-दब्बू व्यक्तित्व लाती है हीनभावना व कुंठा, व्यवहार-उपचार बनाता है व्यक्तित्व को साकार
अयोध्या। पलायनवादी व्यक्तित्व विकार या अवॉयडेंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर से ग्रसित लोग मेलजोल से कतराते हैं। प्रतिभा और योग्यता होने के बावजूद सामाजिक व व्यवसायिक क्षेत्र में प्रायः पीछे रहते हैं। इनमे आत्मविश्वास की कमी, हीनभावना,अपने हुनर व उपलब्धियों की अनदेखी, निर्णय लेने में असमर्थता, असफलता या दुर्घटना का डर,अपना प्रभाव छोड़ने मे असमर्थता, लोगों की सकारात्मक बातों को भी नकारात्मक टिप्पणी समझ बुरा मान जाना, सुरक्षित माहौल में बने रहना तथा कम से कम चुनौती वाले कार्य या नौकरी करना, अपने रंग रूप, बोलचाल, कद-काठी आदि से असंतुष्ट रहना जैसे मनोभाव व लक्षण इनमें प्रमुख होते हैं ।
सलाहः
इस व्यक्तित्व विकार के इलाज व्यवहार मनोउपचार का प्रमुख स्थान है। परिजनों की सहायता से व्यक्ति को उसकी संवेदनशीलता को पहचानने व उससे निपटने की विधियाँ सिखाई जाती हैं।परिज़न की सहायता से रोगी को सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न करने व अपनी खूबियों को पहचान कर उसमें प्रवीणता हासिल करने के लिए प्रेरित किया जाता है। कमियों को अनदेखा कर सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए ट्रेनिंग दी जाती है।
सकारात्मक लोगों या दोस्तों के बीच ज़्यादा समय बिताने पर जोर दिया जाता है। व्याप्त घबराहट, डिप्रेशन, और कुंठा को दूर करने की दवाओं का उपयोग भी सहायक होता है। इससे ब्रेन के रिवॉर्ड हार्मोन डोपामिन व हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन मे वृद्धि होकर स्वस्थ व्यक्तित्व का पुनर्निर्माण होता है।
यह बातें राजकीय बृज किशोर होमियोपैथी मेडिकल कॉलेज में आयोजित व्यक्तित्व विकास सेमिनार में डा आलोक मनदर्शन ने कहा। संयोजन अकाडेमिक हेड डा माधुरी गौतम तथा समापन सम्बोधन डा नम्रता जैन ने दिया।