-नव-वर्ष की टोन, बढ़ाती है हैप्पी हार्मोन
अयोध्या। क्रिसमस के आगमन के साथ मनोरासायनिक बदलाव होने शुरु हो जाते है,जिसके सकारात्मक मनोप्रभाव होते हैं। सामूहिक प्रार्थना व रोशनी युक्त सहचर्या से संवर्धित होने वाला मनोरसायन सेरोटोनिन मूड-स्टेबलाइज़र का कार्य करते हुए शीत ऋतु में सूर्य की रोशनी व धूप की कमी से होने वाले सीजनल- अफेक्टिव-डिसऑर्डर या शीत-ऋतु जनित अवसाद अथवा विंटर-डिप्रेशन से बचाने व उबारने में सहायक होता है।
क्रिसमस पूरी दुनिया में प्यार व मानव-सेवा का भाव पैदा करता है, जिससे लव-हार्मोन ऑक्सीटोसिन में बढ़ोत्तरी होती है। खास परिधान व सेल्फ ग्रूमिंग,परिजनों संग नृत्य व खान-पान आदि से रिवॉर्ड-हार्मोन डोपामिन व इन्डार्फिन में वृद्धि से मनोआनंद व उत्साह की मनोदशा परिलक्षित होती है, जिसे मनोविश्लेषण की भाषा में मेंटल-यूफोरिया कहा जाता है।
शुभकामना सन्देश व उपहार आदि का आदान प्रदान भी हैप्पी हार्मोन का संचार करता है, जिससे खुशहाली की मनोदशा में बढ़ोत्तरी होती है। क्रिसमस-पर्व से शुरु होकर नव-वर्ष के आगमनोपरान्त तक फील-गुड या हैप्पी-हार्मोन के मनोउत्सर्जन से तनाव,अवसाद व चिंता विकार के लिये जिम्मेदार हार्मोन कोर्टिसाल में कमी व खुशनुमा हार्मोन में बढ़ोत्तरी होती है।यह विश्लेषण डा. आलोक मनदर्शन द्वारा किया गया।