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समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा का सदैव वाहक रही नारी : आरती दीक्षित

“नारी शक्ति” विषय पर अवध विवि में हुई गोष्ठी

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रीवेन्सन ऑफ सेक्सुअल हरेसमेंट सेल द्वारा ”नारी शक्ति“ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यशाला की मुख्य अतिथि श्रीमती आरती दीक्षित, विशिष्ट अतिथि एस0एच0ओ0 अयोध्या की प्रियंका पाण्डेय एवं फेमिली कोर्ट की कॉउन्सलर डॉ0 मृदुला राय रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती आरती दीक्षित ने कहा कि भारतीय धर्म ग्रन्थों में सदैव से ही महिलाओं प्रति समानता का भाव रहा है। समाज में नारी को शक्ति के रूप में पूजा गया है। नारी समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा का सदैव वाहक रही है। इसी कारण भारतीय संस्कृति सदियों से विद्यमान है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि भारतीय संस्कृति की वाहक रही नारी ने अपने परिवार व समाज को सदैव जोड़ने का कार्य किया है। भारत एक ऐसा देश है जहां महिलायें परिवार के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देती है। देश की इस समृद्ध परम्परा का पूरी दुनियां सम्मान करती है इसी कारण आज भारत की सांस्कृतिक विरासत कई-कई बार विखंडित होने के बावजूद भी आज विद्यमान है। प्रो0 दीक्षित ने बताया कि राष्ट्र का सम्मान तभी तक संभव है जबतक नारी समाज को उनके दायित्वों के निर्वहन का पर्याप्त सम्मान एवं अवसर मिलेगा। एक शिक्षित महिला से परिवार ही नहीं समाज भी काफी कुछ सीखता है और समृद्ध होता है। विशिष्ट अतिथि प्रियंका पाण्डेय ने कहा कि भारत में नारी शक्ति का सदैव महत्वपूर्ण स्थान रहा है। बदलते सामाजिक परिवेश में कुछ नई चुनौतियों को जन्म दिया है इसके लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक महिला अपने भीतर आत्मविश्वास बनाये रखे। इससे एक तरफ वह शोषण से मुक्त होगी तो दूसरी तरफ उसके अधिकारों का क्षरण भी रूकेगा। प्रियंका ने बताया कि भारत सरकार एवं प्रदेश सरकारे महिला सशक्तिकरण पर कार्य कर रही है। इसके लिए टोलफ्री न0 1090 को भी जारी कर दिया गया है। शोषण के विरूद्ध आवाज उठाने के लिए चुप रहने की आवश्यकता नहीं है।
विशिष्ट अतिथि फेमिली कोर्ट की कॉउन्सलर डॉ0 मृदुला राय ने कहा कि महिलाओं का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। गत कई दशकों से महिलाओं को अपने अधिकार के लिए कॉफी सघर्ष करने पड़े है। इसी का प्रतिफल हैं कि सन् 1975 में 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया गया। इस दिवस के आयोजन का तात्पर्य महिलाओं को सशक्त बनाना है। वैदिक काल में भारत में नारी समाज को समानता का अधिकार प्राप्त था और उस समय शास्त्रार्थ प्रतियोगिताओं में बराबर की भागीदारी होती थी। बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रो0 नीलम पाठक ने कहा कि यदि एक महिला शिक्षित होती है तो उसका प्रभाव उसकी एक पीढ़ी तक पड़ता है। पारिवारिक एवं सामाजिक विकास में महिलाओं के योगदान को भुलाया नही जा सकता। कार्यक्रम में प्रकोष्ठ की समन्वयक डॉ0 तुहिना वर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि कोई भी राष्ट्र तभी पूर्ण हो सकता है जहां स्त्री और पुरूष के मध्य अधिकारों को लेकर कोई भेद-भाव न हो। आज प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी यह सिद्ध कर रही है कि वे किसी कम नही है। कार्यक्रम का संचालन प्रकोष्ठ की सदस्य डॉ0 नीलम यादव ने किया। अतिथियों प्रति धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 नीलम सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य नियंता प्रो0 आर0 एन0राय, प्रो0 आशुतोष सिन्हा, डॉ0 वन्दिता पाण्डेय, डॉ0 प्रियंका श्रीवास्तव, डॉ0 महिमा चौरसिया, कृतिका निषाद सहित शिक्षिका, महिला कर्मचारी एवं छात्राएं उपस्थित रही।

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