अंटार्कटिका एवं आर्कटिक में पैराबैगनी किरणों का सूक्ष्म पौधो पर पड़ रहे प्रभाव पर रखा अपना पक्ष
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 जसवंत सिंह ने 8 से 11 अप्रैल तक पोलर एजुकेटर्स इन्टरनेशनल काॅफेंस, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, यूनाईटेड किंगडम में “मानव, अन्य जीवधारियों तथा पर्यावरण पर हो रहे दुष्प्रभावों एवं इसके समाधान“ विषय में आयोजित काॅफ्रंेस में हिस्सा लिया। प्रो0 सिंह ने व्याख्यान में उपस्थित शोधकर्ताओं, शिक्षाविद्ों एवं पोलर वैज्ञानिकों के समक्ष अंटार्कटिका एवं आर्कटिक में पैराबैगनी किरणों का सूक्ष्म पौधो पर पड़ रहे प्रभाव एवं इनकी संरचना में परिवर्तन एवं अनुकूलनशीलता के विस्तार पर अपना वैज्ञानिक पक्ष रखा।
प्रो0 जसवंत सिंह ने बताया कि अंटार्कटिका एवं आर्कटिक का पारिस्थितिकी तंत्र एक अत्यन्त संवेदशील एवं मनुष्य की पहॅुच से काफी दूर दक्षिणी एवं उत्तरी धु्रव पर स्थित है। यहाॅ का वातावरण पृथ्वी के अन्य भागों से यहां के जीवधारी बिल्कुल भिन्न है इसकी जानकारी आम जनमानस के बीच बहुत सीमित है। धु्रवीय क्षेत्र एक अलग दुनियां के समान है यहां पर शोध के लिए कई गंभीर चुनौतियां है जो भविष्य में काफी उपयोगी सिद्ध हो सकती है। प्रो0 सिंह ने बताया कि धु्रवीय क्षेत्र एक अत्यधिक ठंडे, शुष्क, तेज हवाओं तथा पैराबैगनी किरणों की अधिकता वाला क्षेत्र है। पृथ्वी पर लगातार बढ़ते प्रदूषण एवं ग्रीन हाऊस गैसों में हो रही वृद्धि के कारण जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक तापमान में वृद्धि का प्रभाव अंटार्कटिका एवं अर्काटिक जैसे दूरस्थ एवं दूर्गम स्थलों के गैलेशियरों का लगातार पिघलना एवं समुद्रों के जलस्तर में हो रही लगातार वृद्धि निश्चित रूप से मानवजाति के लिए बड़ी चुनौती है।
प्रो. सिंह ने बताया कि पोलर एजुकेटर्स इन्टरनेशनल ऐसे शोधकर्ताओं, शिक्षाविद्ों एवं पोलर वैज्ञानिकों का संघ है जो धु्रवों पर हो रहे पर्यावरणीय प्रदूषण एवं परिवर्तनों पर अध्ययन करता है। इस काॅफेंस में स्काटिश शोध संस्थान , ब्रिटिश अंटर्कटिका सर्वेक्षण, अन्तर-राष्ट्रीय आर्कटिक विज्ञान समिति, यू0के0 पोलर नेटवर्क तथा विश्व के सभी धु्रवों पर कार्य कर रहे वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया। काॅफंेस में धु्रवों पर हो रहे पर्यावरणीय परिवर्तन तथा मानवजाति को इनसे बचाने एवं दुष्प्रभावों को समझने के लिए नई तकनीकों के विकास पर अपने-अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया कि पोलर शोधकर्ताओं द्वारा धु्रवों एवं प्रयोगशलाओं में किये गये जटिल प्रयोगों को सरल भाषा में आम जनमानस पहॅुचाने एवं धु्रवीय शोधों से जोड़ने पर बल दिया जिससे पर्यावरणीय परिवर्तन के बारे में लोगों को महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके और समय से अंटार्कटिका एवं आर्कटिक में हो रहे पर्यावरणीय परिवर्तनों एवं प्रदूषण को रोकने में आम जनमानस का सहयोग प्राप्त हो सके। प्रो0 सिंह ने वर्ष 2002 एवं 2004 में भारतीय अंटार्कटिका अभियान दल में भाग लेकर अंटार्कटिका में शोध किया एवं वर्ष 2018 में सूक्ष्म पौधो पर पैराबैगनी किरणों के प्रभाव का अध्ययन किया। प्रो0 सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित के दिशा-निर्देशन में धु्रवों पर शोध करने हेतु एडवांस सेंटर फाॅर इन्वायरमंेटल एवं अंटार्कटिका रिसर्च की भी स्थापना परिसर के पर्यावरण विभाग में की जा रही है। इस महत्वपूर्ण काॅफेंस में हिस्सा लेने पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने प्रो0 जसवंत सिंह को बधाई दी है।