमा कैनवास पर उपयुक्त जगह पायेगी। सबके साझा सहयोग से चंबल घाटी का वास्तिवक सिनेमा गढ़ने में मदद मिलेगी।

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