“कोविड-19 महामारीः अवसर एवं चुनौतियां” विषय पर हुआ वेबिनार
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलाॅजी विभाग एवं तकनीकी संस्थान के संयुक्त संयोजन में ”कोविड-19 महामारीः अवसर एवं चुनौतियां” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का समापन दिनांक 20 मई, 2020 को सांय 4ः 30 बजे किया गया। समापन की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न होने वाली परिस्थिति से हम सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। जहां देशव्यापी लाॅकडाउन में अवागमन बन्द हुआ है वही देश में इसका सकारात्मक पक्ष यह भी रहा कि वायु प्रदुषण कम हो गया है जिससे ओजोन परत की क्षति पूर्ति हो गयी। इसका दूसरा नकारात्मक पक्ष यह रहा कि बायोमेडिकल वेस्ट का प्रबंधन को चुनौतीपूर्ण हो गया है। प्रो0 दीक्षित ने बताया कि वर्तमान समय में बायोलॉजिकल क्लॉक बदल रहा है। साथ ही उन्होंने वर्तमान परिस्थिति में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के प्रभाव पर चर्चा की।वेबिनार के द्वितीय तकनीकी सत्र में विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के समन्वयक एवं बायोकमेस्ट्री विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 रामलखन सिंह ने कोविड-19 वायरस के लिए हाइड्राक्सी क्लोरोक्विन ड्रग्स के मैकेनिज्म के बारे में बताया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो0 बेचन शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस अपना नेचर प्रोटीन की वजह से तेजी से बदल रहा है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो0 राजर्षि कुमार ने वायरस की वैक्सीन के विकास और उसमें उत्पन्न होने वाली बाधाओं से अवगत कराया। अन्य वक्ताओं में एमिटी विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की डॉ0 प्राची श्रीवास्तव, शुएट्स, प्रयागराज ,नैनी के बायोसाइंस विभाग की डॉ0 पी0के0 शुक्ला, एनसीसीएस, पुणे के डॉ0 प्रवीण राठी एवं बाबू बनारसी दास के जीव रसायन विभाग की डॉ0 लक्ष्मी बाला ने भी संबोधित किया। वेबिनार के मुख्य अतिथि अवध विश्वविद्यालय माइक्रोबायोलाॅजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 एस0 के0 गर्ग ने कोविड-19 महामारी के संक्रमण एवं उसके प्रसार के बारे में विस्तार से बताया। प्रो0 गर्ग ने बताया कि वर्तमान समय में इस वायरस में तेजी से म्युटेशन हो रहा है। इसलिए वायरस की लम्बे समय तक रहने की सम्भावना है। इस महामारी से निपटने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे है। लेकिन अभी तक इसके लिए वैक्सीन और मेडिसिन मार्केट में नही हैं। इस पर वैज्ञानिकों एवं सरकारों को तेजी के साथ काम करना होगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो0 एस0एन0 शुक्ल कहा कि इस आपदा के कारण आज हम सभी तकनीकी पर निर्भर होते जा रहे है। अधिकतर कार्य वर्क फ्राम होम के तहत तकनीकी की सहायता से कर रहे है। आने वाला समय ऑनलाइन एजुकेशन का होगा। बायोटेक्नोलॉजी विभाग के समन्वयक एवं बायोकमेस्ट्री विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 रामलखन सिंह ने इस दो दिवसीय वेबिनार के आयोजन के लिए कुलपति जी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के वेबिनार से धन व समय की बचत होती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भी इस तरह के वेबिनार को आयोजित कराने के बारे में विचार करना चाहिए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बायोकमेस्ट्री विभाग के प्रो0 बेचन शर्मा ने बताया कि कोविड-19 पर नियंत्रण पाने के लिए लगातार शोध किये जा रहे है। जबतक इसका सटीक इलाज नही मिल जाता है। तबतक हम सभी को सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना होगा। वेबिनार के संयोजक एवं माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो0 राजीव गौड़ ने बताया कि इस दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में कई शिक्षाविद और वैज्ञानिकों ने अपने-अपने विचार रखे। आने वाले समय में वैज्ञानिकों एवं शिक्षाविद्वों द्वारा शीघ्र ही कोविड-19 पर नियंत्रण पाने में हम सफल होंगे। प्रो0 गौड़ ने बताया कि इस वेबिनार में लगभग 500 प्रतिभागियों ने आॅनलाइन उपस्थिति दर्ज कराई। अतिथियो का स्वागत आयोजन सचिव डॉ0 शैलेन्द्र कुमार ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 शैलेन्द्र कुमार, डॉ0 तुहिना वर्मा तथा डॉ0 रमापति मिश्रा द्वारा किया गया। समारोह में आयोजन सचिव डाॅ0 तुहिना वर्मा ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। दो दिवसीय वेबिनार में तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। प्रथम तकनीकी सत्र में गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय हरिद्वार माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 आर0 सी0 दूबे ने कोरोना काल के प्रभाव को कम करने के लिए प्राचीन काल के वेदो में इससे बचाव के विस्तृत एवं अतिरोचक जानकारी दी गई है। आज पूरा विश्व हमारी प्राचीनतम संस्कृति को अपने जीवन शैली में अपना रहा है। विश्वविद्यालय माइक्रोबायोलाॅजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 एस0 के0 गर्ग ने कोरोना वायरस की संरचना उसके जीवनचक्र पर विस्तृत प्रकाश डाला। बायोकमेस्ट्री विभाग की प्रो0 नीलम पाठक ने कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव एवं बचाव के बारे में बताया। एनबीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ0 शुचि श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना काल में बेरोजगारी एवं किसानो की समस्या को दूर करने के लिए जैविक खाद के निर्माण पर बल देना होगा. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो0 ओ0पी0वर्मा ने बताया कि कोरोना का आम जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के जैविकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 शरद मिश्रा ने कोविड-19 के चुनौतिपूर्ण, संक्रमण एवं बचाव के बारे में अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी दी। एसजीपीजीआई माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक डाॅ0 आशुतोष पाठक ने कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति के सम्पूर्ण जांच एवं बचाव पर प्रकाश डाला। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो0 सुधीर मेहरोत्रा ने बताया कि कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना होगा।इस वेबिनार का सफल बनाने में डाॅ0 मणिकांत त्रिपाठी, डाॅ0 आशुतोष त्रिपाठी एवं अनुराग सिंह, इंजीनियर रमेश मिश्रा, इंजीनियर परितोष त्रिपाठी, इंजीनियर विनीत कुमार सिंह एवं उनकी टीम ने अपना तकनीकी सहयोग प्रदान किया। इस अवसर पर प्रो0 आरएन राय, प्रो0 सी0के0 मिश्र, डाॅ0 नीलम पाठक, डाॅ0 नीलम यादव सहित अन्य उपस्थित रहे।