विश्व मिर्गी दिवस पर हुआ व्याख्यान
अयोध्या। मस्तिष्क में विद्युत तरंग की गड़बड़ी से मिर्गी होती है यह न्यूरोलाजिकल डिसआर्डर किसी भी उम्र में मिर्गी हो सकती है। आंकड़े बताते हैं कि 100 लोगों में से एक व्यक्ति मिर्गी से पीड़ित है। यह विचार विश्व मिर्गी दिवस के मौके पर जिला चिकित्सालय के मनो चिकित्सा विभाग में आयोजित संगोष्ठी में मनोचिकित्सक डा. शिशिर कुमार वर्मा ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मिर्गी के प्रमुख लक्षणों में अचानक बेहोशी आना, शरीर में झटके लगना, शरीर अकड़ जाना, मुख से फेना आना, जीभ कट जाना, मूत्र या शौंच हो जाना, पुतलियों का घूमना रूक जाना शामिल है। मिर्गी का दौरा ज्यादातर दो-तीन मिनटों में खत्म हो जाता है। उन्होंने बताया कि मिर्गी के प्रमुख कारणों में दिमांग में चोट दिमांगी बुखार, दिमांग की रक्त नलिकाओं में रक्त प्रवाह कम होना, दिमांग की गांठ न्यूरोसिस्टी सकोसिस, नशीले पदार्थ का सेवन व अनुवांशिक शामिल है। उन्होंने बताया कि जब दौरा पड़े तो मरीज को किसी करवट लिटा देना चाहिए और उसके कपड़े ढ़ीले कर दिये जाने चाहिए। उल्टी होने की दशा में करवट के बल ही लिटाये रखना चाहिए। मरीज के मुख में तबतक कुछ न डाला जाय जबतक वह पूरी तरह ठीक न हो जाय। उन्होंने बताया कि आम तौर पर मिर्गी का दौरा आने पर मरीज को जूता या चप्पल लोग संुघाते हैं ऐसा किसी भी हालत में नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों में गलत भ्रांति है कि यह छुआछूत की बीमारी है और भूत प्रेत के प्रकोप के कारण मिर्गी होती है। मिर्गी रोगी को तांत्रिक ओझा के पास नहीं ले जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिला मानसिक स्वास्थ्य इकाई जिला चिकित्सालय परिसर में यदि मिर्गी का कोई रोगी है तो उसे प्रत्येक सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को लाकर निःशुल्क परामर्श व दवा लेनी चाहिए।