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सवालों के घेरे में जिला चिकित्सालय में कर्मचारियों की नियुक्ति

-बिना आयु सीमा निर्धारित किए जारी कर दिया विज्ञापन, -स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के सम्बन्धी ही मिले पात्रता पूरी करने वाले अभ्यर्थी

अयोध्या। जिला चिकित्सालय प्रशासन ने 22 नवंबर को चार कर्मचारियों के जिन तीन अलग अलग पदों पर नियुक्तियां की उसे लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। नियम कानूनों को ताक पर रख कर जिस प्रकार जल्दीबाजी में मनमानी ढंग से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली उससे पूरी नियुक्ति प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में आ गई है।

जिला अस्पताल के ओएसटी सेंटर में पांच अलग-अलग पदों पर नियुक्तियां होनी थी। जिसके लिए प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने दो समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कराया। दोनों समाचार पत्र राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र हैं। नियमतः नियुक्ति की सूचना एक राष्ट्रीय व एक स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित की जानी थी। बड़ा सवाल यह है कि विज्ञापन में किसी भी पद के लिए आयु सीमा की कोई शर्त नहीं दी गई। यही नहीं जब प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा बृज कुमार से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने अपनी त्रुटि को छुपाने के लिए झल्लाते हुए कहा कि आयु वाला ही इन्टरव्यू दे सकता कोई 10 साल का बच्चा तो इन्टरव्यू देने नहीं आएगा।

उन्होंने अन्य किसी भी सवाल का उत्तर देने से इन्कार कर फोन कट कर दिया । मिली जानकारी के अनुसार प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा बृज कुमार 31 जनवरी को सेवा निवृत्तं होने वाले हैं। ऐसे में उन्होंने जल्दी से जल्दी नियुक्ति करने के लिए मनमानी ढंग से नियुक्ति कर ली। लोग इस बात को लेकर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं कि नियुक्ति के लिए गठित चयन समिति में किसी एक्सपर्ट को शामिल नहीं किया गया है। जिन लोगों की नियुक्ति की गई है उनमें तीनों पदों पर स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी व कर्मचारियों के परिवारीजन या रिश्तेदारों का ही चयन किया गया है।

लोगों का कहना है कि करता स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के परिवार वाले ही पात्र मिले। अन्य कोई पात्र उम्मीदवार नहीं मिला जिसका चयन किया गया होता। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक जब माह भर में सेवानिवृत्तं होने वाले हैं तो ऐसे में उनको नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है। वैसे भी वे प्रभारी प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक हैं तो ऐसे में उनको नियुक्ति का अधिकार नहीं है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व जिला प्रशासन गलत ढंग से की गई नियुक्तियों को लेकर मौन है। फिलहाल यह मामला मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंच गया है और शीघ्र ही उच्च न्यायालय में भी याचिका की तैयारी एक स्वयम सेवी संगठन ने की है।

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