अयोध्या सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जननी : अश्वनी चौबे

by Next Khabar Team
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अवध विवि में दो दिवसीय अवध मिथिला सम्मेलन का हुआ शुभारम्भ

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में विश्वविद्यालय एवं इंण्डिया थिंक काउसिंल के संयुक्त संयोजन में दो दिवसीय अवध मिथिला सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अश्वनी चौबे, स्वास्थ्य राज्यमंत्री, भारत सरकार, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ0 सतीश द्विवेदी, मंत्री बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश सरकार, अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, अयोध्या जिलाधिकारी अनुज झा, अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ0 वाईपी0 सिंह रहे। सम्मेलन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने की।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अश्वनी चौबे ने कहा कि अयोध्या दुनियां की सबसे पवित्र भूमि है। मर्यादा पुरूषोत्तम राम की जन्म स्थली अयोध्या सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जननी है। महान भारत का सपना यही से पिरोया गया है। राम धरती के कण-कण में है जन-जन में है। भगवान राम को कैसे भूला जा सकता है। एक लम्बे सघर्ष के बाद राम मन्दिर पर निर्णय आने के बाद प्रत्येक देश वासी ने इसे ह्दय से स्वीकारा है। जनभावनाओं की इच्छा के अनुरूप सुप्रीम कोर्ट ने मन्दिर पर निर्णय दिया। श्री चौबे ने कहा कि यह प्रकरण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक एकता का परिचायक है जो वर्षों से लम्बित था। सत्य कभी पराजित नही हो सकता। इससे इस कथन की पुष्टि होती है। भातत की धरती राम की संस्कृत है सभी भारत वासी भारत माता की संतान है। इसी धरती ने मर्यादा के राम कर्मवीर राम एवं पराक्रमी राम का जन्म दिया। राजा हो तो राम जैसा का संदेश विश्वभर में स्थापित करने वाली अवध की धरती का मिथिला से गहरा सांस्कृतिक सम्बन्ध है।
सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि अयोध्या और मिथिला के मायने हमारी सांस्कृतिक परम्परा से बंघे हुए है। अयोध्या को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करना आवश्यक है। इस पौराणिक नगरी के नेटवर्क को विकसित करने से उन सम्बन्धों का पुर्नजीवित करने का मौका मिलेगा जिसकी आज आवश्यकता है। अवध में सीता का प्रतिनिधित्व, मिथिला में राम का प्रतिनिधित्व देशवासियों के लिए एक प्रेरक प्रंसग है।अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत को संजोने के लिए राम विवाह को यूनेस्कों की विश्व धरोहर में शामिल करने के योग्य है। क्योंकि राम विवाह की परम्परा अवध में सदियों से चली आ रही है। इस परम्परा को संजोये रखना प्रत्येक भारतवासी का नैतिक दायित्व है। विश्वधरोहर में शामिल होने से अयोध्या उस मुकाम पर पहुचेंगी जिसकी वह हकदार है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ0 सतीश द्विवेदी ने कहा कि सीता राम विवाह हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। सीताराम विवाह के बिना विवाह का संस्कार इतना गंभीर नही हो सकता। इसी लिए विवाह को सांस्कृतिक एवं एतिहासिक मिलन के रूप में भी भारतीय समाज ने अपनाया है। भारत की धरा के कण-कण एंव घर-घर में राम है। अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा कि अवध और मिथिला का रिश्ता अद्वितीय है। इस विरासत को पुनः संजोने की आवश्यकता है। अवध और मिथिला के रिश्तों में मयोदा की झलक सदियों से परिलक्षित हो रही है। अयोध्या की पुर्नस्थापना में इस विरासत को पुनः जोड़ने की आवश्यकता है। जिलाधिकारी अनुज झा ने बताया कि अवध और मिथिला का सम्बन्ध विवाह से शुरू होता है। राम भारतीय समाज के आदर्श माने जाते है। मिथिला में प्रत्येक दामाद को राम के स्वरूप से जोड़ा जाता है और सीता को पुत्री के रूप में एवं शक्ति स्वरूप देखा जाता है। सीताराम विवाह भारत के आदर्श समाज की एक मजबूत नींव है। क्योंकि मिथिला में राम एवं सीता की जिस संस्कृति परम्परा को संजोया है। वे हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। प्रत्येक राजा की मर्यादा राम से जोड़ी जाती है। बेटा कैसा हो, राज्य कैसा हो, जीवन की मर्यादा कैसी हो, सभी के आदर्श राम है। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ0 वाईपी0 सिंह ने कहा कि राम धर्म में है। राम में संस्कृति में है। राम विश्व के कोने-कोने में है। जन्म से लेकर गुरूकुल की शिक्षा तक राम का सामान्य जीवन रहा।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम भेटकर किया गया। संगीतमयी कुलगीत की प्रस्तुति की गई। उद्घाटन सत्र में कई देशों सहित देश के प्रबुद्धजनों में उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष ह्दय नारायण दीक्षित, प्रदेश के उप मुख्य मंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश के मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी, अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित, नेपाल में भारत के राजदूत मंजीव सिंह पुरी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय, पूर्व विदेश मंत्री नेपाल रमेश नाथ पाण्डेय, दक्षिण एशिया अध्ययन केन्द्र कांठमांडू के निदेशक निश्छलनाथ पाण्डेय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0के0 सिंह सहित अन्य के शुभकामना संदेश प्रसारित किये गये। सम्मेलन का संचालन भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी द्वारा किया। आये हुए अतिथियों के प्रति धन्वयाद ज्ञापन इंण्डिया थिंक काउसिंल के निदेशक सौरभ पाण्डेय ने किया। इंण्डिया थिंक काउसिंल के निदेशक सौरभ पाण्डेय ने बताया कि सम्मेलन के दोनों दिन त्रेतायुग का पुनरावलोकन एवं रामायण, अवध की सीता और मिथिला के राम, सीता राम विवाह, वैवाहिक परम्परा और मूल्य, रामायण सर्किट में संस्कृति और आर्थिक विकास की साक्षी विरासत, अवध मिथिला नेपाल के पौराणिक इतिहास और वैदिक साक्ष्य एवं अयोध्या शोध संस्थान द्वारा अवध और मिथिला पर लोकगीतों की प्रस्तुतियां होगी। सम्मेलन में श्रीलंका पर्यटन के निदेशक श्रीलंका रामायण पर प्रस्तुति देंगे, 21 नोट्स वाल्मीकि रामायण श्रंखला बैंगलोर एनिमेटेड रामायण प्रस्तुत करेंगे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो0 एस0 एन0 शुक्ल, मुख्य नियंता प्रो0 आर0एन0 राय, प्रो0 अशोक शुक्ला, प्रो0 आशुतोष सिन्हा, प्रो0 के0 के0 वर्मा, डॉ0 आर0के0 सिंह, प्रो0 राजीव गौड़, प्रो0 एस0एस0 मिश्र, डॉ0 सुरेन्द्र मिश्र, प्रो0 विनोद श्रीवास्तव, डॉ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, डॉ0 सुधीर श्रीवास्तव, डॉ0 शैलेन्द्र वर्मा, सुनीता शास्त्री, डॉ0 महेन्द्र पाल, डॉ0 अंशुमान पाठक, डॉ0 अभिषेक मौर्य, इं0 परितोष त्रिपाठीत्र इं0 रमेश मिश्र, इं0 पारिमल त्रिपाठी, डॉ0 आर0एन0 पाण्डेय सहित इंण्डिया थिंक काउसिंल के पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।

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