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अयोध्या अनादिकाल से हमारी सांस्कृतिक समृद्धता का प्रतीक : आनन्दीबेन पटेल

अवध विश्वविद्यालय का 27वां दीक्षांत समारोह भव्यतापूर्ण सम्पन्न

 

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय का 27 वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को प्रातः 11 बजे परिसर के स्वामी विवेकानंद प्रेक्षागृह में भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के पूर्व कुलपति प्रो0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री रहे। इस समारोह की विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी रही। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल द्वारा स्वागत उद्बोधन किया गया।

विश्वविद्यालय के 27 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करती हुई उत्तर प्रदेश राज्यपाल व कुलाधिपति श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि अयोध्या अनादिकाल से हमारी सांस्कृतिक समृद्धता का प्रतीक रही है। इसे आचार्य नरेन्द्रदेव एवं डॉ0 राममनोहर लोहिया जैसे राष्ट्रदृष्टा की कर्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है। विश्वविद्यालय राष्ट्र के मानव संसाधन के उत्कृष्ट विकास के केन्द्र होते है। भारत का लोकतंत्र और संस्कृति हमारी धरोहर है। आज भारत विश्व भर को योग चिकित्सा की ओर प्रवृत्त कर रहा है। हमारा देश समृद्ध विरासत को सुरक्षित रखने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर प्रगति कर रहा है। कुलाधिपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की संकल्पना धीरे-धीरे आकार ले रही है। अयोध्या के मन्दिरों से प्राप्त फूलों से इंत्र निर्माण कर विश्वविद्यालय सामाजिक दायित्वों की पूर्ति कर रहा है।

उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि आज महिला सशक्तीकरण में प्रदेश अनुकरणीय कार्य कर रहा है। प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों में छह महिला कुलपति कार्य कर रही है। पूरी निष्ठा से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है। राज्य विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में 80 प्रतिशत छात्राओं को स्वर्णपदक प्राप्त हुआ है। इससे स्पष्ट होता है कि शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागादारी हर स्तर पर बढ रही है। यह प्रदर्शन स्वागत योग्य है और भारत के सामाजिक निर्माण की दिशा में एक सुखद संदेश है। कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में शोध परियोजनाओं के साथ वैश्विक स्तर पर शिक्षण संस्थानों के साथ एमओयू बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे शैक्षिक स्तर में गुणवत्तापरक सुधार हो सके। विश्वविद्यालयों को सामाजिक भागीदारी में सक्रिय भूमिका का निर्वहन करना होगा और ग्रामीण स्तर पर नागरिकों को जागरूक करना होगा। तभी सशक्त भारत की संकल्पना साकार हो सकेगी।

भारत में दीक्षा की परम्परा अति प्राचीन : प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री

 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के पूर्व कुलपति प्रो0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ने कहा कि भारत में दीक्षा की परम्परा अति प्राचीन है। दीक्षा एक पावन प्रक्रिया है। इस ऋषि परम्परा से भारत को समझने की चेष्टा करें। उन्होंने कहा कि अभी तक भारत को पश्चिमी दृष्टि से समझा गया इसी कारण भारत के साथ न्याय नही हो पाया आज भारत अगड़ाई ले रहा है। इसके आप सभी सहभागी बने। सभी युवा देश के सबसे सशक्त प्रहरी है। प्रो0 अग्निहोत्री ने कहा कि अयोध्या का कण-कण अगड़ाई ले रहा है।

आओं नये भारत का निर्माण करें। यहीं दीक्षा मंत्र राम मंत्र है। उन्होंने कहा कि राम भारतीय इतिहास के पुरोधा है। इस इतिहास को रामायण से लिपिबद्ध किया गया है। आज हम सभी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं लगभग 3 सौ वर्ष पहले दशम गुरू परम्परा के श्री गोविन्द सिंह ने सप्त सिंधु क्षेत्र में सतलज नदी के किनारे खालसा पंथ की स्थापना करके देश धर्म के नाम पर मिटने पाले पांच शिष्यों को अमृतपान कराकर इस महोत्सव का श्री गणेश किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अयोध्या ही दीक्षा की नई भूमि है। आज सरयू के तीर पर उन्हीं संकल्पों को युवा पीढ़ी को पूरा करना है।

राष्ट्र निर्माण में सभी छात्र सहभागी बनेः रजनी तिवारी

 

समारोह में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में सभी छात्र सहभागी बने। सभी को सदाचार एवं नैतिक मूल्यों का अनुसरण करके उपाधि की सार्थकता को प्रमाणित करना है। समाज में योगदान कर सक्रिय रूप से नवनिर्माण के लिए सभी को प्रेरित करें। यहां तक पहॅुचाने वाले शिक्षक एवं माता-पिता के प्रति अपने दायित्वों को समझे।

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का कथन है कि शिक्षा का लक्ष्य मनुष्य, भावना से भर उठे का होना चाहिए। आपको तब तक परिश्रम करना है जब तक लक्ष्य न प्राप्त कर ले। उन्होंने कहा कि भारत विश्व की महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है। केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्र निर्माण के लिए निरन्तर प्रयत्न किए जा रहे है अब उसका स्वरूप दिखाई देने लगा है।

रोजगारपरक शिक्षा की दिशा में विश्वविद्यालय अग्रसरः प्रो. प्रतिभा गोयल

समारोह में अतिथियों का स्वागत एवं प्रतिवेदन प्रस्तुत करती हुई विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल ने कहा कि अयोध्या की पावन धरा पर स्थापित विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन कर रहा है। विश्वविद्यालय से 764 महाविद्यालय सम्बद्ध है। विश्वविद्यालय में 6 लाख स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्र अध्ययनरत है। छात्र-छात्राओं के सर्वागीर्ण विकास एवं सामाजिक व सामाजिक दायित्व का बोध कराने के लिए एनसीसी, एनएसएस तथा क्रीडा परिषद की इकाईया भी कार्यरत है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं देश-विदेश में महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों एवं ख्यातिलबद्ध शोध संस्थानों में अपनी सेवायें दे रहे है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को विश्वविद्यालय द्वारा परास्नातक एवं स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में लागू कर दिया गया है। रोजगारपरक कौशल केन्द्र स्थापित करने की दिशा में विश्वविद्यालय अग्रसर है।

कुलपति प्रो. गोयल ने कहा कि विश्वविद्यालय महिला सशक्तीकरण के क्रम में ग्रामीण महिलाओं के लिए निकट छह गांवों में संयुक्त रूप से स्वास्थ्य कैप लगाकर आवश्यक दवाएं एवं मल्टीबिटामिन की गोली वितरित की गई है। ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य की जॉचकर चिकित्सकीय सहायता प्रदान की गई। विश्वविद्यालय द्वारा छात्र-छात्राओं को डिजिटलाइजेशन के क्रम में डिजीलॉकर की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। सर्वोच्च अंकों से उत्तीर्ण करने वाले 127 स्वर्णपदक प्राप्तकर्ताओं 82 छात्राएं है। विश्वविद्यालय के खिलाड़ी छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतिगिताओं में 13 स्वर्ण, 9 रजत व 29 कांस्य पदक प्राप्त किए है जो यह सिद्ध करता है कि देश में प्रतिभाओं की कमी नही है।

इस समारोह में कुलाधिपति एवं कुलपति द्वारा सर्वोच्च अंक प्राप्त स्नातक, परास्नातक एवं दानस्वरूप छात्र-छात्राओं को कुल 127 स्वर्णपदक प्रदान किए जायेंगे। इसमें विश्वविद्यालय परिसर एवं महाविद्यालयों के स्नातक, परास्नातक व पीएचडी में कुल 191074 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी गई। जिसमें स्नातक के कुल 152080, परास्नातक के कुल 38897 व पीएचडी के कुल 97 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई।

कार्यक्रम से पहले कुलाधिपति द्वारा डॉ. लोहिया की प्रतिमा पर माल्यर्पण किया गया। उसके उपरांत विश्वविद्यालय के 65 बटालियन एसीसी कैडेटों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में राज्यपाल व अतिथियों द्वारा मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित किया गया। छात्राओं द्वारा वंदेमातरम, जल भरो कार्यक्रम एवं कुलगीत की संगीतमय प्रस्तुति की गई। अतिथियों का स्वागत कुलपति प्रो0 गोयल द्वारा पुष्पगुच्छ, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेटकर किया गया। समारोह में राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालय की वार्षिक स्मारिका का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम के दौरान कुलाधिपति द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के 30 छात्र-छात्राओं को बैग, बुक किट व फल की टोकरी देकर सम्मानित किया गया। इसी कुलाधिपति द्वारा आगनबाडी़ कार्यकत्रियों को सेवा कार्य में प्रोत्साहन के लिए बच्चों के खिलौने, साइकिल, कुर्सी प्रदान किए गए। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो0 संत शरण मिश्र द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव उमानाथ ने किया।

समारोह में मंहत राजू दास, महंत रामदास, विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, साहित्यकार एवं शिक्षाविद्व डॉ0 प्रेमभूषण गोयल, जिलाधिकारी नीतीश कुमार, एसएसपी, एसपी सिटी अयोध्या, वित्त अधिकारी पूर्णेन्दु शुक्ला, मुख्य नियंता प्रो0 अजय प्रताप सिंह, प्रो0 चयन कुमार मिश्र, प्रो0 आशुतोष सिन्हा, प्रो0 हिमांशु शेखर सिंह, प्रो0 नीलम पाठक, प्रो0 जसवंत सिंह, प्रो0 अनुपम श्रीवास्तव, प्रो0 एसके रायजादा, प्रो. एमपी सिंह, प्रो0 एनके तिवारी, प्रो0 फारूख जमाल, प्रो0 के0के वर्मा, प्रो0 आरके तिवारी, प्रो0 शैलेन्द्र कुमार, प्रो0 शैलेन्द्र वर्मा, प्रो0 तुहिना वर्मा, प्रो0 अनूप कुमार, सहायक कुलसचिव डॉ0 रीमा श्रीवास्तव, मो0 सहील प्रो0 गंगाराम मिश्र, प्रो0 अशोक राय सहित बड़ी संख्या में सदस्य छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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