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स्वस्थ मन ही है खूबसूरत मन : डॉ. आलोक मनदर्शन

विश्व की प्रथम खूबसूरत-मन प्रतियोगिता के आयोजन की दसवीं वर्षगांठ पर विशेष मनोविविश्लेशन रिपोर्ट

विश्व इतिहास में पहली बार भारत द्वारा आयोजित ‘खूबसूरत-मन प्रतियोगिता’ में दुनिया भर के चुने विजेताओं का भव्य एतिहासिक अवार्ड समारोह उत्तर प्रदेश के फैजाबाद शहर में 19 नवम्बर 2009 को तरंग पैलेस सभागार में संपन्न हुआ |इस प्रतियोगिता के दसवी वर्ष गांठ पर प्रतियोगिता के जनक डॉ मनदर्शन ने बताया कि इस प्रतियोगिता से यह निष्कर्ष  निकला कि दुनिया भर में समस्त अन्य प्रकार की खूबियों को परखने और सम्मान देने की ढेर सारी प्रतियोगिताएँ होती रही है | परन्तु मानसिक सुन्दरता को परखने के इस आयोजन ने लोगों को एक ऐसा दर्पण प्रदान किया जिससे वो अपने मन की खूबसूरती को परख सके | 
स्वस्थ व सुन्दर मन के वैश्विक मिशन के प्रति समर्पित ‘मनदर्शन-मिशन’ द्वारा आयोजित देश को गौरवान्वित करने वाले इस प्रतियोगिता के जनक डॉ. आलोक मनदर्शन’ के सघन मानसिक शोध के पश्चात् आम जनता में मन की खूबसूरती का अविर्भाव कर विश्व समाज को खूबसूरत बनाने की परिकल्पना के तहत इस अनूठी प्रतियोगिता का शुभारम्भ आयोजन किया गया |  प्रतिभागियों  से इस अवार्ड समारोह में चुने गये 21 लोगों को खूबसूरत-मन अवार्ड दिया गया | 
प्रतियोगिता के आयोजन की दसवीं वर्षगांठ  पर डॉ. आलोक मनदर्शन’ ने बताया कि न चुने गए प्रतियोगियों में कुछ न कुछ व्यक्तित्व-विकार (Personality Disorder ) मौजूद रहे है | इनमे सबसे बड़ी संख्या उन लोगों की थी जो बनावटी व्यक्तित्व-विकार (Histrionic Personality Disorder )-(60 प्रतिशत) से ग्रसित थे, दूसरा प्रमुख व्यक्तित्व-विकार स्वार्थी व्यक्तित्व-विकार (Narcissistic Personality Disorder) रही-(30 प्रतिशत), तीसरे नंबर पर ईर्ष्यालु व शंकालु व्यक्तित्व-विकार (Paranoid Personality Disorder)-(8 प्रतिशत) तथा चौथे नंबर पर नकारात्मक व्यक्तित्व-विकार (Nihilistic Personality Disorder)-(2 प्रतिशत) पाया गया |
इन ‘चार व्यक्तित्व-विकारों’ को अतिगंभीर व नकारात्मक मानक मानते हुये ऐसे व्यक्तित्व-विकार से ग्रसित लोगों को प्रथम चरण से ही प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया | तत्पश्चात शेष बचे लोगों में खुशमिजाजी (Sense of Humor), मानवीय पहलुओं के प्रति संवेदनशीलता (Altruism), रचनात्मकता (Creativity) तथा भावनात्मक परिपक्वता (Emotional Maturity) का स्तर जांचा गया | इन चारो मानसिक सुन्दरताओं को ग्रेड के आधार पर शीर्ष 21 प्रतिभागियों को ‘खूबसूरत-मन अवार्ड’ प्रदान किया गया |
इस समूची प्रतियोगिता में प्रतिभागियों का मानसिक विश्लेषण करने के पश्चात डॉ. आलोक मनदर्शन’ इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आज का मनुष्य बाहर की दुनिया के बारे में तो बहुत कुछ जानता है, परन्तु वह अपनी आंतरिक दुनिया(मन) के बारे में लगभग अनभिज्ञ है | जिसके परिणामस्वरूप हर व्यक्ति को अपना व्यवहार व व्यक्तित्व सही नजर आता है, जबकि सच्चाई यह नहीं होती | जिसका परिणाम यह हो रहा है कि आज समूचा विश्व अराजकता, अनैतिकता, संवेदनहीनता व अपराधिक प्रवित्तियों से कुरूप हो चुका है |

इसे भी पढ़े  शिक्षा और साहित्य एक दूसरे के पूरक, इनको साथ साथ ले चलने की आवश्यकता : नीलेश मिश्रा

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