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क्या है आदर्श आचार संहिता ?

निर्वाचन के दौेरान मन्त्रियों के दौरे-
निर्वाचनों की घोषणा के पश्चात् कोई भी केन्द्र अथवा राज्य का कोई मंत्री अपने शासकीय दौरे को निर्वाचन कार्य के साथ सम्मिलित नहीं करेंगे और शासकीय दौरे के पश्चात् वे अपने मुख्यालय लौट जायेंगे। जिले (जिलों) जहाँ निर्वाचन हो रहा है और जहाँ आदर्श आचरण संहिता प्रभावी है वहाँ उनकी यात्रा पूर्णतया निजी प्रकार की होगी और ऐसी यात्रा मंत्री के मुख्यालय से प्रारम्भ होकर मुख्यालय पर समाप्त होगी।
यदि कोई मंत्री किसी शासकीय कार्य से किसी अन्य जिले में जा रहा है और रास्ते में उस जिले (जिलों) से होकर गुजरना है जहाँ निर्वाचन हो रहा है तथा आदर्श आचरण संहिता प्रभावी है तो वह उस जिले (जिलों) में न तो रूकेगा और न ही किसी राजनैतिक कार्य में भाग लेगा।
जिला (जिलों) जहाँ निर्वाचन हो रहा है के किसी भी श्रेणी के कर्मचारी को किसी मंत्री द्वारा किसी जिले में की गयी बैठक में सम्मिलित होने हेतु नहीं बुलाया जायेगा, तथा उन जिलों में भी नहीं जहाँ निर्वाचन नहीं हो रहा है।
यदि कोई कर्मचारी मंत्री के निजी भ्रमण के दौरान जहाँ निर्वाचन हो रहा है मिलेगा तो वह संबंधित सेवा नियमों के दुराचरण का दोषी होगा और यदि वह लोक प्र्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 129(1) के अन्र्तगत कोई अधिकारी है तो उसे उक्त धारा के संवैधानिक प्राविधानों के उल्लंघन का दोषी माना जायेगा और उसके खिलाफ उक्त धारा में प्राविधानित कार्यवाही की जायेगी।
मंत्री द्वारा निर्वाचन क्षेत्र में किसी निजी भ्रमण के दौरान उनकी उपस्थिति को दर्शित करने के लिए कोई बीकान लाईट लगी पाइलट कार (कारों) या अन्य रंग की कार (कारें) प्रयुक्त नहीं की जायेंगी भले ही राज्य प्रशासन ने उन्हें दौरे के दौरान सशस्त्र गार्ड ले जाने की अनुमति दी हो।
सम्पत्ति विरूपण के सम्बन्ध में-
किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को झंडा टांगना, पोस्टर चिपकाने आदि के लिए किसी की भूमि-भवन/दीवार चाहे सार्वजनिक हों या निजी उसके स्वामी की लिखित अनुमति के बिना नहीं किया जाना चाहिए। इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 425, 426, 427, 433 आदि और दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 133 के अधीन कार्यवाही की जायेगी।
राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्ग-दर्शन के लिए-
मत प्राप्त करने के लिए जातीय या साम्प्रदायिक भावनाओं की दुहाई नहीं दी जानी चाहिए। मस्जिदों, गिरजाघरों, मंदिरों या पूजा के अन्य स्थलों का निर्वाचन प्रचार के मंच के रूप में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
सभी दलों और अभ्यर्थियों को ऐसे सभी कार्यों से ईमानदारी के साथ बचना चाहिए, जो निर्वाचन विधि के अधीन ‘‘भ्रष्ट आचरण’’ और अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को रिश्वत देना, मतदाताओं को अभिग्रस्त करना, मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केन्द्र के 100 मीटर के भीतर मत याचना करना, मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय को खत्म होने वाली 48 घण्टे की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं करना और मतदाताओं को सवारी से मतदान केन्द्रों तक ले जाना और वहां से वापस लाना आदि ।
दल अथवा अभ्यर्थी को किसी प्रस्तावित सभा के स्थान और समय के बारे में स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों को उपयुक्त समय पर सूचना दे देनी चाहिए ताकि वे यातायात के नियंत्रित करने और शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए आवश्यक प्रबन्ध कर सकें।
दल या अभ्यर्थी को उस दशा में पहले ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उस स्थान पर जहाँ सभा प्रस्तावित है, कोई निर्बन्धात्मक या प्रतिबंधात्मक आदेश लागू तो नहीं हैं यदि ऐसे आदेश लागू हों तो उनको कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिए, यदि ऐसे आदेश से कोई छूट अपेक्षित हों तो उसके लिए समय से आवेदन करना चाहिए और छूट प्राप्त कर लेनी चाहिए।
यदि किसी प्रस्तावित सभा के सम्बन्ध में लाउडस्पीकरों के उपयोंग या किसी अन्य सुविधा के लिए अनुज्ञा या अनुज्ञप्ति प्राप्त करनी हो तो दल या अभ्यर्थी को सम्बन्धित प्राधिकारी के पास काफी पहले ही से आवेदन करना चाहिए और ऐसी अनुज्ञा या अनुज्ञप्ति प्राप्त कर लेनी चाहिए।
जुलूस का आयोजन करने वाले दल या अभ्यर्थी को पहले ही यह बात तय कर लेनी चाहिए कि जुलूस किस समय और किस स्थान से शुरु होगा, किस मार्ग से होकर जायेगा और किस समय और किस स्थान पर समाप्त होगा। सामान्यतः कार्यक्रम में कोई फेरबदल नहीं होनी चाहिए।
यदि दो या अधिक राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों ने लगभग उसी समय पर उसी रास्ते से या उसके भाग से जुलूस निकालने का प्रस्ताव किया है तो आयोजकों को चाहिए कि वे समय से काफी पूर्व आपस में सम्पर्क स्थापित करें और ऐसी योजना बनायें जिससे कि जुलूसों में टकराव न हो या यातायात को बाधा न पहुँचें। स्थानीय पुलिस की सहायता सन्तोषजनक इन्तजाम करने के लिए सदा उपलब्ध होगी। इस प्रयोजन के लिए दलों को यथा शीघ्र पुलिस से सम्पर्क स्थापित करना चाहिए।
किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को अन्य राजनैतिक दलों के सदस्योे या उनके नेताओं के पुतले लेकर चलने, उनको सार्वजनिक स्थान में जलाने और इसी प्रकार के अन्य प्रदर्शनों का समर्थन नहीं करना चाहिए।
इस बात से सहमत हों कि मतदाताओं को उनके द्वारा दी गई पहचान पर्चियां सफेद कागज पर होंगी और उन पर कोई प्रतीक अभ्यर्थी का नाम या दल का नाम नहीं होगा।
मतदान के दिन और उसके पूर्व के 24 घण्टों के दौरान किसी को शराब पेश या वितरित न करें।
यह सुनिश्चित करें कि अभ्यर्थियों के कैम्प साधारण हों, उन पर कोई पोस्टर, झण्डे, प्रतीक या कोई अन्य प्रचार सामग्री प्रदर्शित न की जाय। कैम्पों में खाद्य पदार्थ पेश न किये जांय और भीड़ न लगाई जाए।
मतदाताओं के सिवाय कोई भी व्यक्ति निर्वाचन आयोग द्वारा दिये गये विधिमान्य पास के बिना मतदान केन्द्रों में प्रवेश नहीं करेगा।
सत्ताधारी दल या उनके अभ्यर्थियों का विश्राम गृहों, डाकबंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं होगा और ऐसे आवासों का प्रयोग निष्पक्ष तरीके से करने के लिए अन्य दलों और अभ्यर्थियों को भी प्रयोग करने की अनुमति दी जायेगी। लेकिन कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसे आवासों का (इसके साथ संलग्न परिसरों सहित) प्रचार कार्यालय के रूप में या निर्वाचन प्रोपेगण्डा के लिए कोई सार्वजनिक सभा करने की दृष्टि से प्रयोग नहीं करेगा या प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जायेगी।
निर्वाचन अवधि के दौरान राजनैतिक समाचारों तथा प्रचार की पक्षपातपूर्ण ख्याति के लिए सरकारी खर्चे से समाचार-पत्रों में या अन्य माध्यमों से ऐसे विज्ञापनों का जारी किया जाना तथा सरकारी जन-माध्यमों का दुरुपयोग कर्तव्यनिष्ठ होकर बिल्कुल बन्द रहना चाहिए, जिसमें सत्ताधारी दल के हितों को अग्रेतर करने की दृष्टि से उनकी उपलब्धियां दिखाई गई हों।
मन्त्रियों और अन्य प्राधिकारियों को उस समय से जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किये जाते हैं, वैवेकिक निधि में से अनुदानों/अदायगियों की स्वीकृति नहीं देनी चाहिए।
मतदाता की संतुष्टि के लिये नकदी, शराब या अन्य किसी वस्तु का वितरण रिश्वत है और यह एक दण्डनीय अपराध है। निर्वाचनों के दौरान नकदी, शराब या अन्य वस्तुओं के वितरण पर नजर रखने के लिए प्रत्येक पुलिस स्टेशन के अधीन उड़न दस्ते बनाए गए हैं। उड़न दस्तों द्वारा जब्ती से बचने के लिये कोई भी व्यक्ति जो निर्वाचनों के दौरान किसी निर्वाचन क्षेत्र में बहुत बड़ी मात्रा में नकदी ले जा रहा है, तो उस धन के स्त्रोत और उसके अन्तिम प्रयोग को दर्शाने वाले समुचित दस्तावेज साथ रखने चाहिए।
भारत निर्वाचन आयोग के आदेश संख्या 485/काम्प/ई-फाइलिंग/2014/ईईपीएस दिनांक 20 नवम्बर, 2014 के साथ संलग्न (अनुबन्ध-क) के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य में अधिकतम निर्वाचन व्यय की सीमा लोक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए रू0-70,000,00 (रूपये सत्तर लाख) हो गयी है।
निर्वाचन लड़ने वाले समस्त अभ्यर्थी/प्रत्याशी प्रत्येक दशा में नामांकन से एक दिन पूर्व किसी बैंक मेें अपने एवं अपने निर्वाचन अभिकर्ता के नाम से एक नया संयुक्त खाता खोलकर निर्वाचन में किये जाने वाले समस्त व्यय उक्त खाते के माध्यम ही खर्च करें, और रूपया 20,000 से अधिक की धनराशि चेक के माध्यम से निकाला जाये।
मन्त्री और अन्य प्राधिकारी, उस समय से जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किये जाते हैं-
क- किसी भी रूप मे कोई भी वित्तीय मंजूरी या वचन देने की घोषणा नहीं करेंगे। अथवा
ख- किसी भी प्रकार की परियोजनाओं अथवा स्कीमों के लिए आधारशिलाएं आदि नहीं रखेंगे। या
ग- सड़कों के निर्माण का कोई वचन नहीं देगे, पीने के पानी की सुविधाएं नहीं देंगे आदि। या
घ- शासन, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति न की जाय, जिससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हों। केन्द्रीय या राज्य सरकार के मन्त्री, अभ्यर्थी या मतदाता अथवा प्राधिकृत अभिकर्ता की अपनी हैसियत को छोड़कर किसी भी मतदान केन्द्र या गणनास्थल में प्रवेश न करें। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन दण्डनीय अपराध है।

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Written by Next Khabar Team

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