राष्ट्रपति ने कहा -राम के प्रति श्रद्धा के कारण माता-पिता ने किया था मेरा नामांकरण
अयोध्या। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को अयोध्या में रामायण कानक्लेव का शुभारंभ किया। केंद्र और राज्य सरकार से अपेक्षा की कि भगवान राम के मर्यादा अनुरूप जन सहयोग से अयोध्या को मानव सेवा का उत्कृष्ट केन्द्र, समाजिक समरसता तथा शिक्षा व शोध का वैश्विक केन्द्र बनाएं। जिससे यह नैतिक व अध्यात्मिक संस्कारों के लिए विश्व में प्रसिद्ध हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि रामकथा पार्क में आकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। गोस्वामी तुलसीदास ने कहा था कि राम की कथा वह मधुर फल है जो संदेह रुपी पक्षियों को उड़ा देता है। राष्ट्रकवि रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था कि रामायण व महाभारत में भारत की आत्मा बसती है। रामकथा के माध्यम से मर्यादाओं को प्रदर्शित करती रामायण का प्रचार प्रसार मानवता के हित में होगा। रामनगरी आने से अविभूत राष्ट्रपति ने कहा कि यह भगवान राम की जन्म व लीला भूमि है। कवि भास ने अपने नाटक में भरत के संवाद में व्यक्त किया है कि राम के बिना अयोध्या है ही नहीं। यहां राम सदा के लिए विराजमान हैं। कहा कि अयोध्या का अर्थ है जिससे युद्ध असम्भव है। इसे अपराजेय माना जाता है। इसलिए इसका नाम अयोध्या है। बताया कि इस वर्ष रामायण कानक्लेव का आयोजन अनेक शहरों में किया जा रहा है। रामायण की विशेषता बताई की रामायण में दर्शन के साथ आचार संहिता भी उपलब्ध है। जो जीवन के प्रत्येक पक्ष से हमारा मार्गदर्शन कराती है। रामायण व रामचरितमानस में मानव के ईश्वरीकरण व ईश्वर के मानवीकरण के रुप में देखा जा सकता है। रामराज्य में अपराध विलुप्त हो गया था। दण्ड विधान की अवश्यकता नहीं थी। अयोध्या पर आधारित रामचरितमानस ने जनआन्दोलन का रुप लिया। आज भी घर घर में रामचरितमानस की पंक्तियां ज्ञान का प्रकाश फैलाती है। दैव दैव आलसी पुकारा जैसी पंक्तियां आलसी लोगो के विषय में बताती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज का आयोजन महत्वपूर्ण है। स्वदेश दर्शन के माध्यम से दो योजनाओं का लोकापर्ण व तुलसी स्मारक भवन के विकास का शिलान्यास किया गया। इससे रामकथा से जुड़े शोध कार्यो में सहायता मिलेगी। अयोध्या शोध संस्थान के द्वारा पूरे विश्व में मौजूद रामायण का संकलन किया जायेगा। यहां अनवरत रामलीला का संचालन होता है। कोविड में कुछ व्यवधान हुआ था। परन्तु अब यह चलता रहेगा। उन्होने कहा कि रामायण में वाल्मिकि ने कहा था कि जब तक पर्वत व नदियां विद्यमान रहेंगी तब तक रामायण रहेगी। रामकथा की लोकप्रियता विश्वव्यापी है। गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी में रामायण की रचना करके इसे जनजन तक जोड़ दिया। विश्व के अनेक देशों में रामकथा की प्रस्तुति रामलीलाओं के माध्यम से की जाती है। रामकथा पर आधारित चित्रकारी भी देखने को मिलती है। रामकथा पर साहित्य का प्रभाव मानवता के रुप में आज भी देखने को मिलता है। मेरे माता पिता में राम के प्रति श्रद्धा रही होगी तभी मेरा नामांकरण किया। उन्होने कहा कि दक्षिण कोरिया के 60 लाख लोग अपने को अयोध्या की राजकुमारी सूरीरत्ना का वंशज मानते हैं। जनकपुर की वजह से नेपाल का अयोध्या से जुड़ाव है। थाईलैंड में एक शहर का नाम अयोध्या है।
सामाजिक समरसता का उदाहरण राम सबरी प्रसंग
-राष्ट्रपति ने रामायण पर प्रकाश डाला। कहा कि रामायण में राम व शबरी का प्रसंग है। यह प्रसंग हमें सामाजिक समरसता का संदेश देता है। भेदभाव मुक्त समाज का उदाहरण है। निषाद राज के साथ राम का गले मिलना भी समाजिक समरसता का अनुभव कराता है। राम ने अयोध्या व मिथिला से सेना नहीं बुलाई। उन्होने अपने अभियान में जटायु से लेकर गिलहरी तक को जोड़ा। महात्मा गांधी ने आदर्श भारत की कल्पना को रामराज्य से जोड़ा।
इससे पहले अयोध्या पहुंचे राष्ट्रपति कोविंद का स्वागत प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा अन्य मंत्रियों ने किया। जिसके बाद रामायण संगोष्ठी का आरंभ किया। इस शहर के संदर्भ में भगवान राम की महत्ता पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि राम के बिना अयोध्या, अयोध्या नहीं है। जहां राम है वहीं अयोध्या है। भगवान राम इस शहर में स्थायी रूप से रहते हैं और अत: सच्चे मायनों में यह स्थान अयोध्या है। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि विश्व समुदाय और युवा पीढ़ी को राम कथा में निहित जीवन मूल्यों से जोड़ना चाहिए। रामायण में राम निवास करते हैं। वाल्मीकि जी ने कहा था जब तक पृथ्वी पर नदी और पर्वत रहेंगे रामकथा लोकप्रिय रहेगी।इस दौरान उन्होंने पर्यटन विभाग की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया।
श्रीराम के जयघोष से गूंजी रामनगरी
-रामनगरी में लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने शानदार अंदाज में गीतों की प्रस्तुति दी। पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने जय श्रीराम का जयघोष किया। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा तथा केंद्रीय रेलवे और कपड़ा राज्यमंत्री दर्शना विक्रम जरदोश भी मौजूद रहीं।