-जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद ने निर्मोही अखाड़ा के अधिवक्ता रणजीत लाल वर्मा से की मुलाकात
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भूमि खरीद खोटाले के लगे आरोपों के बाद रामनगरी अयोध्या पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ने भी आरोपी ट्रस्टियों चंपत राय व अनिल मिश्र से इस्तीफ़े की मांग की है और कहा है कि मामले की सर्वोच्च न्यायलय के सेवानिवृत्त जजों से निष्पक्ष जांच करायी जाय।
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि मामले पर निर्मोही अखाड़ा के अधिवक्ता रहे रणजीत लाल वर्मा से उनके आवास पर मुलाकात की। वहीं अयोध्या के महंत जन्मेजय शरण के आश्रम पर उन्होंने श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टियों चंपत राय व अनिल मिश्र से इस्तीफे की मांग की। उन्होंने रामजन्मभूमि के आसपास खरीदे जा रहे मंदिरों का विरोध कर उनके संरक्षण की मांग की। इस संबंध में उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र भी दिया है। महंत जयराम दास, बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश दास, नागा राम लखन दास से मुलाकात कर मंदिर ट्रस्ट पर चल रहे विवाद पर चर्चा की। बताया कि संतों का आरोप है कि संतों को डराया धमकाया जा रहा है। उनके मंदिर को जबरदस्ती लिया जा रहा है। वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री व सीएम योगी से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से जांच कराकर जो भी दोषी हैं, उन पर कार्रवाई की बात कही।
सरस्वती ने मांग की है किजिसके ऊपर आरोप लगे हैं, उनको स्वेच्छा से इस्तीफा दे देना चाहिए। कम से कम जांच पूरी होने तक। वहीं, वकील रणजीत लाल वर्मा से राम जन्म भूमि के विस्तारीकरण के दरमियान खरीदे जा रहे मंदिरों के विरोध में न्यायालय में अपील करने के लिए उन्हें नियुक्त किया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राम मंदिर के लिए हम ही नहीं हमारे पूर्वज भी काफी समय से संघर्ष करते आ रहे हैं। अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि मुक्त हो इसके लिए प्रयास सभी ने किया।
उन्होंने कहा कि धर्म का कार्य धर्माचार्य करें लेकिन बीच में राजनीतिक लोग ट्रस्ट में आ गए हैं। मंदिर बनाने के लिए एकत्रित हुए धन से अन्य मंदिरों को खरीदा जा रहा है। मंदिर को खरीद करके उनको तोड़ा जा रहा है। ऐसे में विधिक प्रक्रिया अपनाने का फैसला किया गया है। रंजीत लाल वर्मा जिन्होंने राम जन्मभूमि केस निर्मोही अखाड़े का पक्ष रखा था, इसके लिए हमने इनको अपना वकील नियुक्त किया है। हमने उनके चेंबर में आकर रंजीत लाल वर्मा से निवेदन किया था, जिसको इन्होंने स्वीकार किया है।